परिवत्सरीय २०६३ परिवर्धमान परिवत्सरीय-वि० [सं०] दे० 'परिवत्सरीण' । परिवर्तन-सज्ञा पुं० [सं०] [ वि० परिवर्तनीय, परिवर्तित, परिवर्ती ] परिवदन-सञ्ज्ञा पुं० [स०] किसी के दोष का वर्णन या कथन । १. घुमाव । फेरा। चक्कर । पावर्तन । २ दो वस्तुप्रो का निंदा । वदगोई। परस्पर अदल बदल । अदला बदली । हेरफेर । विनिमय । तबादला। ३ जो किसी वस्तु के बदले में लिया या दिया परिवपन-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] कतरना या मूडना [को०] । जाय। बदल। ४ बदलने या बदल जाने की क्रिया या परिवर्जन, परिवर्जन-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ परित्याग करना । भाव । दशातर । विषयातर। रूपातर । तबदीली । उ०- स्यागना। छोडना । तजना। २ मारण। मार डालना। परिवर्तन ही यदि उन्नति है तो हम वढते जाते हैं।- हत्या करना। पचवटी, पृ० ८ । ५ किसी काल या युग की समाप्ति । परिवर्जनीय-वि० [स०] त्यागने योग्य । परित्याज्य । यौ०-परिवर्तनवादी = वर्तमान स्थिति को बदलने की कामना परिवर्जित-वि० [स०] त्यागा हुआ । परित्यक्त । रखनेवाला। परिवर्तन द्वारा समाज की उन्नति में विश्वास परिवर्त-सज्ञा पुं० [स०] १ फिराव । फेरा । घुमाव । चक्कर । रखनेवाला। उ०—स्वतत्रता के उन्मत्त उपासक, घोर विवर्तन । २ प्रावृत्ति । ३ अदल बदल । बदला । विनिमय । परिवर्तनवादी शैली के महाकाव्य , दि रिवोल्ट प्राफ ४ जो बदले में लिया या दिया जाय। बदल । ५ किसी इस्लाम' के नायक नायिका शात वृत्ति या चमत्कारपूर्ण काल या युग का प्रत । किसी काल या युग का बीत जाना। प्रदर्शन करनेवाले नहीं हैं। प्राचार्य०, पृ० १८ । परिवर्तन- ६ (ग्र थ का) परिच्छेद । अध्याय । वयान । ७ पुराणानुसार शील = परिवर्तित होनेवाला। जिसमे निरतर परिवर्तन हो । मृत्यु के पुत्र दुस्सह के पुत्रो में से एक । परिवर्तनशीला = निरतन बदलनेवाली।-उ०-देखेंगे परि- वर्तनशीला प्रकृति को, घूमेगे बस देश देश स्वाधीन हो।- विशेष-माकंडेय पुराण मे लिखा है कि मृत्यु के दुस्सह नाम करुणा०, पृ०७। का एक पुत्र था जिसका विवाह कलि की कन्या निर्माष्टि के साथ हुआ था। निष्टि के गर्भ से अनेक पुत्र जन्मे, परिवतं परिवर्तनीय-वि० [सं०] घूमने, बदलने या बदले जाने के योग्य । परिवर्तन योग्य । इनमें तीसरा था। यह एक स्त्री के गर्भ को दूसरी स्त्री के गर्भ से बदल दिया करता था, किसी वाक्य का भी वक्ता के परिवर्तिका-मशा स्त्री० [स०] लिगेंद्रिय का एक क्षुद्र रोग । अभिप्राय से विरुद्ध या भिन्न अर्थ कर दिया करता था। विशेष-अधिक खुजलाने, दवाने या चोट लगने के कारण इसमे इसी से इसे परिवर्त कहने लगे। इसके उपद्रव से गर्भ की लिंगचर्म उलटकर सूज जाता है। कभी कभी यह सूजन गाँठ रक्षा करने के लिये सफेद सरसों और रक्षोध्न मन से इसकी की तरह हो जाती है और पक जाती है। यह रोग वायु के शाति की जाती है। इसके पुत्र विरूप भौर विकृति भी कोप से होता है। कफ अयवा पित्त का भी सबघ होने से उपद्रव करके गर्भपात कराते हैं। इनके रहने के स्थान हालियों त्वचा मे क्रम से अधिक खुजली या जलन होती है। के सिरे, चहारदीवारी, खाई और समुद्र हैं। जब गभिणी स्त्री परिवर्तित-वि० [स०] १ जिसका आकार या रूप बदल गया हो। इनमें से किसी के पास पहुंचती है तब ये उसके गर्भ मे घुस बदला हुमा । रूपातरित । २ जो बदले में मिला हुआ हो। जाते हैं और फिर बराबर एक से दूसरे गर्भ मे जाया करते ३. जिसका परिवर्तन हुआ हो । हैं। इनके बार बार जाने माने से गर्भ गिर जाता है। इसी कारण गर्भावस्था में स्त्री को वृक्ष, पर्वत, प्राचीर, खाई परिवर्तिनी-सज्ञा स्त्री० [स०] भादों शुक्ल पक्ष की एकादशी । और समुद्र धादि के पास घूमने फिरने का निषेध हैं। परिवर्ती-वि० [ स० परिवर्तिन् ] १ परिवर्तन स्वभाववाला । ८ स्वरसाधन की एक प्रणाली जो इस प्रकार है परिवर्तनशील । वार बार बदलनेवाला। २ किसी चीज का पारोही-सा ग म रे, रे म प ग, गप धम, म ध नि प, प बदलनेवाला। विनिमय करनेवाला। ३ जिसका घूमने का नि सा , घसा रे नि, नि रे ग सा। अवरोही-सा घप स्वभाव हो । जो वरावर घूमता रहता हो । नि, नि प सा घ, घ म ग प, प ग रे म, म रे सा ग, ग सा परिवर्तुल-वि० [स०] खूब गोल । पूर्ण गोलाकार । नि रे, रे नि ध सा। परिवर्मन्-वि० [स०] जो किसी वस्तु के चारो ओर घूम रहा हो। प्रदक्षिणा करता हुआ। ६ गृह। प्रालय । निवासस्थान (को०)। १० पुनर्जन्म । फिर फिर जन्म लेना (को०)। परिवद्धन-पडा पु० [स०] [वि० परिवद्धित ] सख्या, गुण मादि परिवर्तक-सशा पुं० [सं०] १ घूमनेवाला। फिरनेवाला। चक्कर खाने- में किसी वस्तु की खूब बढ़ती होना । सम्यक् प्रकार से वृद्धि । वाला। २. घुमानेवाला। फिरानेवाला। चक्कर देनेवाला । खूब या खासी बढ़ती । परिवृद्धि । उलटने पलटनेवाला। ३, बदलनेवाला। विनिमय करनेवाला । परिवर्द्धित-वि० [स०] १. वढ़ा हुपा । २. वढाया हुआ । ४. जो बदला जा सके। परिवर्तन योग्य । ५ युग का अत परिवर्धमान-वि० [स० परिवर्धवत् ] वढता हुप्रा। चारो ओर से करनेवाला । ६ मृत्यु के पुत्र दुस्सह का एक पुत्र । ७. अनाज बढनेवाला । जो वढ़ रहा हो। उ०-वेला की प्रांखों मे मादि देकर दूसरी वस्तुएं वदले मे लेना । विनिमय । गोली का और उसके परिवर्घमान प्रेमाकुर का चित्र था।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/१५४
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