सौमनसायनी ८०२५ सौम्यगधी रात। । मागलिक । शुभ। सौमनसायनी--सज्ञा स्त्री० [स०] जावित्री । जातीपत्री। सौमी-मंज्ञा स्त्री० [स० सौम्यी] दे० 'सौम्यी' । सोमनसी-मज्ञा सी० [म०] कर्म मास अर्थात् सावन मास की पांचवी सौमुख्य---मज्ञा पु० [सं०] १ सुमुखता। २. प्रसन्नता । खुशी । सौमेद्र--वि० [म० सोमेन्द्र] सोम और इद का । सोन और इद्र सबधी । सौमनस्य-सज्ञा पु० [स०] १ प्रसन्नचित्तता। प्रसन्नता। आनद । २ सौमेक्षक--मज्ञा पु० [स०] सोना। सुवर्ण। श्राद्ध मे पुरोहित या ब्राह्मण के हाथ मे फूल देना । (भागवत)। सोमेघ---सज्ञा पुं० [स०] कई सामो के नाम । ३ भागवतोक्त प्लक्ष द्वीप के अतर्गत एक वर्ष का नाम जहाँ के सौमेधिक'--वि० [स०] १ दिव्य ज्ञान से सपन्न । जिसे दिव्य ज्ञान देवता सौमनस्य माने जाते है। ५ विवेकशीलता। सुवोधता । हो । जिसको धारणावती बुद्धि शोभन हो। उत्कृष्ट एव सौमनस्य--वि० आनद देनेवाला । प्रसन्नता देनेवाला। शोभन मेधायुक्त या तत्सबधी। सौमनस्यायनी-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] मालती का फूल । सोमेधिकर--मज्ञा पु० दिव्य ज्ञानयुक्त सिद्ध । मुनि । सोमना--सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १ फूल । पुष्प । २ कली। कलिका । सौमेरव'-सञ्ज्ञा पु० [म०] १ सुवर्ण । २ इलावृत्त खड का एक नाम । ३ एक दिव्यास्त्र का नाम । सौमेरव-वि० [वि॰ स्त्री० सीमेरवी] सुमेरु सबधी । सुमेरु का। सौमपौष--सज्ञा पु० [स०] एक साम का नाम जिसमे सोम और पूपा सौमेरुक-सज्ञा पु० [स०] सोना। सुवर्ण । की स्तुति है। सौमेरुक--वि० [वि॰ स्त्री० सोमेरुको] सुमेरु सवधी। सुमेरु का । सौमापौप्पा--सञ्ज्ञा पु० [स०] एक साम का नाम । सौमापौष्ए-वि० सोम और पूषण का । सौमौती--पज्ञा स्त्री० [स० सोमवती] सोमवती अमावस्या । उ०-- सौमोती की न्हाँनु परयो ऐ, परमी न्हाइवे जाऊँ मेरी बीर । सौमायन--सज्ञा पुं० [स०] सोम अर्थात् चद्रमा के पुत्र बुध -पोद्दार अभि० ग्र०, पृ० ६६६ । सौमारौद्र--वि० [स०] सोम और रुद्र सबधो । सोम और रुद्र का । सौम्य'---वि० [सं०] [वि॰ स्त्री० नौम्या, सौम्यो] १ सोम लता सबधी । सौमिक'---वि० [स०] १ सोम रस से किया जानेवाला (यज्ञ)। २ २ सोमदेवता सबधी। ३ चद्रमा सवधी। ४ शीतल और सोमयज्ञ सबधी । ३ सोम अर्थात् चद्रमा मवधी । ४. सोमायण स्निग्ध । ठढा गैर रसीला। ५ गभीर और कोमल स्वभाव या चाद्रायण व्रत करनेवाला । ५ सोम रस सबधी (को०)। का। सुशील । शात । नम्र। ६ उत्तर की ओर का। ७ सौमिक'--सज्ञा पु० [स० सौमिकम] १ सोम रस रखने का पान । ८ प्रफुल्ल । प्रसन्न । ६ मनोहर । प्रिय २ मदारी।