सूत' ७०४५ सूझना सूझना--क्रि० अ० [सं० सज्ञान] १ दिखाई देना। देख पड़ना । प्रत्यक्ष मुहा०--सूत सूत = जरा जरा। तनिक तनिक । सूत बरावर= होना । नजर आना । जैसे,--हमे कुछ नही सूझ पडता। उ०- बहुत सूक्ष्म । बहुत महीन । आँखि न जो सूझत न कानन तै सुनियत केसोराइ जैसे तुम २ रुई का वटा हुआ तार जिससे कपडा आदि सीते है । तागा। लोकन मे गाये हो। केशव (शब्द०)। २ ध्यान मे पाना। धागा। डोरा । सूत्र । ३ वच्चो के गले मे पहनने का गडा। खयाल मे आना। जैसे,—(क) इतने मे उसे एक ऐसी बात ४ करधनी। उ०--कुजगृह मजु मधु मधुप अमद राज तामै सूझी जो मेरे लिये अमभव थी। (ख) उसे कोई बात ही नही काल्हि स्यामै विपरीत रति राची री। द्विजदेव कीर कीलकठ की सूझती। उ०--असमजस मन को मिट सो उपाइ न सूझै। घुनि जैसी तैसिय अभूत भाई सूत धुनि माची री। - रसकुसु- तुलसी (शब्द०)। माकर (शब्द०)। क्रि० प्र०-देना।--पडना । क्रि० प्र०-पहनना। ३ छुट्टी पाना । मुक्त होना। उ०-राजा लियो चोर सो गोला। ५ नापने का एक मान । इमारती गज । गोला देत चोर अस बोला। जो महि जनम कियो मैं चोरी। विशेष-चार सूत की एक पइन, चार पइन का एक तसू, और दहै दहन तो मोरि गदोरी। अस कहि सो गोला दै सूझ्यो। चौवीस तसू का एक इमारती गज होता है। साहु सिपाही सो द्रुत बूझ्यौ ।--रघुराज (शब्द०)। ६ पत्थर पर निशान डालने की डोरी। सूझबूझ-सज्ञा स्त्री० [हिं० सूझना+बूझना देखने और समझने की विशेष--सगतराश लोग इसे कोयला मिले हुए तेल में डुबाकर शक्ति । समझ। अक्ल । इससे पत्थर पर निशान कर उसकी सीध में पत्थर काटते है। सूझा-सञ्ज्ञा पु० [देश॰] फारसो सगीत मे एक मुकाम (राग) के ७ लकडी चीरने के लिये उस पर निशान डालने की डोरी। पुत्र का नाम। सूट-सज्ञा पु० [अ०] १ पहनने के सव कपडे, विशेषत कोट और पत मुहा०--सूत धरना = निशान करना । रेखा खीचना। बढई लोग जब किसी लकडी को चीरने लगते हैं, तब सीधी चिराई के लून आदि । उ०-तन अंगरेजी सूट, बूट पग, ऐनक नैनन ।- लिये सूत को किसी रग मे डुबाकर उससे उस लकडी पर रेखा प्रेमधन०, भा० १, पृ० १४ । करते हैं। इसी को सूत धरना कहते है। उ०-मनहुँ भानु यो०-सूटकेस। मडलहि सवारत, धरयो सूत विधिसुत विचिन मति । -तुलसी २ दावा। नालिश। जैसे,—उसने हाईकोट मे तुमपर सूट दायर (शब्द०)। किया है। सूटकेस- सज्ञा पुं० [अ०] एक प्रकार का चिपटा वक्स जिसमे पहनने सूत'--सज्ञा पुं० [सं०] [स्त्री० सूती] १ एक वर्णसकर जाति, मनु के के कपड़ रखे जाते है। अनुसार जिसकी उत्पत्ति क्षत्रिय के औरस और ब्राह्मणी के गर्भ से है और जिसकी जीविका रथ हॉकना था। २ रथ हाँकनेवाला। सूटना-क्रि० स० [देश॰] चलाना । फेकना । उ०~-हथियारन सूट सारथि । उ०-कर लगाम ले सूत धूत मजबूत विराजत । नेकु न हूटै खलदल कूट लपटि लर।-पाकर ग्र०, पृ० २७ । देखि वृहदरथपूत सुरथ सूरज रथ लाजत ।-गि० दास (शब्द०)। सूटा--सज्ञा पु० [अनु॰] मुंह से तबाकू, चरस या गांजे का धूया जोर ३ वदी जिनका काम प्राचीन काल में राजानो का यशोगान से खीचना। करना था। भाट । चारण। उ०--(क) मागध सूत और क्रि० प्र०--मारना।—लगाना । वदीजन ठौर ठौर यश गायो।-सूर (शब्द०)। (ख) बहु सूटन-सज्ञा पुं० [स० शुक, प्रा० सुग्र+ट (प्रत्य०), राज० सूट, सूत मागध बदिजन नृप बचन गुनि हरषित चले।-रामाश्व- सूडा, सूत्रो, सूअडो, सूवटो, सूअटो] सुग्गा । तोता। शुक । मेध (शब्द०)। ४ पुराणवक्ता। पौराणिक । उ०---वाचन उ०-पॉच डार सूटन की आई, उतरे खेत मझारे ।--कबीर लागे सूत पुराणा। मागध वशावली वखाना ।-रघुराज श०, भा०, पृ० ३५॥ (शब्द०)। सूठरी -सञ्ज्ञा स्त्री॰ [देश॰] भूमा । सठुरी। विशेष-सबसे अधिक प्रसिद्ध सूत लोमहर्षण हुए हैं, जो वेदव्यास सूड--सज्ञा स्त्री॰ [स० शुण्ड] दे॰ 'सूड' । के शिष्य थे और जिन्होने नैमिषारण्य मे ऋषियो को सब पुराण सूडा, सूडोल-सज्ञा पु० [स० शुक] शुक पक्षी। तोता। उ० सुनाए थे। (क) सुरिण सूडा सुदरि कहय, पखी पडगन पालि । ढोला०, ५ विश्वामित्र के एक पुत्र का नाम । ६ बढई। सूत्रकार। ७ दू० ३६७ । उ०--(ख) साल्ह कुँवर सूडउ कहइ मालवणी सूर्य । ८ पारा । पारद । ६ सजय का एक नाम (को०)। १० मुख जोइ ।--ढोला०, दू० ४०२ । क्षत्रिया स्त्री मे उत्पन्न वैश्य का पुत्र (को०)। सूत'--सञ्ज्ञा पुं॰ [स० सूत्र, प्रा० सुत्त, हिं० सूत] १ रूई, रेशम आदि सूत'-वि० १. प्रसूत । उत्पन्न । उ०-राम नही, काम के सूत का महीन तार जिससे कपडा बुना जाता है । ततु । सूत्र । कहलाए ।-अपरा, पृ० २०२। २ प्रेरणा किया हुआ। क्रि० प्र०-कातना। हिं० २०१०-५२ प्रेरित.।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४२५
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