परत्रभीरु २८२६ परदा परत्रभोरु-वि० [सं०] जिसे परलोक का भय हो। धार्मिक । परत्व-सज्ञा पुं॰ [सं०] पर होने का भाव । पहले या पूर्व होने का भाव । यौ०-परत्व अपरत्व = पहले पीछे का भाव । विशेष-वैशेषिक मे द्रव्य के जो २४ गुण माने गए हैं उनमे 'परत्व' 'अपरत्व' भी है। 'परत्व' 'अपरत्व' देश और काल के भेद से दो प्रकार के होते हैं-कालिक और दैशिक । जैसे, 'उसका जन्म तुमसे पहले का है। यह कालसवधी 'परत्व' हुआ । 'उसका घर पहले पडता है', यह देशसवधी 'परत्व' हुआ। देशसवधी परत्व अपरत्व का विपर्यय हो सकता है, पर कालसवधी परत्व अपरत्व का नहीं। परथना-सज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'पलेथन' । परथम-कि० वि० [स० प्रथम] पहले । उ०—(क) भक्ति मुक्ति सनेही सजन, लियो परथम चीन्ह हो। -धरम०, पृ०३ । (ख) सब ससार परथमै पाए सातो दीप। एक दीप नहिं उत्तिम सिंहलद्वीप समीप ।-जायसी ग्र०, पृ० १० । परथिर-वि० [सं० परम+स्थिर ] गतिरहित । गतिहीन । निश्चल । उ०-गावहिं गीत बजावहि बाजा । परथिर बाव भेद उपराजा ।-चित्रा०, पृ० २६ । परथोका-सचा पु० [ स० परितोप ] दे० 'परतोख' । परदक्षणा -सञ्ज्ञा स्त्री० [स० प्रदक्षिणा] दे॰ 'प्रदक्षिणा'। उ०-दक्ष त्रयो रहै पुनि दक्ष प्रजापति जैसे । देत परदक्षणा न दक्षणा दे भाप कौं। -सु दर ग्र०, भा॰ २, पृ०४८१ । परदक्षिना-सञ्ज्ञा पुं० [स० प्रदक्षिण ] दे० 'प्रदक्षिणा' । उ०-करि प्रणाम परदक्षिन कीन्हा । -कवीर सा०, पृ० ५७८ । परदखना, परदखिना-सज्ञा स्त्री० [स० प्रदक्षिणा दे० 'प्रदक्षिणा'। उ०-(क) तन मन धन करौं वारनै परदखना दीजै। सीस हमारा जीव ले नौछावर कीजै ।-दादू०, पृ० ५५६ । (ख) परदखिना करि करहि प्रनामा ।-मानस, २२२०१ । परच्छिन-सज्ञा पुं॰ [ स० प्रदक्षिण ] दे० 'प्रदक्षिणा'। उ०- पांव परसि परदच्छिन दिन्निय ।-५० रासो, पृ० ६१ । परदच्छिना - सज्ञा स्त्री॰ [सं० प्रदक्षिणा ] दे० 'प्रदक्षिणा'। परदछिनाल -सञ्ज्ञा श्री० [ स० प्रदक्षिणा ] दे० 'प्रदक्षिणा' । परदा-सज्ञा पुं० [फा० परदह ] वह कपडा, टट्टी आदि जिसके सामने पड़ने से कोई स्थान या वस्तु लोगो की दृष्टि से छिपी रहे । प्राड करने के काम मे आनेवाला कपडा, टाट, चिक पादि। पट । जैसे,—खिडकी में जो परदा लटक रहा है उसपर बहुत अच्छा काम है। क्रि० प्र०-उठाना।-खड़ा करना ।-गिराना ।-डालना । मुहा०-परदा उठाना= दे० 'परदा खोलना'। परदा खोलना = छिपी बात प्रगट करना। भेद का उद्घाटन करना। परदा डालना = छिपाना। प्रकट न होने देना। जैसे,—किसी के ऐवों पर परदा डालना। आँख पर परदा पड़ना =बुद्धि मद होना। समझ में न आना । ढंका परदा = (१) छिपा हुआ दोप या फलंक । (२) वनी हुई प्रतिष्ठा या मर्यादा । जैसे,-ढंका परदा रह जाय तो अच्छी बात है। (किसी का) परदा रसना=किसी की बुराई यादि लोगो पर प्रकट न होने देना। किसी की प्रतिष्ठा बनी रहने देना। उ०- मधुकर जाहि कहो सुन मेरो। पीत वसन तन एयाम जानि के राखत परदा तेरो।-दूर (शब्द॰) । २ प्राड करनेवाली कोई वस्तु । बीच मे इस प्रकार पडनेवाली वस्तु कि उसके इस पार से उस पार तक माना जाना, देखना प्रादि न हो सके। दृष्टि या गति का प्रवरोध करने- वाली वस्तु । व्यवधान । ३. रोक जिससे सामने की वस्तु कोई देख न सके या उसके पास तक पहुंच न सके। पाट । पोट । प्रोझल । ४ लोगो की दृष्टि के सामने न होने की स्थिति । प्राड । भोट । छिपाव। कि०प्र०-करना ।-होना । यौ०-परदानशीन। मुहा०-परदा रखना = (१) परदे के भीतर रहना। सामने न होना । जैसे,—स्त्रियां मरदो से परदा रखती हैं। (२) छिपाव रखना। रखना । (किसी को) परदा लगाना = परदे में रहने की स्थिति प्राप्त होना। किसी के सामने न होने का नियम होना । जैसे,—(क) पहले तो मारी मारी फिरती थी भव इसे परदा लगा है। (ख) सामने पाकर पयो नही कहते, क्या तुम्हे परदा लगा है ? परदा होना = (१) परदा रखे जाने का नियम होना। स्त्रियो का सामने न होने देने का नियम होना। जैसे,--तुम वेघडक भीतर चले जायो तुम्हारे लिये यहाँ परदा नहीं है। (२) छिपाव होना। दुराव होना। जैसे,—तुमसे क्या परदा है, तुम सब हाल जानते ही हो। परदे बिठाना = (स्त्री को ) परदे के भीतर रखना। परदे में रखना = (१) स्त्रियो को घर के भीतर रखना, वाहर लोगो के सामने न होने देना। (२) छिपा रखना। प्रकट न होने देना । परदे में रहना = (१) स्त्रियो का घर के भीतर ही रहना, लोगो के सामने न होना । प्रत पुर मे रहना। जनानखाने मे रहना। (२) छिपा रहना। प्रकट न होना। परदे परदे= छिपे छिपे । चुप चाप । गुप्त रूप से । परदे में छेद होना = परदे के भीतर भीतर व्यभिचार होना । ५ स्त्रियो के घर के भीतर रखने का नियम । स्त्रियो को बाहर निकलकर लोगो के सामने न होने देने की चाल । जैसे,—हिंदुस्तान में जबतक परदा नहीं उठेगा, स्त्रीशिक्षा का प्रचार अच्छी तरह नहीं हो सकता। ६ वह दीवार जो विभाग करने या प्रोट करने के लिये उठाई जाय । ७ तह । परत । तल । जैसे, जमीन का परदा, दुनिया का परदा । ८ वह झिल्ली, चमहा आदि जो कही पर माड या व्यवधान के रूप मे हो। जैसे, अखि का परदा, कान का परदा । अंगरखे का वह भाग जो छाती के ऊपर रहता है। १० फारसी के वारह रागो मे से प्रत्येक । ११ सितार, हारमोनियम प्रादि बाजो मे वह स्थान
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/११७
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।