संभारना ४६०४ स यी०-सार संभार=पालन पोपण और निरीक्षण का भार । जाना। चैतन्य वाई होना । जैसे,—कन समाला लिया था, अाज मर गया। उ०-सब कर सार संभार गोसाई ।--तुलसी (शब्द॰) । क्रि० प्र०-लेना। ३ वश मे रखने का भाव । रोक । निरोध । उ०-रे नृप वालक कालबस वोलत तोहि न सँभार ।-नुलसी (शब्द०)। ४ सँभालू--पञ्चा पु० [हिं० सिंधुवार] श्वेत मिधुबार वृक्ष । मेडी। तन बदन को मुधि । होश हवास । ५ तैयारी (को०)। संयोना पु-कि०म० [हिं० सँजोना अथवा म० मयोजन] दे० 'मॅजोना'। सँवर --सच्चा स्त्री० [स० स्मरण] १ याद । स्मरण । स्मृति । संभारना-त्रि० स० [म० सम्भार) १ दे० 'सँभालना' । २ २ खवर । हाल चाल । याद करना। स्मरण करना। मन मे इकट्ठा करके लाना। उ०-वदि पितर सव सुकृत संभारे । जो कुछ पुन्य प्रभाव सँवरना'-क्रि० अ० [स० सम् Vवृ> मवरण (= व्यवस्थित करना)] १ बनाना । दुरुस्त होना । २ मजना । अलकृत होना । हमारे । तौ सिव धनुप मृनाल की नाई । तोरहिं राम, गनेस गोसाई ।-तुलसी (शब्द०)। सँवरना --क्रि० म० [म० म्मरण, हिं० नुमिरना] याद करना । सँभाल-सज्ञा ली० [स० सम्भार] १ रक्षा । हिफाजत । २ पोषण का उ०--सँवरा आदि एक करतारू । --जायमी (शब्द०)। भार । देखरेख । निगरानी। ४ प्रबध । इतजाम । जैसे,- संवरा-वि० [हिं० सांवला] दे० 'सांवला' । घर को सँभाल वही करता है। ५ तन बदन की सुध । होश संवरिया--वि० [हिं० साँवला+इया (प्रत्य॰)] दे० 'मावला' । उ०- हवास । चेत। आपा। जैसे,—वह इतना विकल हुआ कि विरिख मंवरिया दहिने बोता।-जायनी (शब्द०)। शरीर की संभाल न रही । संवाँ'-मया पुं० [म० श्यामाक] मांवां नाम का अन । सँभालना-कि० स० [स० सम्भार]१ भार को ऊपर ठहराना । सँवाँ-वि० [स० समान] ममान । मदृश । तुल्य । बोझ ऊपर रखे रहना। मार ऊपर ले सकना। जैसे,—इतना सँवागा-पज्ञा पुं० [हिं० स्वाँग] रूप बदलना। भेप बदलना । उ०- भारी बोझ कैसे संभालोगे। २ रोक या पकड मे रखना। इस भोख लेहि जोगिनि फिर माँगू। केतन पाइय किए सेवागू । प्रकार थामे रहना कि छूटने या मागने न पावे। रोके रहना। -पदमावत, पृ० ६०५ । काबू मे रखना । जैसे,—संभालो, नही तो छूटकर भाग जायगा। सँवार@-सज्ञा स्त्री० [स० सवाद या म्मरण] हाल । समाचार । ३ किसी वस्तु को अपनी जगह से हटने, गिरने पडने, खिसकने उ०-पुनि रे सेंवार कहेमि अरु दूजी । जो बनि दीन्ह देवतन्ह आदि से रोकना । यथास्थान रखना। च्युत न होने देना। दूजी। —जायसी (शब्द०)। थामना । जैसे-टोपी सँभालना, धोती सँभालना। ४ गिरने पड़ने से रोकने के लिये सहारा देना। गिरने से वचाना । सँवार-सहा स्त्री० [हिं० मॅवारना] १ मँवारने की क्रिया या भाव । जैसे,-मैने सँभाल लिया, नही तो वह गिर पडता। ५. २ एक प्रकार का शाप या गाली। रक्षा करना। हिफाजत करना। नष्ट होने या खो जाने से विशेष-कभी कभी लोग यह न कहकर कि 'तुम पर जुदा की वचाना । जैसे,—-इस पुस्तक को वहुत सँभालकर रखना। मार या फटकार' प्राय 'तुम पर खुदा को संवार' कह दिया ६ बुरी दशा को प्राप्त होने से बचाना। बिगडी दशा मे सहायता करना। खराबी से बचाना । उद्धार करना । संवारना-क्रि० स० [सं० सम्वर्णन या सवरण] १ सजाना । अलकृत जैसे,—उसने बडे बुरे दिनो मे संभाला है। ७ पालन पोपण करन। । उ०-कठ कठुला नीलमनि अभोज माल संवारि । करना । परवरिश करना। ८ देखरेख करना । निगरानी -सूर०, १०।१६६ । २ दुरुस्त करना । ठीक करना । करना। ६ प्रवध करना । इतजाम करना। व्यवस्था उ०--सो देही नित देखि के चोच मेंवारे काग |--कविता कौ०, करना । जैसे,--घर सँभालना । १० निर्वाह करना किसी भा०, १, पृ० १६७ । ३ क्रम से रखना। ठीक ठीक लगाना । कार्य का भार अपने ऊपर लेना। चलाना । जैसे,—उमका ४ कार्य सुचारु रूप से सपन्न करना । काम ठीक करना । खर्च हम नहीं संभाल मकते। ११ दशा बिगडने से बचाना । मुहा० -विगडी संवारना = विगडी बात बनाना। रोग, व्याधि, आपत्ति इत्यादि को रोक करना । जैसे,--बीमारी संहरना पु-कि० अ० [स० सहार] नष्ट होना। उ० --हैहय मारे वढ जाने पर सँभालना कठिन हो जाता है। १२ कोई वस्तु नृपजन सँहरे। सो जस ले किन जुग जुग जोजे । केशव ठीक ठीक है, इसका इतमीनान कर लेना । सहेजना। जैसे-- (शब्द०)। देखो १००) है, इन्हे सँभालो। १३ स्मरण करना । याद संहारना-क्रि० स० [सं० सहरण] दे० 'सहारना' । उ०-उहाँ करना । दे० 'सँभारना'। १४ किसी मनोवेग को रोकना। जोश थामना । जैसे,--उसकी कडी बाते सुनकर मै अपने को तो खड्ग नरदइ मारो। इहाँ तो विरह तुम्हार संहारो। -जायसी (शब्द०)। संभाल न सका। स-सक्षा पुं० [स०] १ ईश्वर।। २ शिव । महादेव । ३ माप । ४ सयो० क्रि०--देना ।-लेना। पक्षी। चिडिया। ५ वायु । हवा । ६ जीवात्मा । ७ चद्रमा । सँभाला-मज्ञा पुं० [हिं० समालना] जीवन की ज्योति का वुझने के ८ भृगु। ६ दीप्ति । काति । चमक। १० ज्ञान। ११ चिंता । पूर्व टिमटिमा उठना। मरने के पहले कुछ चेतनता सी आ १२ गाडी का रास्ता। सडक । १३ सगीत मे पडज स्वर ॥ करते हैं।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/८८
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