पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/७७

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संसाधक ४८९३ ससूचन 1 ससाधक-सरा पु० [सं०] १ पूर्णतया साधन करनेवाला। सपन्न ससारयात्रा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] १ ससार मे रहना । जीवन विताना । करनेवाला । अजाम देनेवाला। २ जीतनेवाला। वश मे २ जिदगी । जीवन [को०] । करनेवाला। ससारसारथि -गहा पु० [म०] १ मसाग्पथ को पार करानेवाला । ससावन-मझा पु० [स०] [वि० समाधनीय, मसावित, सनाध्य] १ २ शिव का एक नाम । अच्छी तरह कना । पूरा करना। अजाम देना। • तैयारी । समारसरणि-मज्ञा स्त्री० [म०] दे० 'समारमार्ग' (को०] । आयोजन । ३ जोतना । दमन करना । वश मे करना। ससारी'-वि० [स० ससारिन्। [वि० सी० ससारिणी] १ ममार समावनीय--वि० [सं०] १ सावन के योग्य । पूरा करने योग्य । २ सबधी। लौकिक । जैसे,—तमारी बाते । २ ममार मे जीतने योग्य । वश मे लाने योग्य । रहनेवाला। समार को माया मे फँमा हुअा। दुनिया के जजाल ससाध्य-वि० [म०] १ पूरा करने योग्य । २ जीतने योग्य । दमन से घिरा हुया । जैसे,-समारी जीवो के कल्याण के लिये यह करने योग्य । ३ जिसे करना हो । करने योग्य । ४ जिसे जीतना कथा हे । ३ लोकव्यवहार मे कुशल । दुनियादार । ४ वार या वग मे करना हो। वार जन्म लेनेवा ना। भवचक्र मे बँधा हुआ । जैसे -- समारी ससार-मज्ञा पुं० [सं०] १ लगातार एक अवस्था से दूसरी अवस्था ग्रात्मा । ५ मसरण करनेवाना । दूर तक जाने या व्याप्न होने- मे जाते रहना । २ वार वार जन्म लेने की परपरा । वाला (को०)। आवागमन । भवचक। जगत् । दुनिया। विश्व । सृष्टि । मसारी'--मबा पु० १ प्राणी । जीव । २ जीवात्मा [को० । ४ इहलोक । मर्त्यलोक। ५ मायाजाल । माया का प्रपच । पसि पु-सन्ना सी० म० शस्य] २० 'शम्य' । उ०--जिन समिन को जीवन का जजाल । ६ गृहस्थी। ७ दुर्गध खदिर। विट सीच तुम, करी सुहरी बहारि। - दीन० ग्र०, पृ० २०१। खदिर । ८ मार्ग । पथ (को०)। सरिक्त-वि० [म०] खूब सीचा हुआ। जिसपर खूब पानी छिडका, यौ--समारगमन = जन्म मरण का चक्कर। समारगुरु । नसार गया हो । आई । तर । चक्र । ससारतिलक । ममारपथ। समारपदवी। ससारवधन = ससिद्ध-वि० [म०] १ पूर्णतया सपन्न । अच्छी तरह किया हुआ । जागतिक जीवन का पाण या मोह । ससार भावन । समार २ प्राप्न । लब्ध। ३ अच्छी तरह सीझा या पका हुआ । मार्ग । ससारमोक्ष = समार मे छुटकारा । ससारमोक्षण = (भोजन)। ४ जो नीरोग हो गया हो। चगा। स्वस्थ । ५ ममारयाना। समारवजित = सामारिकता से मुक्त। समार तैयार । उद्यत । प्रस्तुत । ६ किसी बात मे पक्का । कुशल । वर्म = मसार का मार्ग । ससारसग=मामारिकता। ससार- निपुण । ७ जिसका योग सिद्ध हो गया हो। मुक्त । सुख = समार का आनद । भौतिक सुख । ८ कृतमकल्प (को०)। ६ तोपयुक्त । सतुष्ट (को॰) । ससारगुरु--स्या पं० [सं०] १ ससार को उपदेश देनेवाला। जगद्- ससिद्धार्थ--वि० [स०] जिसका उद्देश्य या अभिप्राय सिद्ध हो गया गुरु । ० कामदेव । स्मर । हो ।को०] । ससारचक्र--मा पु० [म०] १ जन्म पर जन्म लेने की परपरा । सनिद्वि--मना सी० [म०] १ सम्यक् पूर्ति । किसी कार्य का अच्छी नाना योनियो मे भ्रमण । २ माया का जाल । दुनिया का तरह पूग होना। २ कृतकार्यता । सफलता। कामयाबी । ३ चार । प्रपच । ३ जगत् की दशा का उलट फेर । स्वस्थता । ४ पक्वता। सोमना। ५ पूर्णता। ६ मुक्ति । ससारए--सहा पु० [स०] चलाना । सरकाना । गति-देना। मोक्ष । ७ परिणाम | आखिरी नतीजा। ८ पक्की वात । ससारतिलक--मज्ञा पु०म०] १ एक प्रकार का उत्तम चावल । निश्चित बात। न टलनेवाला वचन । है निमर्ग । प्रकृति । उ०-कोरह्न, बडहन, जडहन, मिला। प्रो समारतिलक १० स्वभाव । आदत । ११ मदमस्त म्ही। मदोग्रा। खंडविला--जायसी (शब्द॰) । ससी-मता स्त्री० [हि० सेंडसो] दे॰ 'सटमी' । ससारपथ--सशा पु० [म०] १ मामारिक प्रपच । सामाराि जीवन । ससीमित---वि० [सं० सम् + सीमित] पूर्णत सकुचित । जो सीमा के २ ससार मे गाने का मार्ग । स्त्रियो की जननेद्रिय । भीतर ही हो। उ०--ये राज्य अपने क्षेत्र मे ही समीमित ससारपदवी--सता मी० [स०] मसारपय । ससारमार्ग पो०] । रहते थे।-मा० सैन्य०, पृ० ५। ससारभावन-मञ्ज्ञा पु० [म०] समार को दुःखमय जानना । ससुखित-वि० [सं०] पूर्णत तुष्ट । पूर्ण अानदित [को॰] । विशेप--यह जान चार प्रकार का हे--नरकगति, तिर्यग्गति, समुप्त-वि० [स०] यूब सोया हुआ । मनुष्यगति और देवगति । ससूचक-वि०, मज्ञा पु० [स०] [म्यौ० ममूत्रिका] १. प्रकट करनेवाला। ससारमार्ग--सज्ञा पुं० [म.] १ स्त्रियो की जननेद्रिय। २ मामा. २ जतानेवाला । ३ भेद खोलनेवाला । ४ समझाने बुझाने- रिक जीवन (को०)। वाला । कहने मुननेगला । ५ डॉटने टपटनेवाला । ससारमोक्षण-सना पु० [स०] १ वह जो मववधन मे मुक्त करे । ससूचन-सज्ञा पुं० [स०] [वि० समूचनीय, ममूचित, समूच्य] १ २ मगार से छुटकाग [को०] । अच्छी तरह प्रकट करना । जाहिर करना। २ बात खोलना । सं० श०१०-८ -