पानी' पानी' २६५२ विशेष-इस प्रकार वुझाया हुमा पानी विकाररहित होता है और रोगी के लिये पथ्य समझा जाता है । ( विसी के सामने ) पानी भरना = किसी से तुलना मे उसके दास के वरावर ठहरना । अत्यत तुच्छ प्रतीत होना। फीका पडना । लज्जित होना। उ०-चूना उसका ऐसा सफेद, साफ और चमकदार है कि संगमरमर भी उसके सामने पानी भरे। -शिवप्रसाद (शब्द०)। पानी भरी खाल = अनित्य शरीर । क्षणभगुर देह । क्षणिक जीवन । उ०- रावरी शपथ राम नाम ही गति मेरे इहाँ झूठी मूठो सो तिलोक ति? काल है। तुलसी को भलो पै तुम्हारेई किए कृपाल कीजे न विलब बलि पानी भरी खाल है। -तुलसी (शब्द०)। पानी मरना- किसी स्थान पर पानी का एकत्र होकर सोखा जाना या जज्य होना । जैसे,- (क) जहाँ पानी मरता है वही धान होता है । (क) इस दीवार की जड मे बरसात का पानी मरता है। (किसी के सिर ) पानी मरना = दोषी या अाराधी सिद्ध होना । साबित होना । जैसे,—देखिए, इस मामले में किसके सिर पानी मरता है। पानी में भाग लगाना = (१) असभव को सभव करना। जो वात दूसरे से न हो सकती हो उसे कर डालना। (२) जहाँ झगडा होना असभव हो वहाँ झगडा करा देना । शातिभक्तो में कलह करा देना। विशेष-मुख्य मर्थ पहला होने पर भी दूसरे अर्थ में इस मुहावरे का अधिक प्रयोग होने लगा है। आग लगाने का अर्थ है चुगुलखोरी करके झगड़ा करा देना । पदाचित् यही इसका दूसरे अर्थ में अधिक प्रयुक्त होने का कारण है । पानी में फेंकना या बहाना = नष्ट करना। बरबाद करना । खो देना। पानी में फेंक देना। पानी लगना=(१) पानी इकट्ठा होना । पानी जमा होना। (२) पानी की ठळक से दांतो मे टीस होना। पानी का स्पर्श दांतो को असह्य होना । (३) स्थानविशेष की परिस्थिति के कारण बुरी वासनाएँ उत्पन्न होना। स्थानविशेष के गुण से शरारत सूझना । जैसे,—अब इनको वनारस का पानी लग चला। पानी लेना = (१) कुएँ, ताल आदि से खेत को सीचने के लिये पानी ले जाना। (२) पानी छूना = प्रावदस्त लेना। पानी से पतला = (१) जिसका कुछ भी महत्व या मान न हो। मत्यत तुच्छ । निहायत अदना। (२) अत्यत अपमानित । सर्वथा मानच्युत | सख्त बदनाम । (३) अत्यत सुगम । निहा- यत भासान । पानी से पहले पुल, पाद या बौह घाँधना= असभव संकट की पाशका से कोई यल करना । जिस बात का होना असंभव हो उसके प्रतीकार का उपाय करना । अकारण सिर खपाना । व्यर्थ कष्ट करना । सूखे में पानी में इयना = भ्रम मे पडना । घोखा खाना। उ०-धनी संग न सगे पूरे । पानी बूड रात दिन झूरे । —जायसी (शब्द॰) । कच्चा पानी = वह पानी जो पकाया हुआ न हो। पक्का पानी = पकाया हुमा पानी। प्रौटाया हुआ पानी। भभके का पानी% वह पानी जो भभके की सहायता से साधारण पानी को भाप के रूप में परिणत करके तैयार किया गया हो। उडाया या खींचा हुमा पानी। नरम पानी = वह पानी जिसके वहाव में अधिक वेग न हो। ठहरा हुमा पानी (लश०) । मीठा पानी = वह पानी जो पीने में खारा न हो । सुस्वादु पानी। पेय जल । सारा पानी - वह पानी जिसका स्वाद नमकीन लिए हुए तीखा होता है। अपेय जल । भारी पानी = वह पानी जिसमे खनिज पदार्य अधिक मात्रा मे मिले हुए हो। हलका पानी = वह पानी जिसमे खनिज पदार्थ बहुत थोड़े हो । पानी भरना या भर पाना = पदा या राल का किसी स्थान मे एकत्र होना । जैसे-मुंह या आँख मे पानी भर आना। उ०-मेरी आँखो मे आँसू न थे। यह निशीथ काल की शीतल पीर तीव्र वायु का कारण है कि उनमें पानी भर पाया नहीं तो आंसू फैसे, रोने के दिन प्रब गए। -अयोध्यासिंह (शब्द०)। मुँह में पानी आना या छटना = (१) स्वाद लेने का गहरा लालच होना। घखने के लिये जीम का व्याकुल होना। (२) गहरा लोभ होना । लालच के मारे रहा न जाना । २ वह पानी का सा पदार्थ जो जीम, आंख, त्वचा, घाव प्रादि से रसकर निकले । जैसे,—पसीना, पसेव, राल, लार, पछा। मुहा०-पानी श्राना=किसी चीज से पसेव, लार, प्रादि निकलना । जैसे, घाव में पानी पाना । मुह में पानी आना । ३. मेहँ । वर्षा । वृष्टि । जैसे,—इस वर्प इतना कम पानी पहा कि पृथ्वी की प्यास एक बार भी न बुझी । मुहा०-पानी आना = (१) पानी बरसने पर होना। मेह पड़ने का सामान होना। (२) मेह पडना। वर्षा होना। पानी उठना - घटा घिरना। वादल छा जाना । अब उठना । पानी गिरना = मेह पहना । वर्षा होना। पानी टूटना = झडी रुकना । मेह थमना। वर्षा वद होना । पानी निकलना= बूदें टूटना । वृष्टि वद होना । पानी पड़ना = मेह वरसना । वर्षा होना। ४ तेल, घी, चरवी आदि के अतिरिक्त कोई द्रव पदार्थ । कोई वस्तु जो पानी जैसी पतली हो । जैसे, पाचक का पानी, फेले का पानी, नारियल का पानी। मुहा०-पानी उतरना = (१) प्रहकोप में पानी जैसी पतली चीज का नसो के द्वारा पाकर एकत्र हो जाना, जिससे उसका परिमाण बढ़ जाता है। पडवृद्धि । (२) पाखो से प्राय हर समय कुछ कुछ गरम पानी गिरना जिससे देखने की शक्ति मारी जाती है। नजला। पानी करना- लोहै या किसी ऐसे ही कहे पदार्थ को गलाकर पानी की तरह तरल करना। पानी होना = किसी पदार्थ का गलकर पानी की तरह पतला हो जाना । जैसे,-सारा नमक गलकर पानी हो गया। मीठा पानी =लेमनेड । खारा पानी = सोहा वाटर। विलायती पानी = लेमनेड या सोडावाटर । गरम पानी = मद्य । शराव । ५ वह द्रव पदार्थ जो किसी चीज के निचोडने मे या उसमे
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/२४३
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