पाव ५२२ पाव सुनकर ) पृथ्वी कंपी जाती है। ( स्त्रियाँ० )। पाँव तले की मिट्टी निकल जाना = ( किसी भयकर बात को सुनकर ) स्तब्ध सा हो जाना । होश उह जाना। होश ठिकाने न रहना । ठक हो जाना। सन हो जाना । सन्नाटे मे मा जाना । पाँव तोडना--(१) बहुत चलकर पैर थकाना । जैसे,—मैं क्यो इतनी दूर जाकर पांव तोडें । (२) बहुत दौड धूप करना। इधर उधर बहुत हैरान होना । घोर प्रयत्न करना । (किसी के) पाँव तोड़ना। (१) बहुत चलाकर थकाना । (२) दौडाकर हैरान करना । पाँव सोरकर बैठना = (१) कही न जाना । प्रचल होना । स्थिर हो जाना । जैसे,—भारत में दरिद्रता पाव तोडकर बैठी है । (२) प्रयत्न करते करते थककर बैठना। हारकर बैठना । पाँव थरथराना = (१) भय, माशका, निर्वलता भादि से पैर कापना। (२) किसी काम मे भय, प्राश का से आगे पैर न उठना । भग्रसर होने का साहस न होना । पाँव दयाना या दायमा = (१) थकावट दूर करने या पाराम पहुंचाने के लिये जघे से लेकर पजे तक हथेली रख रखकर दवाव पहुँचाना । पाँव पलोटना । (२) सेवा करन।। पाँव धरना-पैर रखना। किसी स्थान पर जाना । पधारना जैसे, अब उसके दरवाजे पर पांव नहीं धरेंगे। किसी काम में पाँव धरना = किसी कार्य में अग्रसर होना । किसी कार्य में प्रवृत्त होना । किसी का पाव धरना = (१) पैर छूकर प्रणाम करना। (२) दीनता से विनय करना। हा हा खाना । पाँव धारना = दे० 'पाव धरना' । उ०-धन्य भूमि वन पथ पहारा। जहें जहं नाथ पांव तुम घारा। -तुलसी (शब्द०)। बुरे पथ पर पाँव (पग) धरना =बुरे काम में प्रवृत्त होना। उ०-रघुवसिन कर सहज सुभाऊ । मन कुपथ पग घरै न काऊ ।—तुलसी (शब्द०) पाँव धो धोकर पीना=चरणामृत लेना। बड़े भादर भाव से पूजा करना । पाँव निकलना = दुश्चरित्रता की बात फैलना । बदचलनी की बदनामी फैलना । पाँव निकालना=(१) बढकर चलना। जिस स्थिति में हो उससे बढ कर प्रकट करनेवाले काम करना। ऐसी चाल चलना जो अपने से ऊँचे पद और पित्त के लोगों को शोभा दे। इतराकर चलना। जैसे, किसी सामान्य मनुष्य का अमीरों का सा ठाट बाट रखना । (२) वेकहा होना। निरकुश होना । स्वेच्छाचारी होना। नटखटी और उपद्रव करना । जैसे,- तुमने बहुत पाव निकाले हैं, चलो तुम्हारे बाप से कहता हूँ। (३) व्यभिचार करना । बदचलनी करना। (४) उस्ताद होना । चालाक होना । इधर उधर की बातें समझने वूमने योग्य हो जाना । पक्का होना। जैसे,—तुम तो बहुत सीधे और भोले भाले थे, अब, तुमने भी पांव निकाले । फिसी काम से पाँव निकालना = किसी काम से किनारे हो जाना । तटस्थ हो जाना। शामिल न रहना । पाँव पकडना, पाँव पकरनाg = (१) विनती करके किसी को कहीं जाने से रोकना । उ०-जानति जो न श्याम ऐहैं पुनि पाँव पकरि धरि राखति । —सूर (शब्द०)। (२) पैर छूना । बडी दीनता और विनय करना हा हा करना। उ०-अब यह वात कही जनि ऊधो पकरति पाँव तिहारे । - सूर (शब्द॰) । (३) पैर छूकर नमस्कार करना । भक्ति और आदरपूर्वक प्रणाम करना । पाँव पखारना = (१) पैर धोना। पाँव पढना = (१) पैरो पर गिरना । साष्टांग दडवत् करना । (२) पत्यंत दीनता से विनय करना । (भूत, प्रेत भादि का) पाँव पड़ना = भूत, प्रेत की छाया पड़ना । प्रभाव पड़ना । पाँव पर गिरना='पाँव पडना'। पाँव पर पाँव रखकर बैठना या मोना = (१) काम घधा छोड पाराम से बैठना या पडा रहना। चैन से चुपचाप पडा रहना। हाथ परम चलाना। उद्योग न करना । (२) गाफिल पड़ा रहना । सावधान न रहना । (पाँव पर पांव रखकर बैठना या सोना कुलक्षण समझा जाता है। लोग कहते हैं, जब यादवो का नाश हो गया तव श्रीकृष्ण पांव पर पांव रखकर लेटे )। किसी के पाँव पर पाँव रखना=किसी के कदम ब कदम चलना। किसी की एक एक बात का अनुकरण करना । दूसरा जो कुछ करता जाय वही करते जाना। पाँव पर सिर रखना = दे० 'पांव पडना' । पाँव पलोटनाgf=पर दबाना। पांवचपी करना। पाँव पसारना = (१) पैर फैलाना । (२) पाराम से पहना या सोना। (३) मरना। (४) प्राड वर बढ़ाना। ठाट याट करना। उ० तेतो पाँव पसारिए जेती लांबी सौर ।-(शब्द०) पाँव पाँव = अपने पैरो से, सवारी भादि पर नहीं। पैदल । पा प्यादा । पाँव पाँव चलना = पैरों से चलना । पाँव पाँव चदन के पाँव = एक वाक्य जिसे बच्चे के पहले पहल खड़े होने पर घर की स्त्रियाँ या खेलानेवाली दासियाँ प्रसन्न हो होकर कहती हैं। पाँव पीटना = (१) फ्लेश या पीडा से पैर उठाना । वेचैनी से पैर पटकना । छटपटाना। तहफना । (२) मृत्यु की यत्रणा भोगना । (३) घोर प्रयत्न करना । हैरान होना । जैसे,—बहुत पाव पीटा पर एक न चली। पाँव पूजना = (१) वडा प्रादर सत्कार करना । वडी श्रद्धा भक्ति करना। बहुत पूज्य मानना । (२) विवाह के कन्यादान के समय कन्याकुल के लोगों का वर का पूजन करना और कन्यादान में योग देना पांव फिसलना= पैर का जमा न रहना, सरक जाना। रपटना। जैसे,—काई पर पाँव फिसल गया और गिर पडे । पाँव फूंक फूंककर रखना बहुत बचाकर काम करना। कुछ करते हुए इस वात का बहुत ध्यान रखना कि कोई ऐसी बात न हो जाय जिससे कोई हानि या बुराई हो । , - बहुत सावधानी से चलना । पाँव फूलना = (१) पैरों का भय प्राश का प्रादि से अशक्त हो जाना । पैर मागे न उठना । (२) पैर में थकावट पाना । थकावट से पैर दुखना । पाँव फेरने जाना = (१) विवाह के पीछे दुलहिन का पहले पहल ससुराल में जाना । (२) दुलहिन का ससुराल से पहले पहल अपने मायके या और किसी सबधी के यहां जाना और वहाँ से मिठाई, नारियल का गोला प्रादि लेकर लौटना । इसके पहले वह भौर किसी के यहाँ नहीं जा पा सकती। (३)
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