सुदर्शन ६०७१ सुदीस की सगीतरचना। २१ सन्यासियो का एक दड जिसमे छह सुदर्शना'-वि० स्त्री जो देखने मैं सुदर हो । सुदरी। गाँठे हाती है । इस वे भूत प्रेतो से अपना वचाव करन के लिये सुदर्शनी-मज्ञा सी० [स०] १ इद्रपुरी । अमरावती । सु दरी स्त्री। अपने पास रखते है। २२ मदनमस्त। २३ सोमवल्ली। विगेप २० सुदशना' । २४ इद्रनगरी। अमरावतो (को०) । सुदल'--मज्ञा पुं० [स०] १ मोरट या क्षीरमोरट नाम को लता। २ मुचकुद । ३ सेना । दल । सुदर्शन–वि. जो १ जो देखने मे सु दर हो। प्रियदशन । सुखदर्शन सुदल-वि• अच्छे दलो या पत्तोवाला। सुदर । मनारम । २ जो प्रामानी से देखा जा सके। सुदना-सरा क्षी० [स०] १ सरिवन । शालपर्णी । २ सेवती । सुदर्शन चक्र-संज्ञा पुं० [सं०] विष्णु का प्रायुध । विशेप-मत्स्य पुराण के अनुनार सूर्य के असह्य तेज को कम करने सुदशन - वि० [स०] [वि॰ स्त्री० सुदशना] सु दर दाँतोवाला। जिसके सु दर दाँत हो । सुदत। के लिये यन्न के द्वारा उनका तेज विभक्त किया गया और उस विभक्न तेज से सुदशन चक्र, शिव का त्रिशूल और इद्र के वन सुदात'-मज्ञा पु० [स० सुदान्त] १ शाक्यमुनि के एक शिष्य का नाम । २ एक प्रकार की समाधि । ३ शतधन्वा का पुत्र । का निर्माण किया गया । पद्म पुराण के अनुसार सभी देवो के तेज मे अपने तेज को मिलाकर शिव ने इस द्वादशारयुक्त सुद- सुदात'-वि० अति शात । बहुत सीधा । सधा हुआ। (घोडा)। शन चक्र को बनाया और विष्णु को प्रदान किया। सुदाम--सज्ञा पु० [स०] १ श्रीकृष्ण के सखा एक गोप का नाम । सुदर्शन चूर्ण-सा पु० [सं०] वैद्यक के अनुसार ज्वर की एक २ महाभारत के अनुसार एक प्राचीन जनपद । ३ दे० 'सुदामा'। प्रसिद्ध पीपध। सुदामन-सञ्ज्ञा पु० [सं०] १ जनक के एक मत्री का नाम । २ एक विशेप-इम चूण के बनाने की विधि यह है-त्रिफला, दारुहल्दी, प्रकार का दैवास्न । दोनो करियाली, कनेर, काली मिर्च, पीपल, पीपलामूल, मूर्वा, सुदामा-सञ्ज्ञा पु० [स० सुदामन्] १ एक दरिद्र ब्राह्मण जो श्रीकृष्ण गुडच, धनियां, अडूमा, कुटकी, नायमान, पित्तपापडा, का सहपाठी और परम सखा था और जिसे पीछे श्रीकृष्ण ने नागरमोथा, कमलततु, नीम को छाल, पोहकर मूल, मुंगने ऐश्वयवान् बना दिया था। २ श्रीकृष्ण का एक गोपसखा । (महिजन) के बीज, मुलहठी, अजवायन, इद्रयव, भारगी, ३ कस का एक माली जो श्रीकृष्ण से उस समय मथुरा मे फिटकरी, वच, तज, कमलगट्टा, पद्मकाष्ठ, चदन, अतीस, मिला था, जब वे कस के बुलान से वहाँ गए थे। ४ एक सरेंटी, वायविडग, चिनक, देवदारु, चव्य, लवग, वशलोचन, पर्वत । ५ इद्र का हाथी। ऐरावत। ६ समुद्र । सागर । ७ पताज, ये सब चीजे वरावर बरावर और इन सबकी तौल से मेघ । बादल । ८ एक गधव का नाम । प्राधा चिरायता लेकर सबको कूट पीसकर चूर्ण बनाते सुदामा-मज्ञा स्त्री० १ स्कद को एक मातृका । २ रामायण के अनुसार है। माना एक टक प्रति दिन सवेरे ठढे जल के साथ है। उत्तर भारत को एक नदी का नाम । कहते हैं, इसके सेवन स सब प्रकार के ज्वर, यहाँ तक कि सुदामा'-वि० उत्तम रूप से दान करनेवाला । खूब देनेवाला । विषमज्वर भी दूर हा जाता है। इसक सिवा खाँसो, साँस, सुदामिना-मचा मी[सं०] भागवत के अनुसार शमीक की पत्नी का पाटु, हृद्रोग, बवासीर, गुल्म आदि राग भी नष्ट हाते है। नाम। सुदर्शन दड-सा पु० [स० सुदर्शनदण्ड] वैद्यक के अनुसार ज्वर सुदाय-सज्ञा पुं० [सं०] १ उत्तम दान । २ यज्ञोपवीत संस्कार के की एक औपध। समय ब्रह्मचारी को दी जानेवाली भिक्षा। ३ विवाह के सुदर्शन द्वीप-सज्ञा पुं० [स०] जवू द्वीप का एक नाम । अवसर पर कन्या या जामाता को दिया जाने वाला दान । सुदर्शनपाएता पु० [म०] (हाथ मे सुदशनचक्र धारण करने दहेज । ४ वह जो उक्त प्रकार के दान करे। (अर्थात् पिता, वाले) श्री विष्णु । माता आदि)। सुदर्शना'-मशा स्त्री० [स०] १ सोमवल्लो । चक्रागी। मधुपणिका । सुदारु-सज्ञा पुं० [स०] १ देवदारु । देवदार। २. धूप । सरल । विशेष—यह क्षुप जाति को वनस्पति है। यह रोएँदार होती है । सरल वृक्ष । ३ सु दर काप्ठ । अच्छी लकड़ी। ४ विंध्य पर्वत पत्ते तीन से छह इच क घेर मे गोलाकार तथा त्रिकोणाकार का एक अश। पारियान पर्वत । से होते हैं । इसम गोल फूलो के गुच्छे लगते हैं जिनका रग सुदारुण-तज्ञा पु० [स०] एक प्रकार का दैवास्त्र । नारगी का सा होता ह वैद्यक के अनुसार इसका गुण मधुर, सुदारुण'-वि• अत्यत क्रूर या भयानक । गरम और कफ, सूजन तथा वातरक्त दूर करनेवाला है। सुदावन -सशा पुं० [सं० सुदामन] जनक का एक मत्री। दे० २ एक प्रकार की मदिरा। ३ एक गधर्वी का नाम । ४ पद्म 'सुदामन' । उ०-जाय सुदावन कह्यो जनक सा प्रावत रघुकुल सरोवर । ५ जवू वृक्ष । ६ इद्रपुरी। अमरावती। शुक्ल नाहा। देखन को धाए पुरवासी भरि उमाह मन मोहा। पक्ष की राति । ८ अाज्ञा। आदेश । हुक्म । ६ सुदर स्त्री। -रघुराज (शब्द०)। प्रियदर्शना स्त्री (को०) । १० स्त्री । औरत । नारी (को०)। सुदास'-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ दिवोदास का पुत्र तया नित्सु का राजा। ११ एक प्रकार की भोपध । २ ऋतुपण का पुन । ३. सर्वकाम का पुन । ४ च्यवन का .
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