सौक ८०१७ सौगधा अर्थिक । सौक-वि० [हिं० सौ+ एक एक सौ। उ०-नैन लगे निहिं लगनि सीधम--मा पुं० [म०] दे० 'मोक्षम्य'। सौ छुट न छूटे प्रान । काम न पावत एकहू तेरे सौक सयान । सीधमक-सज्ञा पुं॰ [म.] बारीक कोडा । मूक्ष्म कीट । -विहारी (शब्द०)। मधि--सक्षा पु० [म.] नूग का भाव । मूदमता । बारीकी । सौक-सचा पुं० [फा० शौक] दे० 'शौक' । सौख'--सरा पु० [स०] १ सुन का भाव या धर्म । मुखता। मुख । सौकना-सहा स्त्री० [हिं० सौक या सौतन] दे० 'सौत' । प्राराम । २ मुख का अपत्य । सौकन्य-वि० [सं०] सुकन्या सबधी । सुकन्या का। सीखg:-सज्ञा पुं० [फा० शोक] दे० 'शोक' । सौकर-वि० [स०] [वि॰ स्त्री० सौकरी] १ सूकर या मूअर का । सौखपानिक--सज्ञा पुं० [सं०] भाट । बदी । स्तावक । २ सूकर या सूअर सबधी । ३ वाराह अवतार सबधी। सीखरात्रिक--सञ्ज्ञा पुं० [सं०] वदी। वैतालिक। स्तुतिपाठक । अर्थिक। सौकर---सज्ञा पुं० दे० 'सोकर तीर्थ' । सौकरक'--सज्ञा पुं० [मं०] सोकर तीर्थ । सौखशय्यिक सशा पुं० [स०] वैतालिक । स्तुतिपाठक । वदी। सौकरक'-वि० सूअर सबधी । सूअर का । दे० 'सौकर' । सौखशायनिक-सज्ञा पुं० [स०] १ वैतालिक । स्तुतिपाठक । अर्थिक । सौकर तीर्थ--सञ्चा पुं० [सं०] एक प्राचीन तीर्थ का नाम । वदी। २ सुखपूर्वक शयन की वार्ता पूछनेवाला । वह जो किसी सौकरायण--सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ शिकारी। शिकार करनेवाला । से उसके नुखशयन की वात पूछे (को॰) । व्याध । अहेरी। २ वैदिक आचार्य का नाम । सौखशायिक -मशा पुं० [स०] १. वैतालिक । स्तुतिपाठक । अर्थिक । सौकरिक--सज्ञा पु० [स०] १ सूअर का शिकार करनेवाला। २ वदी। २ दे० 'सौखशायनिक' (को०) । शिकारी । व्याध । ३ सूअर का व्यापार करनेवाला। सौखसुप्तिक-सशा [स०] १ वैतालिक। स्तुतिपाठक । वदी । २ दे० सौकरीय--वि० [सं०] सूअर सवधी । सूअर का। सौखशायनिक' (को०)। सौकर्य--सज्ञा पुं॰ [स०] १ सुकर का भाव । सुकरता। सुमाध्यता। सौखा वि० [हिं० सुख] सहज । सरल । २ सुविधा । सुभीता । ३ सूकर का भाव या धर्म । सूकरता। सोखिक-वि० [स०] १. सुख चाहनेवाला। सुखार्थी । २. सुख से सुअरपन । ४ निपुणता। कुशलता (को०)। ५ किसी भोज्य सबधित । ३ आनदप्रद (को०) । पदार्थ या ओषधि की सरल तयारी (को०) । सौखी सज्ञा पुं० [फा० शोख या शौकीन] गुडा । बदमाश । सौकीन--सज्ञा पु० [फा० शौकीन] दे० 'शौकीन' । सौखीन-सज्ञा पु० [फा० शौकीन] दे० 'शौकीन'। सौकीनी-सञ्ज्ञा स्त्री० [फा० शौकीनी। दे० 'शौकीनी' । सौखीय-वि० [स०] १ दे० 'सौखिक'। २ सुख या ग्रानद सवधी। सौकुमारक-सज्ञा पुं० [स०] सुकृमार का भाव या धर्म। सुकु- सुखदायक [को०)। मारता । सौकुमार्य । सौख्प-सज्ञा पुं० [म०] १ सुख का भाव । सुखता। सुखत्य । २. सुख । पाराम । आनदमगल । सौकुमार्य'---सज्ञा पुं० [स०] १ सुकुमार का भाव । सुकुमारता । कोमलता। नाजुकपन । २ यौवन । जवानी। ३ काव्य का सौख्यद-वि० [स०] सुख देनेवाला । अानद देनेवाला । सुखद । एक गुण जिसके लाने के लिये ग्राम्य और श्रुतिकटु शब्दो का सौख्यदायक'-मश पुं० [स०] मूंग । मुग्द । प्रयोग त्याज्य माना गया है। सौख्यदायफ-वि० सुख देनेगला [को०] । सौकुमार्य-वि० सुकुमार । कोमल । नाजुक । सौख्यदायी-वि० [स० सौख्यदायिन् सुख देनेवाला । सुखद । सौकृति--सज्ञा पुं० [स०] १. एक गोत्रप्रवर्तक ऋषि का नाम। २ सौख्यशायनिक-सज्ञा पुं० [म०] दे० 'सौखशायनिक' (को०] । उक्त ऋषि के गोत्र का नाम । सौगद-सा स्त्री० [० सौगन्ध] शपथ । कसम । सोह। उ०--(क) सौकृत्य-सज्ञा पुं० [स०] १ याग, यज्ञादि पुण्यकर्म का सम्यक अनु नगर नारि को यार भूलि परतीति न कीज। सो सौ सौगद प्ठान । २ दे० 'सौकर्म। खाय चित्त में एक न दीजै ।-गिरिधर (शब्द०)। (प) सौकृत्यायन--सज्ञा पुं० [सं०] वह जो सुकृत्य के गोत्र मे उत्पन्न वस्ताद की सौगद मुझे हम तो बाबा हारे। कहत केशव गगन हुना हो। मगन सोइ अल्ला के प्यारे ।--दक्खिनी०, पृ० १२३ । (ग) सौक्ति-सरा पुं० [सं०] १ एक गोत्र का नाम । प्रारणधन | सच तुमको सौगद, तुम्हारा यह अभिनव है साज । -भरना, पृ० ४३ । सौक्तिक-वि० [सं०] सूक्त सवधी। सूक्त का। क्रि० प्र०-पाना।-देना। सोक्तिक-सज्ञा पुं० वह जो सिरका प्रादि बनाता हो । शौक्तिक । सौग'-सरा पुं० [• सौगन्ध] १ सुगधित तेल, इन प्रादि का २ एक प्राचीन नपि का नाम । हि. श० १०-६१
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४९७
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।