संप्रेप ४८७४ सब सप्रेपण -सझा पुं० [स० सम्प्रपण] [वि० सप्रेपित, सप्रेप्य] १ अच्छी सव'-सज्ञा पु० [स० संबन्ध सॅम्बन्ध] १ एक साथ बँधना, जुडना या तरह भेजना । प्रेपण करना । २ छुडाना। वरखास्त करना । मिलना।२ लगाव । सपर्क । वास्ता । काम से हटाना। विशेष-दर्शन मे सबध तीन प्रकार के कहे गए है-समवाय, सप्रेपणो. -~-मक्षा मी० [म० सम्प्रेपणी] मृतक का एक कृत्य जो द्वादशाह सयोग और स्वरूप। को होता है। ३ एक कुल मे होने के कारण अथवा विवाह, दत्तक आदि सपित-वि० [म० सम्प्रेपित) १ भेजा हुआ । जिमका प्रेपण किया सस्कारो के कारण परस्पर लगाव । नाता। रिश्ता। ४ गया हो । २ अाहूत । कोला। गहरी मित्रत।। बहुत मेलजोल । ५ सयोग । मेल। ६ विवाह । सगाई। ७ ग्रथ । पोयो। ८ एक प्रकार की ईति सप्रैप-सज्ञा पुं० [स० सम्प्रेप] १ यज्ञादि मे ऋत्विजो को लगाना । नियुक्ति । २ आमन्त्रण । आह्वान । ३ प्रेपण । भेजना या उपद्रव । ६ किसी सिद्धान का हवाला । १० व्याकरण मे (को०)। ४ हटना (को०)। एक कारक जिससे एक शब्द के साथ दूसरे शब्द का सबध या ल गाव सुचित होता है । जसे,-राम का घोडा । सप्रोक्त-२० [स० सम्प्रोक्त] १ कयिन। कहा हुना। बताया हुप्रा । विशेष-बहुत से वैयाकरण 'सबब' को शुद्ध कारक नही मानते । जिमे घोपित किया गया हो। २ जिसे पुकारा गया हो। हिंदो मे सबध के चिह्न 'का', 'की' 'के' है । सबोधित [को०] । १० पोग्यता । औचित्य (को०)। ११ समृद्धि । सफलता (को०)। सप्रोक्षए-मज्ञा पुं॰ [म० मम्प्रोक्षण] [वि० मप्रोक्षित, सप्रोक्ष्य १ १२ नातेदारी। रिश्तेदारी (को०)। बूब पानी छिडकना। अभिषेवन । सिंचन । २ खूब पानी सबंध'-०१ समर्थ । योग्य । २ उचित । प्रयुक्त । ठीक (को०]। छिडक कर (मदिर प्रादि) साफ करना । धोना । सवक'- पञ्चा पुं० [सं० सम्बन्धक १ मेल जोल । लगाव । मैत्री। सप्रोक्षणी-पश स्त्री० [म० सम्प्रोक्षणो] अभिपेचन या सप्रोक्षण के २ जन्म या विवाहजन्य सवध । ३ मित्र । सखा । ४ वह निमित्त उपकरिपत जल को०] । जिससे रिश्ता या सबध हो । सवयी। ५ एक प्रकार को शाति- सप्लव- पु० [स० मम्प्लव] [वि० सप्लुत] १ जल से तरावोर सधि । मैत्री सधि को०] । होना । जल को वाढ । बहिया । २ भारी समूह । घनी राशि । सवधक'-०१ सबद्ध । विषयक । २ उपयुक्त । योग्य । ठीक [को० । ३ हलचल। शोरगुन । हल्ना। ४ जलप्लावन । जलप्रलय सबधयिता-वि० [स० सम्बन्धयितृ। सवध करने या जोडनेवाला (को॰] । (को०)। ५ महोमि। कल्लोल । लहर (को॰) । ६ अत। सवधजित-सञ्ज्ञा पुं० [स० सम्बन्धवजित] १ ससक्ति या अन्वय का ममाप्ति (को०)। ७ वर्पा । वृष्टि (को०) । ८ व्यतिक्रम । क्रम अभाव । २ वह जो किसी से लगाव या सबंध न रखता हो । मे न होना (को०) । ६ उच्छेद । विध्वम (को॰) । ३ एक प्रकार का रचनागत दोप (को०] । सप्लुत-वि० [मं० सम्प्नुत] जल मे तराबोर । डूबा हुआ। मबधातिशयोक्ति-पञ्चा सी० [म० सम्बन्वातिशयोक्ति) अतिशयोक्ति सप्लुति -मदा श्री० [म० सम्नुति] पोछे से हाथी पर कूदना [को०] । अलकार का एक भेद जिसमे असबध मे सवव दिखाया जाता है। सफल-सपा पु० [सं० सम्फल | १ वह जो फल या बोज से युक्त हो। विशेपदे० 'अतिशयोक्ति'। २ दे० 'सफाल' (को०] । सवधिभिन्न-वि० [स० सम्बन्धिभिन्न सबधियो में विभक्त । जो रिश्तो सफान-पा पुं० [स० सम्फाल मेप । भेड । मे बँटा हुआ हो [को०] । सफुल्ल-वि० [स० मम्फुल्ल] जो पूर्णत विकसित हो। भली भाँति सबधिशब्द-पञ्चा पं० [म० सम्बन्धिशब्द। वह शब्द जो दो व्यक्तियो खिला दुग्रा को०] । या वस्तुप्रो मे सबध का द्योतन करे। सवध सूचित करनेवाला सफेट-पग पुं० [म० मम्फेट] १ कोब ने परस्पर भिडना । भिडत । शब्द [को०] । नहाई । २ झगडा । कहासुनी । तकरार । ३ नाट्य मे विमर्श सबधी'-वि० [स० सम्बन्धिन्] [वि॰ स्त्री० सवधिनी] १ सबंध रखने- सधि के तेरह भेदो मे मे एक का नाम । ४ नाट्य मे आर वाला। लगाव रखनेवाला। २ विपयक। सिलमिले या प्रसग मटी का एक भेद । का । ३ सद्गुण सपन्न (को०)। ४ जिसके माथ विवाहादि विरोप -नाट्यशास्त्र मे विमर्श के तेरह भेदो मे से एक सफेट सवध हो (को०)। भी है। रोप भरे मापण का सफेट कहा गया है। जैसे,- सवधी-पचा पु० १ रिश्तेदार । २ जिसके पुन या पुत्री से अपनी राजसभा मे शकुतना अोर दुष्यत को कहा मुनी, वेणो सहार पुनी या पुन का विवाह हुमा हो । समधी । ३ वह जिसका मे दुर्योधन और भीम को गेपपूर्ण कहासुनी जो धृतराष्ट्र की सबध या लगाव हो (को०)। राजमभा म हुई थी। प्रारभटो के चार भेदो मे से भी एक सवधु-सज्ञा पुं॰ [स० सम्बन्धु] १ आत्मीय । भाई विरादर। २ सकेट है जिसम दो पात्र परस्पर मिडते और एक दूसरे को नातेदार । रिश्तेदार। दबाने का प्रयत्न करते है। जैसे,-मालती माधव नाटक मे सब-सचा पुं० [स० सम्ब] १ खेत की दुहरी जुताई। दे० शव'। माधव मोर अघोरघट की मुठभेड । २. जल । पानी (को०)।
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