सोमाग ८००६ सोमेश्वररस तिथि। नाम। 1 सोमाग-सा पु० [स० सोमाइग] सोम याग का एक अग। सोमाल-वि० [सं०] कोमल । नरम । मुलायम । स्निग्ध । चिक्वण । सोमाश, मोमाशक-सज्ञा पु० [सं०] चद्रमा का अश । मोमालक–सञ्चा पु० [स०] पुखराज । पुष्पराग मणि । सोमाणु-वज्ञा पुं० [सं०] १ चद्रमा की किरण । २ सोमलता का सोमावती-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] चद्रमा की माता का नाम । उ०-- अकुर । ३ सोमयाग का एक अंग। विनता सुत खगनाथ चद्र सोमावति केरे। सुरावती के सूर्य सोमा-सा श्री० [स०] १ सोमलता। २ महाभारत के अनुसार रहत जग जासु उजेरे ।--विश्राम (शब्द०)। एक अप्परा का नाम । ३ मारकडेय पुराण के अनुसार एक सोमावर्त--सज्ञा पु० [स०] वायुपुराण के अनुसार एक स्थान का नाम । नदी का नाम । सोमाश्रम-सञ्ज्ञा पु० [स०] महाभारत के अनुसार एक तीर्थ का नाम । सोमा'-सशा पु० [म० सोमन्] १. सोम यज्ञ का कर्ता । २ सोम को सोमाश्रय-सज्ञा पुं० [सं०] शिव । रुद्र । निचोडनेवाला व्यक्ति। ३ यज्ञ का उपकरण । ४ चद्रमा । सोम (को०] । सोमाश्रयायएग-सज्ञा पु० [स०] १ महाभारत के अनुप्तार एक तीर्थ सोमाख्य--सज्ञा पुं० [सं०] लाल कमल । का नाम । २ शिव जी का स्थान । सोमाद-वि० [स०] सोम भक्षण करनेवाला। सोमाप्टमी--सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] सोमवार को पड़नेवाली अष्टमी सोमाधार--सझा पु० [स०] एक प्रकार के पितर । सोमापि-सज्ञा पुं० [सं०] पुराण के अनुसार सहदेव के एक पुत्र का सोमाष्टमी व्रत-सज्ञा पु० [स०] एक प्रकार का व्रत जो सोमवार को पडनेवाली अष्टमी को किया जाता है सोमापूपए-सज्ञा पुं० [स०] सोम और पूपण नामक देवता । सोमास्त्र-सज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का अस्त्र जो चद्रमा का अस्त्र सोमापीण-वि० [स०] सोम और पूषण का। सोम और पूषण माना जाता है । उ०-सोमास्त्रहु सौरास्त्र सु निज निज रूपनि सवधी। धार। रामहि सो कर जोरि सव वोल इक बार।-पदमाकर (शब्द०)। सोमाभ-वि० [सं०] चद्र की तरह दीप्तिमान् (को॰] । सोमाह-सञ्ज्ञा पुं० [स०] चद्रमा का दिन । सोमवार । सोमाभा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं०] चद्रावली। चद्र रश्मि । सोमाहुत-वि० [स०] जिसकी सोमरस द्वारा तृप्ति की गई हो। सोमाभिषव-सज्ञा पु० [सं०] सोम के रस को चुपाना (को०] । सोमायन--सज्ञा पु० [०] महीने भर का एक व्रत जिसमा २७ दिन सोमाहुति--प्रज्ञा पु० [स०] भार्गव ऋषि का नाम । ये मत्रद्रष्टा थे। दूध पोकर रहने और ३ दिन तक उपवास करने का विधान है। सोमाह्वा--सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] महासोमलता। सोमाहु ते--सञ्ज्ञा स्त्री० सोम की आहुति । विशेष -याज्ञवल्क्य के अनुसार यह व्रत करनेवाला पहले सप्ताह सोमिनि-सञ्ज्ञा पुं० [सं० सौमित्र] लक्ष्मण ।-(डि०) । ( सात रात ) गौ के चार स्तनो का, दूसरे सप्ताह तीन स्तनो का, तीसरे सप्ताह दो स्तनो का और ६ रात एक स्तन का सोमी'--वि० [सं० सोमिन्] १ जिसमे सोम हो। सोमयुक्त। २ दूध पीए और तीन दिन उपवास करे । सोमयज्ञ करनेवाला (को०) । सोमारg --सज्ञा पुं० [स० सोमवार, प्रा० सोम+पार या सोमार सोमी--सज्ञा पु० १ सोम की आहुति देनेवाला। २ सोमयज्ञ करने- सोमवार का दिन । उ०-मं० १६६२ शाके १४६३ मार्ग वदी वाला। सोमयाजक। ५ सोमार गगादास सुत महाराजा वीरवल श्री तीर्थराज सोमीय वि० [सं०] सोम सवधी । सोम का। प्रयाग को यात्रा सुफल लिखित ।-अकवरी०, पृ० ७६ । सोमेद्र-वि० [स० सोमेन्द्र] सोम और इद्र का । सोम और इद्र सबधी। सोमारुद्र सज्ञा पुं० [सं०] सोम और रुद्र नामक देवता। सोमेज्या-सज्ञा स्त्री॰ [स०] सोम यज्ञ । सोमारौद्र-वि० [स०] सोम और रुद्र का। सोम और रुद्र सबधी । सोमेश्वर--सज्ञा पुं० [०] १ एक शिवलिंग जो काशी मे स्थापित सोमाचि, सोमार्ची---सज्ञा पुं० [सं० सोमाच्चिस्] वाल्मीकि रामायण है। कहते हैं, भगवान् सोम ने यह शिवलिंग प्रतिष्ठित किया वरिणत देवताग्रो के एक प्रासाद का नाम । था। २ दे० 'सोमनाथ'-१।३ श्रीकृष्ण का एक नाम । ४ सोमार्थी-वि० [स० सोमाथिन्] सोम की कामना करनेवाला या राजतरगिणी मे वरिणत एक देवता का नाम | ५ सगीत शास्त्र के एक प्राचार्य का नाम । ६ चौहान नरेश पृथ्वीराज के पिता का नाम जो नागौर के नरेश थे। सोमाधारी-तशा पु० [स० सोमार्द्धधारिन्] मस्तक पर अर्ध चद्र सोमेश्वररस--सज्ञा पुं० [स०] एक रसौषधि जो 'भपज्य रस्नावली' धारण करनेवाले, शिव । के अनुसार सब प्रकार के प्रमेह, मूत्रघात, सनिपातिक ज्वर, सोमाघहारी-सज्ञा पुं० [सं० सोमा हारिन्] शिव [को०] । भगदर, यकृत, प्लीहा, उदररोग तथा सोमरोग का शीघ्र शमन सोमाई-वि० [सं०] सोम के योग्य । सोमपान का अधिकारी (को०] । करनेवाली है। इच्छुक [को०)।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४८६
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