पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/२८

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स्तवक ५३४० स्तुतिप्रिय स्तवक' -वि० स्तुति करनेवाला [को०] । यौ०--स्तिमितगति, स्तिमितजव = धीरे धीरे बढनेवाला । स्तवकर्णिका--सशा पी० [सं०] लाक्षानिर्मित कुडल । लाह से बने स्तिमितनयन = एकटक देखनेवाला । जिसे टकटकी बंधी हो । हुए कर्णाभूपण [को॰] । स्तिमितप्रवाह = धीरे धीरे वहनेवाला। स्तिमितवायु = शात वायु । शात हवा । स्तिमितस्थिति = जो निश्चल खडा हो। स्तवकित-वि० [स०] पुप्पो या पुष्पगुच्छो से भरा हुअा को॰] । स्तवथ-सबा पुं० [मं०] स्तुति । स्तव । स्तोत्र । स्तिमित-मज्ञा पुं० १ नमी । प्रार्द्रता । २ स्थिरता । निश्चलता। स्तवन-सबा पुं० [म०] १ स्तुति करने की क्रिया। गुणकीर्तन । स्तिमितत्व-सज्ञा पु० [सं०] स्थिरता । गतिहीनता । निश्चलता [को०] । २ स्तव । स्तुति । स्तोत्र । स्तिया-मजा स्त्री० [म०] स्थिर जन । प्रवाहहीन जल । शात जल । स्तवनीय - वि० [स०] जो स्तव या स्तुति करने के योग्य हो । प्रशता के स्तीम-वि०सि०] मुस्त । अलम । धीमा । योग्य । प्रशसनीय। स्तीमित-वि० [स०] दे० 'स्तिमित' । स्तवन्य--वि० [स०] दे० 'स्तवनीय'। स्तीर्ण'- वि० [स०] फैलाया हुआ । बिखेरा हुआ । छिनराया हुअा। स्तवरक-सधा पु० [स०] आवरक । घेरा । वाड । वेष्ठन । विस्तृत । विकीर्ण । स्तवि-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] सामगान करनेवाला । सामगायक । स्तीर्णर--सझा पु० शिव के एक अनुचर का नाम । (शिवपुराण)। स्तवितव्य-वि० [म० ] स्तव के योग्य । प्रशसा के योग्य । स्तीवि--सञ्ज्ञा पु० (स०] १ अध्वर्यु । २ आकाश । ३ जल। स्तविता--सज्ञा पु० [स० स्तवितृ] स्तवन या स्तुति करनेवाला । ४ रुधिर । ५ शरीर । ६ भय । ७ तृण । घासपात । ८ इद्र। गुणगान करनेवाला । स्तुतिपाठक । स्तुक-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ अपन्य । सतान । २ केशगुच्छ । केशसमूह । स्तवेय्य---सधा पु० [स०] इद्र का एक नाम । केशयि या वेणी (को०)। स्तव्य-वि० [स०] स्तव या स्तुति के योग्य । स्तवनीय । स्तुका--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] १ केशपाश । केशगुच्छ । २ बैल के सीग स्तावेरम-वि०[स० स्ताम्वेरम] हस्ति सवधी। हाथी से सवधित [को०] । के वीच की भंवरी। ३ नितव । ४ जघन । जाँघ (को०] । स्ताघ-वि० [स०] जो थहाया जा सके । छिछला। उथला (को०) । स्तुटि--सज्ञा पुं० [स०] भरदूल नामक पक्षी । भरद्वाज पक्षी । स्तायु-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] चोर । स्तुत'-वि० [स०] १ जिसकी स्तुति या प्रार्थना की गई हो। कीर्तित । स्तारा-सञ्ज्ञा पुं० [देशज] एक प्रकार का पौधा । प्रशसित । २ चूना हुआ । वहा हुआ। स्ताव-सना पुं० [स०] १ स्तव । स्तुति । गुणगान । २ स्तव करने- स्तुत'-सज्ञा पु० १ शिव का एक नाम । २ स्तव । स्तुति । प्रशसा । वाला । गुणगान करनेवाला। स्तावक-वि० [स०] १ स्तव या स्तुती करनेवाला । गुणकीर्तन स्तुतस्तोम-वि० [स०] जिसका गुणगान या प्रार्थना की गई हो । करनेवाला । प्रशसक । २ बदी। बदीजन । कीर्तित । प्रशसित । स्तावर-सचा त्री० [देशज ?] एक प्रकार की बेल । स्तुति'-सज्ञा स्त्री॰ [सं०] १ गुणकीर्तन । स्तव । प्रशसा। तारीफ । स्तावा-सधा सी० [स०] वाजसनेयी सहिता के अनुसार एक अप्सरा का नाम। क्रि० प्र०—करना। स्ताव्य-वि० [म०] स्तव के योग्य । प्रशसा के योग्य । २ देवीपुराण के अनुसार दुर्गा का एक नाम । ३ भागवत के स्तिगीमूरा-सशा ० [अ० स्टिगी + मूर] जहाज का पाल और उसकी अनुसार प्रतिहर्ता की पत्नी का नाम । ४ चाटुकारिता (को॰) । रस्सी। (लश०)। ५ स्तोत्र (को०)। स्तिभि-सञ्ज्ञा पुं० [स० स्तिम्भि] दे० 'स्तिभि' [को०) । स्तुति'-- --सक्षा पुं० विष्ण का एक नाम । स्तिपा-सदा पुं० [सं०] अाश्रितो की रक्षा करनेवाला । गृहपालक । स्तुतिगीत-- [--सजा पु० [सं०] स्तवन । स्तोत्र [को॰] । स्तिभि-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ फूलो का गुच्छा। गुच्छक । स्तवक । स्तुतिगीतक-सज्ञा पुं० [F०] प्रशसा का गीत । २ समुद्र । ३ अवरोध । प्रतिवध । स्तुतिपद-सज्ञा पुं॰ [स०] स्तुति या प्रशसा का विषय (को॰] । स्तिभिनी-सज्ञा स्त्री० [सं०] गुच्छा । स्तवक । स्तुतिपरक-वि० [स०] जो प्रशस्ति या स्तवन का वोधक हो । स्तिमित-वि० [सं०] १ भीगा हुआ । तर । नम । प्रार्द्र । २ स्थिर । स्तुतिपाठक-सञ्ज्ञा पु० [स०] वदी जिसका काम प्राचीन काल मे निश्चल । उ०-सब सभा रही निस्तब्ध, राम के स्तिमित राजानो की स्तुति या यशोगान करना था। स्तुतिपाठ करने- नयन । -अपरा, पृ०४५। ३ शात । ४ प्रसन्न । सतुष्ट । वाला । चारण । भाट । मागध । सून । ५ कोमल (को०)। ६ बद। मुकुलित (को०) । ७ प्रकग हुआ। स्तुतिप्रिय-वि० [स०] जिसे प्रशसा प्रिय हो । जो अपनी प्रशस्ति का निश्चेप्ट (को॰) । आकाक्षी हो। खुशामद पसद । स्तवन। बडाई।