पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४५४

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सेनेट हाउस ७०७४ तमल लाते है। विशेप-अमेरिका, फ्राम, इटली आदि देशो की वडी व्यवस्थापिका फलियां लबी, चिपटी और कुछ टेढी रानी है। यह हिदुस्तान सभाएं 'सेनट' कहलाती है और उनके सदस्य 'सेनेटर' कह मे प्राय भवन बोई जाती है। वैद्यक म मेम मधुर, शीतल, भारी, कसली, बलकारी, वातका का, दाहजनका, दीपन तथा सेनेट हाउस सज्ञा पुं० [अ०] वह मकान जिसमे सेनेट का अधिवेशन पित्त और कफ का नाश करनेवाली मानी गई है। होता है। यो०-सेम का गोद = एक प्रकार के पचना का गाद जो देहरादून सेफ'-संक्षा पु० [स० शेफ, सेफ, प्रा० सेफ ] दे० 'शेफ' । की ओर से प्राता है और दद्रिय जुलाब या रज बालन के लिये सेक'--सज्ञा पुं० [अ०] लाहे का बडा मजबूत वक्स जिसमें रोकड दिया जाता है। विशेप दे० 'कचनार'। और बहुमूल्य पदार्थ रपे जाते हैं । सेमई-सशा पुं० [हिं० सेम+ ई (प्रत्य)] हत्का गन्ज रग। सेफालिको-सज्जा को [म० शेफालिका, प्रा० सफालिया, सेहालिया, सेमई-वि० हलके हरे रंग का। सेहाली। दे० 'शेफालिका'। सेमई@-सशा पो[सं० नविका, दि० सेंवई २० 'मे वई' । उ०-- सेव--सशा पु० [फा०] नाशपाती की जाति का मझोले आकार का मोतीचूर मूर के मोदक प्रारक को उनियारी जी। मेमई मेव एक पेड जिमका फल मेयो में गिना जाता है। संजना मूरन माया मरस मोहारी जी ।-विश्राम (गन्द०)। विशेष—यह पेड पग्चिम का है, पर वहुत दिनो मे भारतवर्ष मे सेमर-सा पुं० [३०] दलदलो जमीन । भी हिमालय प्रदेश (काश्मीर, कुमाऊँ, गढवाल, कांगडा आदि), सेमरा-सया पुं० [सं० शाल्मली, हिं० सेमल] २० 'नेमल'। पजाव आदि में लगाया जाता है, और अव सिंघ, मध्य सेमल-मश पुं० [सं० शिम्बन ( = शाल्मलि (नायग)] पत्ते भारत और दक्षिण तक फैल गया है। काश्मीर मे कही कही झाटनेवाला एप हुन या पेट जिममे नटे प्राकार और मोटे यह जगली भी देखा जाता है । इसके पत्ते कुछ कुछ गोल पार दलो के नाल फूल लगते है, और जिगरे पलो या गोठो में केवल पीछे को और कुछ मफेदी लिए और रोई दार होते हैं । फूल रूई होती है गूदा नहीं हाता। सफेद रंग के होते है जिन प लाल लाल छोटे से होते है। फल विशेप-स पेड के घर और बालो में दूर दूर पर कांटे होते हैं, पत्ते गोल और पकने पर हलके हरे रंग के होते है, पर किसी किसी लगे और नुकीले होते है तथा एक एक साडी मे पजे पी तरह का कुछ भाग बहुत सु दर लाल रंग का होता है जिससे देखने पांच पांच छह छह लगे होते हैं । फूल मोटे दाने, बडे बटे और मे वडा सु दर लगता है। गूदा इसका बहुत मुलायम और गहरे लाल रंग के होते है। फूला में पांच दल होते है और मीठा होता है। मध्यम श्रेणी के फलो मे कुछ खटास भी उनका घेरा बहुत बडा हाता है । फागुन मे जब जन पेड की होती है । सेव फागुन ने वैशाख के अंत तक फूलता है और पत्तियां बिल्कुल भड जाती हैं और यह ठूया हो जाता है जेठ से फल लगने लगते है। भादो में फन अच्छी तरह पक तब यह इन्ही लान फूला ने गुठा हुआ दिखाई पडता है । जाते है। ये फन बडे पाचक माने जाते है । भावप्रकाश के दलो के झड जाने पर डोडा या फल रह जाता है जिनम अनुसार सेव वात-पित्त-नाशक, पुष्टिकारक, कफकारक, भारो, बहुत मुलायम और चमकीली रूई या घूए के भीतर बिनौले पाक मे मधुर, शीतल तथा शुक्रकारक है। भावप्रकाश के अति से बीज वद रहते है। नेमल के दो या फलो को निस्सारता रिक्त किसी प्राचीन ग्रथ मे सेव का उल्लेख नहीं मिलता। भारतीय कविपरपरा में बहुत काल से प्रसिद्ध है और यह भावप्रकाश ने सेब, सिंचितिका फल आदि इसके कुछ नाम अनेक अन्योक्तियों का विषय रहा है। 'सेमर सेइ सुवा दिए है। पछताने' यह एक कहावत सी हो गई है। सेमल की रूई रेशम सेवाट-वि० [देशी या हिं० सपाट] दे० 'सपाट'। उ०-ऊँचे सी मुलायम और चमकीली होती है और गद्दी तथा तकियो मे ऊँचे परवत विषय के घाट । तिहाँ गोरखनाथ के लिया मेवाट । भरने के काम मे ग्राती है, क्योकि काती नहीं जा सकती। -गोरख०, पृ० १३४॥ इसकी लकडी पानी म जूव व्हरती है और नाव बनाने के सेभ्य-सञ्ज्ञा पु० [सं०] शीतलता । शैत्य । ठहक । काम मे आती है। आयुर्वेद ने सेमन बहुत उपकारी औषधि सेभ्यर-वि० शीतल । ठटा। मानी गई है। यह मधुर, पीला, शीतल, हा, स्निग्ध, सेभतिका-सचा स्त्री० [स० सेमन्तिका] दे० 'मेमती'। पिच्छिल तथा शुक्र और कफ को बटानेवाला कहा गया है। सेभती-सज्ञा सी० [स० मेमन्ती] सफेद गुलाब का फूल । सेवती । सेमल की छाल कसनी और कफना, फूल शीतल, कडवा, भारी, कसैला, वातकारका, मनरोधका, त्या तथा कफ, पित्त सेम-संशा स्त्री० [स० शिम्बी] एक प्रकार की फली जिसकी तरकारी और रक्तविकार को शात करनेवाला कहा गया है। फल के खाई जाती है। गुण फ्ल ही के समान हैं। सेमल के नए पौधे की जड पो विशेष--इसकी लता लिपटती हुई बढती है। पत्ते एक एक सेमल का मूसला कहते हैं, जो बहुत पुष्टिकारक, कामोद्दीपर सीके पर तीन तीन रहते है और वे पान के आकार के होते और नपुसकता को दूर करनेवाला माना जाता है। सेमल वा हैं। सेम सफेद, हरी, मजटा मादि कई गो की होती है। गोद मोचरस कहलाता है। यह अतिसार को दूर करनेवाला -- । ।