पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/८२

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संस्थित ४८९८ मम्रो दक्ष। विपय में)। समाप्त । खतम । ७ मृत । मरा हुअा। ८ ढेर लगाया हुप्रा । मम्फाल - पपा पुं० [सं०] १ मेट। मेप । २ मेघ । बाद न (को०)। बटोरा हुया । ६ मिलना जुनता। ममान गो०) १० अदर सम्पुट-वि० [स०] १ र फूटा या गुन पा हुना। २. यव निता रखा हुा । अतवर्ती (को०)। ११ लगा हुया । ग्रामन्न गो०)। हुया। विझमित । ३ मुम्पष्ट । १२ प्रस्थान किया हुमा को०)। १३ (भोजा ग्रादि) अधिक सम्फेट-पया पुं० [मं०] युद्र । नाई। समय से पडा हुमा को०)। १४ प्राधृत । यावारिन (को०)। मस्फोट-पग पुं० [मं०] [ी० मम्फोटि) युद्ध । लाई। १५ टिकाऊ (को०)। १६ भावो )। १७ कुशल 'को०)। सस्मरण - पळा पुं० [म० [१० मम्मरणीय, मम्मन] १ पूर्ण स्मरण । सस्थित'-पञ्चा पुं० १ आचरण । २ आकृति को०] । सूप याद । २ अच्छी तरह सुमिरना या नाम नेना। ३ नमार- जन्य जान। ८ किमो व्यक्ति या विषयात को स्मृति का सस्थिति -सञ्ज्ञा ली० [म०] १ खडे होने को क्यिा या माव । २ ठह- प्राधार बनाकर उसके मन म जिवा प्रा वह ना जिसमे राव । जमाव। ३ बैठने को क्रिया या भान।८ एक यवम्मा म उमको विगिष्टतामा का पाक ना हो सके। रहने का भाव । ज्या का त्या रहने का भार । ५ दृढना । धोरता। : अस्तित्व । हम्नो। ७ रूप । प्राकृति। गूरत। सम्मरणो - वि० [40] १ पूर्ण स्मरण करने याग्य। • नाम जपने ८ व्यवस्था। तरतीय । ६ गुण । सिकन । १० प्रकृति । योग्य। ३ महत्व का । न मूतने वाना। जिससे पाद जगपर- स्वभाव। ११ समाप्ति । खातमा ( विशेपन यज्ञादि के निये )। वनो रहे । ४ जिनका स्मरण मान रह गमाहा। प्रतीत । १२ मृत्यु । मरण। १३ का उबद्वता। कजिन। १८ मम्मारक'-- था पृ० [सं०] [ी० सम्मालिका १ कर जो स्मरण राशि । ढेर । अटाला। १५ सामोय। ग्रासनना (को०)। करता हो। म्मरण गनगाना। पाद दिनानदाना। २ १६ निवास स्थान। आवासस्य न (को०)। १७ गेफ । प्रतिपय वह निर्माण या वस्तु जो भोग, मिति पा कारकिरी का (को०)। १८ अवधि । कालाववि को०) । १६ प्रना (को॰) । स्मृति बनाया गया हो । म्मारक । सस्पर्धा, सस्पर्वा-मथा स्त्री॰ [म०] १ किमो के वरावर होने की सस्मारक'--वि०म्मरण करानेवाना। प्रबल इच्छा। बराबरी को चाह । २ ईप्यो । डाह । मस्मरण-- पठा पुं० [सं०] [वि० मस्मारिस] १ म्मरण कगना । सस्पर्धी, मस्पर्धी-वि० [स० सस्पद्धिन् सस्पधिन्] [खी० सस्पद्विनी] वाद दिलाना । २ गिनती करना । गिनना (चौपाया के १ वरावरी की इच्छा करनेवाला । २ ईप्नु । सस्पर्श-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] १ अच्छी तरह छू जाने का भाव । एक के सामारित--वि० [म०] १ याद दिलाया हमाम्मरण कराया हुमा । अग का दूसरे से लगना। २ ध्यान मे लामा हुमा । याद किया हुमा। विशेष--धर्मशास्त्रो मे कुछ लोगो का मस्पर्ग होने पर द्विजातियो के लिये प्रयश्चित्त का विधान है। यह मस्पदोष शरीर के छु मस्मृत--वि० [१०] १ स्मरण किया हुग्रा । याद किया हुप्रा । २ जाने, पालाप, निश्वन, सहमोजन तथा एक गय्या पर बैठने या अभिहिन । कथित (को०)। ३ अाजप्न । ग्रादिः (को०)। सोने से कहा गया है। मस्मृति- -- पपा सी० [सं०] पूर्ण स्मृति । पूरी याद । २ घनिष्ठ सवध । गहरा लगाव । ३ मिलाप । मेल । ४ मिलावट । सस्यूत--वि० [म०] १ अभेद्य रूप में अच्छी तरह एक मे मिला मिश्रण। ५ इद्रियो का विषय ग्रहण। थोडा सा यावि हुआ। २ मिला हुमा। नत्यो किया हुया । ३ अनुम्यूत । र्भाव । कुछ प्रभाव। ओतप्रोत (को०)। सस्पर्शन- सज्ञा पुं० [स०] [वि० सस्पर्शनीय, सस्पृष्ट] १ छूना । सनव--सा पु० [म०] [बी० मस्रवा] १ एक साथ वह्ना । २ अग से अग लगना।२ मिलना । सटना। ३ मिश्रण ! पूरा वहाव, प्रवाह या धारा । ३ वहतो हुई वस्तु। ८ वहना सस्पर्शी--सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] जनी नामक गध द्रव्य । हुआ जल । ५ एक प्रकार का पिउदान । ६ किमो वस्तु का सस्पर्शी-वि० [स० सस्पशिन्] सपर्क मे आनेवाला। स्पर्श करने नोना हुअा अश । उखडा हुअा चिप्पड । ७ चूना। गिरना । वाला । छूनेवाला। भरना। रसना। सस्पर्शी-सञ्ज्ञा पुं० जनी नामक गध युक्त पौधा (को०] । सस्रवण--सज्ञा पुं० [स.] १ बहना । प्रवाहित होना । २ चूना । सस्पृष्ट-वि० [सं०] १ छूया हुआ। २ सटा हुअा । लगा हुप्रा । मिला झरना । गिरना। हुआ। ३ जुडा हुअा। परस्पर सबद्ध । ४ पास ही पड़ता यौ०--गर्मस्वरण = गर्भपात । गर्भस्राव । हुना। जो निकट ही हो । ५ लेश मान प्रभावित । जिसपर सस्रष्टा-सया पुं० [स० सवष्ट] [स्त्री० सस्रष्ट्री] १ आयोजन करने- बहुत कम असर पड़ा हो । ६ प्राप्न (को॰) । वाला । २ मिलाने जुलानेवाना। मिश्रण करनेवाला । सस्पृष्टम थुना-सचा स्त्री० [स०] वह लडकी जिसे बरगलाया गया हो ३ रचनेवाला। बनानेवाला । निर्माता । ४ भाग लेनेवाला । या जिसे मैथुन का परिचय मिल गया हो । भ्रष्ट । सहयोग देनेवाला (को०)। ५ भिडनेवाला। विशेप-ऐसी लडकी को विवाह के अयोग्य माना गया है। जुटनेवाला। - लडाई मे