पानी २६५६ पानी' मे फेंक देना । नष्ट कर देना । उडा देना। (२) पानी के मोल देच देना | कौडियो मे लुटा देना । पानी चढ़ना = (१) पानी का ऊपर चढना या ऊँचाई की ओर जाना। पानी की गति ऊँचाई की भोर होना। जैसे-इस नल मे ऊपर पानी नहीं चढता है । उ०-सावर उवट शिखर को पाटी। चढ़ा पानि पाहन हिय फाटी।-जायसी (शब्द॰) । (२) पानी बढ़ना । (३) सीचे जानेवाले खेत तक पानी पहुँचना। (४) सीचा जाना। (इस मुहावरे का प्रयोग केवल खेती के लिये किया जाता है, वारी बगीचे अादि के लिये नहीं) । पानी चढ़ाना - (१) पानी को ऊँचाई पर ले जाना। (२) पानी को चूल्हे पर रखना। अदहन देना। (३) सिंचाई के लिये खेत तक पानी ले जाना। (४) सीचना । पानी चलाना = पानी फेरना । नष्ट करना । चौपट करना। (क्व०) । उ०-ऐसे समय लखेउ ठकुरानी। पतिव्रत माझ चलायो पानी।-लाल (शब्द०)। पानी छानना = एक विशेष कृत्य जो हिंदुयो के यहाँ किसी को शीतला या चेचक रोग होने पर किया जाता है । विशेप-(नाम धरने अर्थात् रोगी को चेचक होना मान लिए जाने के तीसरे, पांचवें और सातवें दिनों मे जिस दिन शुक्रवार या सोमवार हो, स्त्रियाँ रोगी के सिर से कपडा छुलाकर उससे पानी छाननी हैं। इस पानी मे पहले से चना भिगोया रहता है। यदि वर्षा होती हो तो उसी का पानी लेकर छाना जाता है। इस कृत्य के हो जाने पर उन निषेधो का पालन नहीं करना पडता जिनका पालन नाम धरने के दिन से आवश्यक समझा जाता है)। पानी छूटना = रस रसकर पानी निकलना। थोडा थोडा पानी निकलना । रसना। पानी छूना = मलत्याग के अनतर जल से गुदा को धोना। प्रावदस्त लेना (ग्राम्य) । (किसी वस्तु का) पानी छोड़ना=किसी चीज का रसना। थोडा थोडा पानी निकालना या देना। जैसे, किसी तरकारी का प्रागपर चढ़ाने पर छोडना। पानी टूटना = कुएं ताल आदि मे इतना कम पानी रह जाना कि निकाला न जा सके। कुएं ताल प्रादि वा पानी खर्च होकर बहुत थोडा रह जाना। पानी तोहना = पानी को डाँड या वल्ली से चीरना या हटाना। पानी काटना ( मल्लाह )। पानी थामना = धार की अोर नाव ले जाना । घार चढ़ाना। ( लश० ) । पानी दिखाना=(१) घोड़े बैल पादि को पानी पिलाने के लिये उनके सामने पानी भरा बरतन रखना या उन्हें पानी तक ले जाना। (२) पशुयो को पानी पिलाना । पानी देना % (१) सीचना । पानी से भरना । पानी से तर करना । (२) पितरो के नाम मजलि में लेकर पानी गिराना तर्पण करना । जैसे-उसके फुल मै कोई पानी देने वाला भी नहीं नह गया। पानी न माँगना=क्सिी प्राधान या विप आदि से इतनी जल्दी मर जाना कि एक शब्द भी मुंह से न निकले। चटपट दम तोड देना । तरक्षण गर जाना। उ०-ताप इस मुल्क गवाणे ऐने जहरीले होते हैं कि जिनका काटा पादमी फिर पानी न गांगे।-शिवप्रसाद (शब्द०)। पानी पडाढीला ढाला। जो कसा या तना न हो। जैसे- कनकौवा पानी पड़ा है अर्थात् उसकी डोर ढीली है । पानी भर नीव ढालना या देना=ऐसा काम प्रारभ करना जो टिकाकन हो । ऐसी वस्तु को प्राधार बनाना जिसकी स्थिति दृढ न हो। पानी पर नींव होना = किसी काम या घायोजन का प्राधार दृढ़ न होना। किसी काम या वस्तु का टिकाऊ न होना । पानी पड़ना=जल अभिमश्रित करना । मत्र पढ कर पानी फूकना। पानी पर दम करना । पानी फूकना । पानी पादना = दे० 'पानी छानना' । पानी पर बुनियाद होना = दे० 'पानी पर नीव होना । पानी परोरना = पानी पढना या फूंकना। पानी पानी करना = अत्यत लज्जित करना। लज्जाभिभूत करना । पानी पानी होना = लज्जित होना । लज्जा के मारे पसीने पसीने हो जाना। लज्जा से कट जाना। जैसे.-वह इस बात को सुनकर पानी पानी हो गया। पानी पीकर जाति पूछना=काम कर चुकने पर उसके प्रौचित्य की विवेचना करना । पानी पी पीकर = निरतर । अविराम । हर समय । लगातार । विशेप-इस मुहावरे का प्रयोग उस समय किया जाता है जव कोई घटो तक लगातार किसी को गालियां देना या कोसता रहता है । भाव यह होता है कि उसने इननी अधिक गालियाँ दी कि कई वार उनका गला सूख गया चौर उसे पानी पीकर उसे तर करना पडा । जैसे,—वह उन्हे पानी पी पीकर कोसता रहा। (किसी वस्तु पर) पानी फिरना या फिर जाना = नष्ट होना। चौपट हो जाना । मिट्टी में मिल जाना । वरवाद हो जाना। पानी फूंकना = मत्र पढकर पानी पर फूक माग्ना । पानी पटना। पानी फूटना %3D(१) बाँध या मेड को तोडकर पानी को निकालना। (२) पानी में उबाल पा जाना । पानी खोलने लगना। (किसी पर ) पानी फेरना या फेर देना = ऐसा कुछ करना जिससे किया कराया उद्योग या परिश्रम विफल हो जाय या कोई बनी बात बिगड जाय । चौपट कर देना। मिटटी कर देना। मटियामेट कर देना। मिटा देना। जैसे-इम एकवान ने अाज तक के हमारे सारे परिश्रम पर पानी फेर दिया। पानी चराना : (१) छोटी नालियां बनाकर और क्यारियां काटकर मेत को सोचना । (२) जिनमे नालियाँ तोटकर पानी वह न जाय इसलिये इसकी साली करना। पानी धना- (१) जिस मार्ग से पानी बह रहा हो उमे बंद करना । पानी का बहाव रोकना । (२) वाघ यक या मेट बनाकर पानी पो ताल या गेत मे एकत्र के बाहर न जाने देना। पानी का रोना या एसपना (३) जादू मे बरमते या बहने हुए पानी को पार का। जातं न ररना । पानी ना-है. ईट या नोने नांदी प्रादि के द्वादे को पागन नार के पानी में बुझाना। पानी वनारना।
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