सुपद ६०८९ सुपर्याप्त सुपद-वि० [स०] १ सुदर परोवाला । २ तेज चलनेवाला । गवर्व। ८ एक पर्वत का नाम । ६ घोडा। अश्व । १० ३ सु दर पद, शब्द या वाक्ययक्त । १४ पद के अनुकूल । सोम । ११ वैदिक मन्नो की एक शाखा का नाम। १२ अत- वाजिब । उचित । रिक्ष का एक पुत्र । १३ सेना की एक प्रकार की व्यूहरचना। सुपद्मा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] बच । बचा। १४ नागकेसर । नागपुष्प। १५ अमलतास । स्वर्णपुष्प । सुपनतर-मज्ञा पुं० [स० स्वप्नान्तर] निद्रा या स्वप्न की अवस्था । १६ ज्ञानस्वरूप (को०)। १७ कोई दिव्य पक्षी (को०)। १८ उ०--सुपनतर की प्यास ज्यौ भजे मही किहि भति । जब सु दर पन या पत्ता। हो तब पूजिहै मो मन मभझह खति ।--पृ० रा०, १७।२७ । विशेष-सु दर किरणो से युक्त होने के कारण इस शब्द का सुपना--सज्ञा पु० [स० स्वप्न] दे० 'स्वप्न । उ०--(क) सुपन प्रयोग चद्रमा और सूर्य के लिये भी होता है। सुफल दिल्ली कथा कही चद वरदाय ।- पृ० रा०, ३१५८ । सुपर्ण-वि॰ [वि० सी० सुपर्णा, सुपर्णी] १ सु दर दलो या पत्तो- (ख) नित के जागत मिटि गयो वा सँग सुपन मिलाप । चित्र वाला। २ सु दर परोवाला। दरशहू को लग्यो आँखिन आँस पाप ।-लक्ष्मणसिंह (शब्द०)। सुपर्णक-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ गरुड या कोई दिव्य पक्षी। २ अमल- (ग) आज मैं निहारे कारे कान्ह को सुपन बीच उठि के सकारे तास । स्वर्णपुष्प । आरग्वध । ३ सतवन । सतोना । सप्तपर्ण । जमुना पं जल को गई । तवही ते दीनद्याल 8 रही मनीखा लटू सुपर्णक'-वि० १ सुदर पत्तोवाला । २ सुदर पखोवाला । एरी भटू मेरी भटभेटी मग मैं भई।-दीनदयाल (शब्द॰) । सुपनक--वि० [स० स्वप्न] स्वप्न देखनेवाला। जिसे स्वप्न दिखाई सुपर्णकुमार-मज्ञा पु० [स०] जैनियो के एक देवता । देता हो। सुपर्णकेतु मज्ञा पु० [स०] १ विष्णु। सुपना-सशा पु० [स० स्वप्न दे० 'स्वप्न' । उ-तहाँ भूप देख्यो विशेष-विष्णु भगवान् की ध्वजा या केतु मे गरुड जी विराजते अस सुपना । पकरचौ पर गादरी अपना ।-निश्चल है, इसी से विष्णु का नाम सुपर्णकेतु पडा। (शब्द०)। २ श्रीकृष्ण। सुपनाना@-क्रि० स० [हिं० सुपना या स० स्वप्नायते] स्वप्न सुपर्णपातु - सज्ञा पु० [स०] एक दैत्य का नाम । देना। स्वप्न दिखाना। (क्व०)। उ०--विह्वल तन मन सुपर्णराज-सज्ञा पु० [स०] पक्षिराज । गरुड । चकित भई सुनि सा प्रतच्छ सुपनाए । गदगद कठ सूर कोशल- सुपर्णसद्-वि० [स०] पक्षी पर चढनेवाला। पुर सोर सुनत दुख पाए।—सूर (शब्द०)। सुपनीना-क्रि० अ० स्वप्न देखना । सपना देखना । सुपर्ण सद्-सञ्ज्ञा पुं० विष्ण। सुपरकासा--सज्ञा पु० [स० सुप्रकाश] ताप। गरमी । (डि०) । सुपर्णाड-सज्ञा पु० [स० सुपण्डि] शूद्रा माता और मूत पिता से उत्पन्न पुत्र। सुपरडट--सज्ञा पु० [अ० सुपरिटेडेट] दे० 'सुपरिंटेडेट'। सुपरए--सज्ञा पुं० [स० सुपर्ण] दे० 'सुपर्ण' । सुपर-सज्ञा स्त्री० [१०] १ पद्मिनी। कमलिनी। २. गरुड की माता का नाम । ३ एक नदी का नाम । सुपरन--सञ्ज्ञा पु० स० सुपर्ण, हिं० सुपरण] दे० 'सुपर्ण' । सुपरमतुरिता--सज्ञा स्त्री० [स०] बौद्धो की एक देवी का नाम । सुपाख्य - सज्ञा पु० [सं०] नागकेसर । नागपुष्प । सुपररायल--सज्ञा पु० [अ०] छापेखाने मे कागज आदि की एक नाप सुपणिका-संज्ञा स्त्री० [स०] १ स्वर्ण जीवती । पीली जीवती। २ जो २२ इच चौडी और २६ इच लबी होती है । रेणका बीज । २ पलागी। ४. शालपर्णी । सरिवन । ५. सुपरवाइजर-सञ्ज्ञा पु० [अ०] वह जो किसी काम की देखभाल या वकुची। बाकुची। निगरानी करता हो। निरीक्षण करनेवाला । निगगनी सुपर्णी'-सज्ञा स्त्री० [स०] १ गड की माता। सुपर्णा । २ मादा करनेवाला। चिडिया। ३ कमलिनी। पद्मिनी। ४ एक देवी जिसका सुपरस--सशा पु० [स० सुस्पर्श] दे० 'स्पर्श' । उ०- राम सुपरस उल्लेख कद्रु के साथ मिलता है। (इसे कुछ लोग छदो की माता मय कौतुक निरखि सखी सुख लटै ।-मूर (शब्द॰) । या वाग्देवी भी मानते है)। ५ अग्नि की सात जिह्वानो मे से सुपरिटेडेट-सज्ञा पुं० [अ०] निरीक्षण करनेवाला । निगरानी करने- एक । ६ रानि । रात । ७ पलाशी। ८ रेणका । रेणुक वीज । वाला। प्रधान निरीक्षक । जैसे,—पुलिस विभाग का सुरि- सुपर्णी-सज्ञा पु० [स० सुपरिणन] गरुड। टेडेट, तार विभाग का सुरिटेडेट । सुपीतनय-सञ्ज्ञा पु० [स०] सुपर्णी के पुत्र, गरुड । यौ०-सुपरिटेडेट पुलिस = जिले का प्रधान पुलिस अधिकारी । सुपर्णेय-सज्ञा पु० [स०] सुपर्णी के पुत्र, गरुड । सुपरीक्षित-वि० [स०] जो अच्छी तरह जाँचा गया हो [को०] । सुपर्यवदात-वि० [सं०] अत्यत स्वच्छ, साफ [को०] । सुपर्ण-सज्ञा पु० [स०] १ गरड । २ मुरगा। ३ पक्षी । चिडिया। सुपर्याप्त-वि० [स०] १ सम्यक् प्रशस्त । सुविस्तृत । सावकाश । २. ४ किरण । ५ विष्णु। ६ एक असुर का नाम । ७ देव अच्छी तरह युक्त । पूर्णत उपयुक्त या ठीक [को०] । हिं० २०१०-४५
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३६९
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