-प्रा० भा०, पृ० २६६ । दर्शन । सुदर । १० उज्वल । चमकीला । सौमिकी--सज्ञा स्त्री० [म.] १ एक प्रकार का यज्ञ। दीक्षरणीयेष्टि । सौम्य--सज्ञा पुं० १ सोम यज्ञ । २ चद्रमा के पुत्र, बुध । ३ वाह्मण । २ सोम लता का रस निचोडने की क्रिया। ४ भक्त । उपासक । ४ वायाँ हाथ । ६ गूलर। उदुवर । सौमितिक-सशा पु० [स०] कौटिल्य द्वारा उल्लिखित एक प्रकार का ७ यज्ञ के यूप का नीचे से पद्रह अरलि का स्थान। ८ लाल ऊनी कपडा किो०)। होने के पूर्व की रक्त की अवस्था। (आयुर्वेद)। है पित्त। सौमित्र-मशा पु० [स०] १ सुमित्रा के पुत्र, लक्ष्मण | उ०--सिय १० मार्गशीर्ष मास । अगहन। ११ साठ सवत्सरो मे से एक । दिशि मुनि कह जात, लखि सीमिन्न उदार मति । कछक स्वस्ति विशेष--इस सवत्सर मे अनावृष्टि, चूहे, टिड्डो आदि से फसल को अवदात निज चित मैं अानत भए ।--मिश्रबध (शब्द०)। २ हानि पहुँचती, रोग फैलता और राजानो मे शत्ता होती है। लक्ष्मण के छोटे भाई शत्रुघ्न। ३ कई सामो के नाम । ४ १२ ज्योतिप मे सातवे युग का नाम। १३ ब्राह्मणो के पितरो मिनता। मंत्री । दोस्ती। का एक वर्ग । १४ एक कृच्छ्र या कठिन व्रत । १५ वृप, कर्कट, सौमित्रा--सश) स्त्री० [स० सुमित्रा] दे० 'सुमिना' । उ०-प्रति कन्या, वृश्चिक, मकर और मीन राशि। १६ एक द्वीप का फूले दशरथ मनही मन कौशल्या सुख पायो। सौमित्रा कैकेयी नाम । (पुराण)। १७ सुशीलता। सज्जनता । भलमनसाहत । मन अानंद यह सवहिन सुत जायो ।—सूर (शब्द॰) । १८ मृगशिरा नक्षत्र । १६ बाईं आँख । वाम नेन। २० सौमित्रि-सशा पुं० [स०] १ सुमित्रा के पुन्न, लक्ष्मण। उ०--एहि हथेली का मध्य भाग। २१ दिव्यास्त्र । उ०-सत्य अस्त्र विधि रघुकुल कमल रवि मग लोगन्ह सुख देत। जाहिं चले मायास्त्र महाबल घोर तेज तनुकारी। पुनि पर तेज विकर्षण देखत विपिन सिय सौमित्नि समेत ।--तुलसी (शब्द०)। २ लीजें सौम्य अस्त्र भयहारी।-रघुराज (शब्द०)। लक्ष्मण के भाई शत्रुघ्न । ३ एक प्राचार्य का नाम । सौम्यकृच्छ्र-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ एक प्रकार का व्रत जिसमे पांच दिन सौमित्रीय-वि० [म.] सौमित्रि सवधी। क्रम से खली (पिण्याक), भात, मठे, जल और सत्तू पर रहकर सौमिलिक-सा पु० [म०] बौद्ध भिक्षुको का एक प्रकार का दड छठे दिन उपवास करना पडता है। २ एक व्रत जिसमे एक रात जिसमे रेशम का गुच्छा लगा रहता है। दिन खली, मट्ठा, पानी और सत्तू खाकर रहते है। सौमिल्ल--सज्ञा पु० [सं०] कालिदास द्वारा उल्लिखित एक प्रसिद्ध सौम्यगंधा-सञ्ज्ञा सी० [स० सौम्यगन्धा] सेवती । शतानी । नाटककार। सौम्यगधी-सक्षा स्त्री० [स० सौन्यगन्धी] सेवती। शतपत्री। हिं० श० १०-६२
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/५०५
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।