पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३५९

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६०७९ सुदुष्प्राप सुदास" - पुन्न । ५ वृहद्रथ का एक पुत्र । ६ एक प्राचीन जनपद । ७ सुदीर्घराजीवफला-तश रो० [सं०] एक प्रकार की कारटी। अच्छा दास या सेवक। सुदीर्घा --सशः नी० [म०] चीना काडी। सुदाप-वि० ईश्वर की सम्यक् रूप मे पूजा या पागधना करनेवाला। मुदीर्घा--वि० सी० अति दीर्घ । वहत लवी। सुदि' -क्रि० वि० [म०] शुक्ल पक्ष मे । सुदुख'--मझा पुं० [सं०] अत्यत कष्ट, पीडा या शोक । सुदि'-सशा रसी० ० 'मुदी'। सुदुख-वि० यति दारुण । यप्टकर। सुदिन-मश पुं० [सं० सु + दिन] शुभ दिन । अच्छा दिन । मुबारक सुदु खित - वि० [मं०] अति पीडित। शोकातुर । व्यथित । दिन। उ०-(क) मनि तथास्तु कहि सुदिन विचारी । सुदुश्रव-वि० [स०] जो मुनने मे बूरा हो । कानो को अप्रिय । कारवाई मख राख तयारी।-रघुराज (शब्द॰) । (ख) जैसे.--अपशन्द निंदा, गाली, कर्कश शब्द आदि । तहां तुरत सुमत गणक गण ल्यायो तलकि निवाई । गुरु सुदु मह - वि० [स०] असह्य । जो महने में यठिन हो । वशिष्ठ आज्ञानुसार ते दीन्ह्यो सुदिन वनाई रघुराज (शब्द०)। (ग) अस कहि कौगिक सुदिन बनायो । तह सुदुकूल--वि० [सं०] उत्तम वस्त्र से निर्मित । तुरत प्रस्थान पठायो।-रघुराज (शब्द॰) । सुदुधा--वि० [सं०] अच्छा दूध देनेवाली। गूब दूध देनेवाली (गो) । सुदुराचार-वि० [स०] अत्यत बुरे आचरणवाला । निहायत वद- मुहा०-सुदिन बनाना, सुदिन विचारना, सुदिन तोधना= चलन किो०)। किसी शुभ काम के लिये ज्योतिष शास्त्रानमार अच्छा मुहूर्त निकालना। सुदुरावर्प--वि० [सं०] १ जिमकी प्राप्ति अत्यत कठिन हो। २ २ अत्यन अमह्य [को०) । सुदिनता सशा फी० [सं०] सुदिन का भाव । सुदुरात-ति० [सं०] जिमे समझाना अत्यत कठिन हो को०] । सुदिनाह-सज्ञा पु० [सं०] पुण्य दिन ! पुण्याह । शुभ दिन । सुदुगसद-वि० [म.] जिस तक पहुँच बहुत कठिन हो। पढ़ेंच के प्रशस्त दिन। वाहर को०] । सुदिव--वि० [सं०] वहुत दीप्तिमान् । चमकीला। सुदुर्जय'-सज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का व्यूह [को०] । सुदिवस--सशा पुं० [स०] दे० 'सुदिन' । सुदुर्जय-वि० जिसे जीतना बडा कठिन हो [को०] । सुदिवातति-सज्ञा पुं० [सं० सुदिवातन्ति] एक प्राचीन ऋषि का सुदुर्जया--सशा स्त्री० [सं०] वौद्धो के अनुसार मिद्धि की दस अवस्यानो मे से एक किो०]। सुदिह- --वि० [स०] १ सुतीक्ष्ण । (जैसे, दांत) । २ बहुत चिकना या सुदुर्जर-वि० [स०] जिसका पाक कठिन हो । गुरपाक [को०] । सुदी--सा सी० [सं० सुदिव ( = शुक्ल या शुद्ध) या सुदि] किसी सुदुर्दश-वि० [०] जिसे देखना कप्टदायक हो । गत्यत दिन्प । मास का उजाला पक्ष । शुक्ल पक्ष । जैसे-चैत सुदी १, सावन प्रियदर्शन न हो किो०)। सुदी ६। सुर्दुभग--वि० [स०] अत्यत भाग्यहीन । अभागा [को०] । सुदीक्षा सज्ञा स्त्री० [म०] लक्ष्मी । सुदुभिद-वि० [म०] जिमका भेदन कठिन हो। अभेद्य [को०] । सुदीति'-सज्ञा पुं० [०] अागिरस गोत्र के एक ऋपि का नाम । सुदुर्मनस्--वि० [म०] १ अत्यत दुष्ट हृदयवाना या गोटे स्वमाल सुदीति'--सज्ञा स्त्री० सुदीप्ति । उज्वल दीप्ति । का। २ विक्षुब्ध मनवाला । परेशानियो मे पडा हया [को०] । सुदीति'-वि० बहुत दीप्तिमान् । चमकीला । सुदुर्मर्ष-वि० [म०] जो सहनशक्ति से बाहर हो । एकदम अमह्य फो०] सुदीपति--स्शा सी० [स० सुदीप्नि] २० 'सुदीनि'। उ०--वाजतु सुदुर्लभ-वि० [स०] १ जो अत्यत दुर्लभ हो। अद्वितीय । नायाब है मृदु हाम मृदग सुदीपति दीपनि को उजियारो -केशव २ जिसका पाना प्राय अमभव हो। अप्राप्य [को०] । (शब्द०)। सुदुर्वच-वि० [म०] जिमकी वात का जवाब न हो किो०] । सुदीप्ति--सशा सी० [सं०] बहुत अधिक प्रकाश । खूब उजाला । सुदुर्विद, सुदुर्वेद-वि० [सं०] प्रत्यत दुर्बोध । जो समझने में बहुत ह सुदीघ'-सज्ञा पुं० [०] चिचडा । चिचिंडक । कठिन हो फिो०] । सुदीर्घ'--वि० बहुत अधिक नवा । अति विस्तृत । सुदुश्चर-वि० [म०] १ जिसका कन्ना अत्यन नठिन हो। २ अत्यत दुर्गम हो किो०। सुदीर्घवर्मा--सशा सी० [सं०] अपराजिता । कोयल लता। अमनपर्णी । सुदुष्कर-वि० [सं०] अत्यत कठिन । अत्यन रुष्टमाय को०] । सुदीर्घजीवफना-सा सी० [सं०] दे० 'मुदीर्घराजीवफला' (को॰] । सुदुचिकित्स-वि० [सं०] निमरा इलाज बर्न कठिन हो । सुदीघफलका-सज्ञा पी० [स०] दे॰ 'मुदीर्घफनिका' फो०] । सुदु-प्रभ- मा ० [स०] नकुल । नेवता पो०) । सुदीर्घकना--सज्ञा स्त्री० [२०] कवाडी । करंटी। मुदुःप्राप-वि० [सं०] जिमकी प्राप्ति कठिन हो। जो ना सुदीर्घफलिका-तज्ञा स्त्री० [म०] एक प्रकार का बैंगन। हो (फो०] । नाम। उज्वल।