संशुद्ध ४८६० सश्रति सशुद्ध-वि० [म०] १ ययेष्ट शुद्ध । विशुद्ध । २ साफ किया हुआ। सशोषए'-मुंज्ञा पुं० [सं०] [वि० सशोपणीय, संशोपिन, नगोप्य] स्वच्छ या शुद्ध किया हुप्रा । त्रुकाया हुया। चुकना किया हुमा । १ विल्कुल सोखना । जज्ब करना । २ मुखाना । वेबाक (ऋण)। ४ जांचा हुअा। परोक्षित । ५ अपराध या सशोपग-वि० सुखाने या सोखनेवाला मो०] । दड आदि से मुक्त किया हुआ। ६ जो प्रायश्चित्त आदि सशोषणीय-वि० [सं०] सशोषण योग्य । सोखने योग्य । विधानो द्वारा दोपरहित हो। जैने, -सशुद्ध पातक । सशोषित -वि० [स०] सोखा या सुखाया हुआ। यो०-सशुद्धकिल्विप = निप्पाप । पापमुक्त । सशुद्धपातक = प्राय सशोषो-वि० [म० सशोपिन्] १ सोखने या जज्ज करनेवाला । श्चित्त द्वारा पारमुक्न । २ सुखा देनेवाला । जैसे, बुखार, सुखडी ग्रादि रोग (को०] । सशुद्धि -मझा बी० [म०] १ पूरो मझाई । पूरो पवित्रता । २ शगेर सशोष्य-वि० [स०] साबने योग्य । जिसे सोखना या सुबाना हो । को सफाई। ३ गुद्ध करना । स्वच्छ या विमल करना (को०)। ४ सशोधन । सुधार (को०)। ५ (ऋण का) भुगतान या सश्चत्-सञ्ज्ञा पु० [म०] १ इद्रजाल । वाजोगरो । माया। जादू । २ छल । छद्म । घोखा। दावश्च । ३ ऐद्रजालिक । जादूगर । परिशोध (को०)। मायिक (को०] । सशुष्क-वि० [स०] १ विल्कुल सूखा हुअा। खुश्क । २ नोरस । सश्यान्- ज्ञा पुं० [म०] १ (शोत से) ठिठुरा हुमा। सिकुडा हुआ। ३ जो सहदय न हो । अरमिक । ४ कुम्हलाया हुप्रा (को॰) । २ जमा हुआ। ३ लिपटा या लपटा हुआ (को०)। ४ सशून--वि० [म०] अत्यन शोथ युक्त या फूला हुअा को०] । अवसन्न (को॰) । सशृगो-मज्ञा सी० [म० सदगो। एक प्रकार को गौ। वह गाय जिसके शृग आमने सामने घूमे हो को०] । सश्रय-सञ्ज्ञा पु० [म०] १ सयोग । मेल । सवध । समागम । लगाव । सपर्क । ३ आश्रय । शरण । पनाह । ४ सहारा। अवलब । सशोधक-सज्ञा पुं० [स०] १ शोधन करनेवाला। सुधारनेवाला । ५ राजापो का परम्पर रक्षा के लिये मेल । अभिमधि । दुरस्त या ठीक करनेवाला। २ सस्कार करनेवाला । बुरो से विशेष-स्मृतियो मे यह राजा के छ गुणो मे कहा गया है और अच्छी दशा में लानेवाला। ३ प्रदा करनेवाला । चुकानेवाला । दो प्रकार का माना गया है-(१) शन्नु मे पोडित हो कर सशोधन'-सज्ञा पु० [सं०] [वि० सशोबनोय, सशोधित, सशुद्ध, दूसरे राजा को सहायता लेना, पोर (२) शन्नु मे पहुँचने- सशोध्य] १ शुद्ध करना। साफ करना। स्वच्छ करना । वालो हानि को प्राशका से किमी दूसरे बलवान् राजा का २ दुरुस्त करना। ठोक करना । सुधारना। सस्कार करना । ग्राश्रय लेना। त्रुटि या दोप दूर करना। कमर या ऐव निकालना। ३ चुकता ६. पनाह को जगह । शरण स्थान । ७ रहने या ठहरने को करना । अदा करना । वेवाक करना। (ऋण आदि)। जगह। घर। ८ विश्राम को जगह । विश्रामस्वान (को०)। सशोधन'-वि० [स०1१ जिसमे गुद्ध किया जाय। सुधारने, शुद्ध करने, ६ उद्देश्य । लक्ष्य । मतलब । १० किमो वस्तु का अग । सस्कार करने का माधन । सुधारनेवाला । २ विकारो हिस्सा। (वात, पित्तादि) को दूर करनेवाला 'को०] । सश्रयए-- ञ्चा पु० [सं०] [वि० सययणोय, सश्रयो, मश्रित] १. सहारा सशोधनोय-- ० [सं०] १ साफ करने योग । २ सुपारने या ठोक लेना। अवलव पकडना। २ शरण लेना। पनाह लेना। करने योग्य । ३ कर्ज आदि जो चुकना किया जाय । बेबाक ३ आसक्ति (को०)। करने योग्य (को०)। मश्रयगोय--वि० [स०] १ सहारा लेने योग्य । २ शरण लेने योग्य । सशोधित-वि० [सं०] १ खूब शुद्ध किया हुमा । २ सुधारा हुआ । सश्रयो'–वि० [स० सश्रयिन्] [वि० श्री. सश्रयिणी] १ सहारा लेने- ठीक किया हुआ । दुरुस्त किया हुअा। ३ वेवाक किया हुआ। वाला। २ शरण लेनेवाला। चुकाया हुआ (यो०)। सश्रयो-सञ्ज्ञा पुं० भृत्य । नौकर । मशोधी-वि० (स० सशोधिन्] [वि॰ स्त्री० सशोधिनो] १ सुधारने सश्रव'-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ सुनना। कान देना। २ अगीकार । वाला। दुरुस्त करनेवाला। ३ चुकानेवाला । जैसे,—ऋण स्वीकार । मानना । रजामदी। ३ वादा । प्रतिज्ञा । करार। मशोधी (को०)। सश्रव-वि० जो सुना जा सके । सुनाई पडनेवाला। संशोव्य-वि० [स०1१ साफ करने योग्य । २ सुधारने या ठीक सश्रव-सज्ञा पुं० [म० सथवस्] ख्याति । प्रसिद्धि । गौरव को०] । करने योग्य। ३ जिसका मुधार करना हो। ४ जिसे साफ करना हो। ४ जिसे चुकाना या वेबाक करना हो (को॰) । सश्रवण-सञ्ज्ञा पु० [स०] [वि० सश्रवणीय, सश्रुत] १ सुनना। खूब कान देना। २ अगीकार करना। स्वीकार करना। ३. वादा संशोभित-वि० [स०] मजा हुप्रा। शोभित। अलकृत [को०] । करना। करार करना। ४ श्रवण का क्षेत्र । जहाँ तक कान सशोप-सक्षा पुं० [स०] १ शोपण। सोखना। जज्ब करना।२ शुष्क सुन सके वह क्षेत्र या दूरी (को०)। ४ कान । बवरण (को॰) । करना । सुखाना [को॰] । सश्रात-वि० [सं०सश्रान्त] विल्कुल थका हुआ। शिथिल । पसमांदा ।
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