पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१८१

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कला। खेला है। हथिकडी ५४६३ हाथी' खुशी होना । आनद से फूलना। (२) उत्साह होना । साहस वैधना। विशेप-इस प्रकार की जड का रखेना लोग बहुत फलदायक और ३ युद्ध, लडाई आदि मे आक्रमण करने का ढग। वार करने की कल्याणकारक मानते है। ४ ताश, जूए आदि के खेल मे एक एक आदमी के हाथापाई-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० हाथ +पायें] ऐसी लडाई जिसमे हाथ पैर खेलने की वारी । दावें । जैसे,—अभी चार ही हाथ तो हमने चलाए जायें। मारपीट । उठापटक । मुठभेड । भिडत । धौलघप्पड। मुहा०--उलटकर या उलटा हाथ मारना = शत्रु के वार को क्रि० प्र०--करना।—होना । रोकते हुए उसपर आघात करना । प्रत्याक्रमण करना। हाथ हाथावॉही --सा स्री० [हिं० हाथ + बाँह] दे० 'हाथापाई। मारना = (१) कुशलतापूर्वक शत्रु पर वार करना। (२) हाथाली@+-सज्ञा स्त्री० [स० हस्ततली] दे० 'हथेली' । उ०--राति दावं जीतना । हाथ वनाना = दे० 'हाथ मारना' । ज रुनी निसह भरि, सुणी महाजनि लोइ। हाथाली छाला ४ किसी कार्यालय के कार्यकर्ता। कारखाने में काम करनेवाले पडया, चीर निचोइ निचोइ।-ढोला०, दू० १५६ । आदमी । जैसे,—आजकल हाथ कम हो गए है, इसी से देर हो हाथाहाथी-अव्य० [हिं० हाथ + हाथ] १ एक हाथ से दूसरे हाथ रही है। ५ किसी औजार या हथियार का वह भाग जो हाथ से पकडा जाय । दस्ता। मुठिया । मे। हाथोहाथ। २ तुरत । शीघ्र । जल्दी । हाशाहाथी २--सक्षा स्त्री० दे० 'हाथापाई। हाथकडा-सज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'हथकडा'। हाथड-सज्ञा पुं० [हिं० हाथ + ड(प्रत्य॰)] जाँते या चक्की की मुठिया। हाथिg+-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० हाथ] दे॰ 'हाथ' । हाथतोड-सज्ञा पुं० [हिं० हाथ + तोडना] कुश्ती का एक पेच जिसमे हाथी'-सञ्ज्ञा पुं० [सं० हस्तिन् , हस्ती, प्रा० हत्थी] [स्त्री० हथिनी] जोड का पजा उलटा पकडकर मरोडते है और उसी मरोडे एक बहुत बडा स्तनपायी जतु जो सूंड के रूप मे वढी हुई नाक के कारण और सब जानवरो से विलक्षण दिखाई पड़ता है। हुए हाथ के ऊपर से अपनी उसी बगल की टांगे जोड की टांगो मे फंसाकर उसे चित करते हैं। विशेष—यह जमीन से ७-८ हाथ ऊँचा होता हे और इसका धड बहुत चौडा और मोटा होता है । घड के हिसाब से इसकी टांगे छोटी हाथधुलाई-~-सज्ञा स्त्री० [हिं० हाथ + धुलाई] वह बँधी रकम जो चमारो और खभे की तरह मोटी होती है । पैर के पजे गोल चक्राकार को मरे हुए चौपायो के फेंकने के लिये दी जाती है। होते है । आँखें डीलडौल के हिसाब से छोटी और कुछ ऊदापन हाथपान--सज्ञा पुं० [हिं० हाथ + पान] हाथफूल के समान हथेली की लिए होती है। जीभ लवी होती है । पूंछ के छोर पर बालो पीठ पर पहनने का एक गहना जो पान के आकार का होता है का गुच्छा होता है । इसकी सबसे बडी विशेपता हे नाक जो और जजीरो के द्वारा अंगूठियो और कलाई से लगाकर बंधा एक गावदुम नली के समान जमीन तक लटकती रहती है और रहता है। सूंड कहलाती है। यह सूंड हाथ का भी काम देती है। इससे हाथफूल-सज्ञा पुं० [हिं० हाथ + फूल] हथेली की पीठ पर पहनने का हाथी छोटी से छोटी वस्तु जमीन पर से उठा सकता है और फूल के आकार का एक गहना जो सिकडियो के द्वाग अंगूठियो पेड की बडी बडी ढालो को तोडकर मुंह मे डाल लेता है। और कलाई से लगाकर बांधा जाता है। इससे वह अपने शत्रुओ को लपेटकर पटक देता या चीर हाथवॉह-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० हाय + वाह] वाह करने (कसरत) का डालता है । सूंड मे पानी भरकर वह अपने ऊपर डालता भी एक ढग। है। नर हाथी के मुखविवर के दोनो छोरो पर हाथ डेढ हाथ हाथा-सज्ञा पुं० [हिं० हाथ] १ किसी अौजार या हथियार का वह लवे और ५-६ अगुल चौडे गोल डडे की तरह के सफेद चमकीले भाग जो मुट्ठी मे पक्डा जाता है । दस्ता । २ दो तीन हाथ दांत निकले होते हैं जो केवल दिखावटी होते है । इन दाँतो लबा लकडी का एक औजार जिससे सिंचाई करते समय खेत का वजन बहुत अधिक-७५ से १७५ सेर तक होता है। मे आया हुआ पानी उलोचकर चारो ओर पहुंचाते हैं। ३. इसके कान गोल सूप की तरह के होते हैं। मस्तक चौडा और पजे की छाप या चिह्न जो गीले पिसे चावल और हल्दी आदि वीच से कुछ विभक्त दिखाई पडता है । सिर की हड्डियां पोतकर दीवार पर छापने से बनता है । छापा । जालीदार होती है । पसलियां बोस जोडी होती हैं। विशेष-उत्सव, पूजन आदि मे स्त्रियाँ ऐसा छापा बनाती है । हाथी पृथ्वी के गरम भागो मे--विशेषत हिंदुस्तान और अफ्रिका हाथाछाँटी-सञ्ज्ञा बी० [हिं० हाथ + छाँटना] १ व्यवहार मे कपट या मे--पाए जाते हैं। अफ्रिका और हिंदुस्तान के हाथियो मे कुछ बेईमानी। चालाकी । धूर्तता । चालवाजी । चालवाजी या भेद होता है । अफ्रिका के हाथी के दो निकले हुए दाँतो के बेईमानी से रुपया पैसा उडाना । माल हजम करना। सिवा चार दाढ़ें होती हैं और हिंदुस्तानी के दो ही । अफ्रिका के क्रि० प्र०—करना।—होना । हाथी का मस्तक गोल और कान इतने बड़े होते हैं कि सारे हाथाजोडी-सज्ञा स्त्री० [हिं० हाथ + जोडना] १ एक पौधा जो कधे को ढंके रहते है । वरमा और स्याम की ओर सफेद हाथी ओषध के काम मे आता है। २ सरकडे की वह जड जो दो भी पाए जाते है जिनका बहुत अधिक आदर और मोल होता मिले पजो के आकार की बन जाती है। है । हिंदुस्तान के हाथियो के भी अनेक भेद होते हैं, जैसे-