स्वभावत । निधन हुआ। सुभानु-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ चतुर्थ हतास नामक युग के दूसरे वर्ष शुभा--वि० स्त्री० [स० शुभ] शुभकारक । मगलकारक। उ०- सुभाजन ६०६७ सुभीमा सुभाजन-सज्ञा पु० [स० सुभाञ्जन] शुभाजन वृक्ष । सहिंजन । सुभायक--वि० [स० स्वाभाविक] स्वाभाविक । सुभा-सज्ञा स्त्री० [० शुभा] १ अमृत । पीयूप । सुधा। २ शोभा। उ.--अभिराम सचिक्कण श्याम सुगध के धामहु ते जे सुभा- काति । छवि । ३ परनारी। परस्त्री। ४ हरीतकी । हड । यक के। प्रतिकूल भए दुख शूल सबै किधौ शाल शृगार के उ.---सुधा सुभा सोभा सुभा सुभा मिद्ध पर नारि । वहुरी सुभा घाय: के ।- केशव (शब्द०)। हरीतकी हरिपद की रजधार ।-अनेकार्थ ० (शब्द॰) । सुभाव+--सञ्ज्ञा पुं० [स० स्वभाव] दे० 'स्वभाव' । उ०-- सुभाइ-सशा पुं० [स० स्वभाव] दे० 'स्वभाव'। उ०-कमल कहा सुभाव परयो मखि तेरो यह विनवत हो तोहिं । -सूर नाल सज्जन हियो दोनो एक सुभाइ।-रसनिधि (शब्द॰) । (शब्द॰) । (ख) और के हास विलास न भावत साधुन को यह सुभाइ-क्रि० वि० सहज भाव से। स्वभावत । उ०-(क) कटक सिद्ध सुभाव ।-केशव (शब्द॰) । सो कटक कटयो अपने हाथ सुभाइ ।--सूर (शब्द॰) । (ख) सुभावित वि० । स०] उत्तम रूप से भावना की हुई (प्रौपध) । अग सुभाइ सुवास प्रकाशित लोपिही केशव क्यो करिक। केशव सुभाषचद्र (वसु)-सञ्ज्ञा पु० 'नेता जी' नाम से विख्यात भारतीय (शब्द०)। स्वतन्त्रता संग्राम के अद्वितीय देशभक्त योद्धा। सुभाउ®--संज्ञा पुं॰ [सं० स्वभाव] दे० 'स्वभाव' । उ०--मुख प्रसन्न विशेष-इनका जन्म २३ जनवरी, १८६७ को वगाल प्रात मे हुआ शीतल सुभाउ, नित देखत नैन सिराइ ।--सूर (शब्द॰) । था। कहते है, १९४५ की एक विमान दुर्घटना मे इनका सुभाग:---वि० [सं०] भाग्यवान् । खुशकिस्मत । सुभाग-सज्ञा पु० [स० सौभाग्य] दे० 'सौभाग्य' । सुभाषण-सज्ञा पु० [स०] १. युयुधान के एक पुत्र का नाम । २. सुभागा--सज्ञा स्त्री० [स०] रौद्राश्व की एक पुत्री का नाम । सुदर भाषण। सुभागी--वि० [स० सुभाग] भाग्यवान् । भाग्यशाली । खुशकिस्मत । सुभाषित'-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ एक बुद्ध का नाम । २. उचित कथन । उ.-कौन होगा जो न लेगा उस सुधा का स्वाद । छोड उपयुक्त कथन। ३ अानदप्रदायक कथन या कवित्वमय प्रातिक गर्व अपना और व्यर्थ विवाद । जो सुभागी चख सकेगे उक्ति (को०)। वह रसाल प्रसाद । वे कदापि नही करेंगे नागरी प्रतिवाद ।- सुभाषित'-वि० १ सुदर रूप से कहा हुआ। अच्छी तरह कहा सरस्वती (शब्द०)। हुआ। २ वाक्पटु । वाग्मी (को०)। सुभागीन--सञ्ज्ञा पुं० [स० सौभाग्य, हिं० सुभाग + ईन (प्रत्य॰)] सुभाषी-वि० [स० सुभाषिन्] उत्तम रूप से बोलनेवाला । मिष्ठभापी। [स्त्री० सुमागिन] अच्छे भाग्यवाला। भाग्यवान् । सुभग । उ०--कोक कलान के बेनी प्रवीन वही अबलानि मैं एक पढी सुभास'--मज्ञा पु० [म०] १ सुधन्वा के एक पुत्र का नाम । २ है। अाजु ललै (लखै ?) विपरीत मै आँगी, सुभागीन यो मुख एक दानव (को०)। ऐसी कढी हे। -सुदरीसर्वस्व (शब्द०)। सुभास--वि० सुप्रकाशमान् । खूब चमकीला। सुभाग्य'---वि० [स० सु + भाग्य] अत्यत भाग्यशाली। बहुत बडा सुभास्वर--वि० [सं०] देदीप्यमान् । चमकदार । चमकीला। भाग्यवान् । सुभास्वर----सज्ञा पु० [स०] पितरो का एक गण। सुभाग्य--सञ्ज्ञा पु० दे० 'सौभाग्य'। सुभिक्ष--सज्ञा पु० [स०] १ ऐसा काल या समय जिसमे भिक्षा या सुभान--अध्य० [अ० सुवहान] धन्य । वाह वाह । जैसे,-~सुभान भोजन खूब मिले और अन्न खूब हो। सुकाल। उ०-पुनि पद तेरी कुदरत । परत जलद बहु । भयो सुभिक्ष प्रजा सव हर्षे ।- रघुराज यौ०-सुभान अल्ला = ईश्वर धन्य है। (प्राय इस पद का व्यव- (शब्द०)। २ दुर्भिक्ष की अवस्था न रहना। अन्न आदि हार कोई अद्भुत पदार्थ या अनोखी घटना देखकर किया की सुलभता (को०)। जाता है।) सुभिक्षा-सज्ञा स्त्री० [सं०] धौ के फूल । धातुपुष्पिका । सुभानाg+--क्रि० अ० [हिं० शोभना] शोभित होना । देखने मे भला सुभिषज्-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] उत्तम चिकित्सक । वह जो अच्छी चिकित्सा जान पडना । (क्व०)। उ०-भो निकुज सुख पुज सुभाना। करनेवाला हो। मडप मडन मडित नाना |--गोपाल (शब्द॰) । है जलधार हार मुकुता मनो वक पगति कुमुदमाल सुभी । का नाम । २ श्रीकृष्ण के एक पुत्र का नाम । गिरा गभीर गरज मनु सुनि सखी खानि के श्रवन देखु भी।- सुभातु--वि० सुदर या उत्तम प्रकाश से युक्त । सुप्रकाशमान् । सूर (शब्द०)। सुभाय-सशा पु० [सं० स्वभाव] दे० 'स्वभाव' । उ०--फल सुभीता--सज्ञा पु० [श०] १ मुगमता। यामानी। सहूलियत । २. पाए तरुवर झुके झुकत मेघ जल लाय । विभौ पाय सज्जन झुके सुअवसर । सुयोग । ३ याराम । चैन (क्व०)। यह परकाजि सुभाय !-लक्ष्मणसिंह (शब्द॰) । सुभीम'-सज्ञा पु० [स०] एक दैत्य का नाम । हिं० १० १०-४६
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