पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३५७

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मापा । सुत्यो ६०७७ सुदर्शन' सुत्या-पज्ञा स्त्री० [म०] १ जनन । उत्पति । प्रसव । २ दे० 'सूत्याँ । सुदष्ट्र'-सझा पु० [स०] १ कृष्ण का एक पुत्र । २ सबर का एक यो०-मुत्याकाल = दे० 'सुत्य' । पुन । ३ एक राक्षस का नाम सुत्रामा--नज्ञा पु० [म० सुत्रामन्] १ इद्र । २ पुराणानुमार एक मनु सुदष्ट्र--वि० सदर दाँतोवाला। का नाम । ३ वह जो उत्तम स्प से रक्षा करता हो। मुदष्ट्रा-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] एक किन्नरी का नाम । सुवामा-मशा स्त्री० पृथ्वी [को०] । सुदक्षिण-सज्ञा पु० [म०] १ पौट्रक राजा का पुत्र । २ विदर्भ का एक राजा। सुथना--नज्ञा पुं॰ [देश॰] दे॰ 'सूथन' । सुथनिया ---शा स्त्री॰ [देश॰] दे० 'सुथनी' । सुदक्षिए'- वि० १ निष्कपट । खग । २ उदार । यज्ञ मे बहुत दक्षिणा- देनेवाला। ३ अत्यत चतुर । सुथनो--पशा सी० [दश०] १ स्त्रियो के पहनने का एक प्रकार का ४ अत्यत मृदुल स्वभाव- ढीला पायजामा । सूथन । २ एक कद । पिंडालु । रतालू । वाला [को०)। सुथरा--वि० [स० स्वच्छ, मुस्थल या स्वस्त्र] [वि॰ स्त्री सुथरी] स्वच्छ। सुद क्षएा सज्ञा स्त्री० [स०] १ राजा दिलीप की पत्नी का नाम । निर्मल । साफ । उ०-(क) लरिकाई कहुँ नेक न छॉडत सोई २ पुराणानुसार श्रीकृष्ण की एक पत्नी का नाम । रहो सुथरी सेजरियाँ । आए हरि यह बात सुनत ही घाइ लिये सुदग्धिका-सज्ञा स्त्री० [स०] कुरुह नामक वृक्ष । दधा। यशुमति महतरियाँ ।-मूर (शब्द॰) । (ख) मोतिन मांग सुदच्छिन -सञ्ज्ञा पुं० [स० सुदक्षिण] दे० 'सुदक्षिण' । उ०-चलेउ भरी सुथरी लमै कठ सिरीगर सी अवगाही।-मुदरीसर्वस्व सुदच्छिन दच्छ समर जुध दच्छिन दच्छिन । - गिरधर (शब्द०)। (शब्द०)। सुदत्--वि० [स०] [वि० सी० सुदती] सुदर दाँतोवाला । विशेष--इस शब्द का प्रयोग प्राय 'साफ' शब्द के साथ होता है । सुदती--वि० [स०] सु दर दाँतोवाली स्त्री। सुदता। सु दरो। उ० -- जैसे,--साफ सुथरा मकान। साफ सुथरी भापा = परिष्कृत (क) धीर धरो सोच न करो मोद भरो यदुराय । सुदति सँदेसे सनि रही अधरनि मै मुसुकाय !-शृ० सत (शब्द०) । (ख) सुथराई--सज्ञा स्त्री० [हिं० सुथरा + ई (प्रत्य॰)] सुथरापन । स्वच्छता भौन भरी सब सपति दपति श्रीपति ज्यो सुख सिधु मे सोवै । निर्मलता । सफाई। देव सो देवर प्राण सो पूत सुकौन दशा सुदती जिहि रोवै । -केवश (शब्द०)। सुथरायन-मज्ञा पु० [हिं० + पन (प्रत्य॰)] दे० 'सुथराई । सुथराशाह-सज्ञा पु० [हिं०] एक सत जो गुरुनानक के शिष्य थे। मुदम-वि० [स०] जो सुकरता से पराजित या वशीभूत हो सके [को॰] । सुथरेशाही-पज्ञा पुं० [मुथरांशाह (महात्मा)] १ गुरु नानक के सुदमन - सज्ञा पुं॰ [स०] ग्राम । आम्रवृक्ष। शिप्य सुथराशाह का चलाया सप्रदाय । २ उस संप्रदाय के सुदरसन:- सज्ञा [स० सुदर्शन] दे॰ 'सुदर्शन' । उ०---नकुल अनुयायी या माननेवाले जो प्राय सुथराशाह और गुरुनानक सुदरसन दरसनी क्षेमकरी चुपचाप । दस दिसि देखत सगुन आदि के बनाए हुए भजन गाकर भिक्षा मांगते हैं। सुभ पूजहिमन अभिलाप।-तुलसी (शब्द॰) । सुथौनिया --सज्ञा पुं॰ [देश॰] मस्तूल के उपरी भाग मे वह छेद या सुदरसन-सञ्ज्ञा पुं० दे० 'सुदर्शन' । घर जिसमे पाल लगाने के समय उसकी रस्सी पहनाई जाती सुदरसनपानि-मज्ञा पुं॰ [स० सुदर्शनपाणि] दे० 'सुदर्शन पारिरा'। है । (लक्ष०)। उ०-ज्यो धाए गजराज उधारन सपदि सुदरसनपानि ।- सुदड - सज्ञा पु० [स० सुदण्ड] बेत । वेव । तुलसी (शब्द०)। सुदडिका--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स० सुदण्डिका] १ गोरख इमली। गोरक्षी। सुदर्भा--मज्ञा स्त्री० [स०] एक प्रकार का तृण जिसे इक्षदर्भा ब्रह्मदंडी। अजदडी। सुदत'-सज्ञा पु० [सं० सुदन्त] १ वह जो अभिनय करता हो। नट । सुदर्श--वि० [स०] १ दे० 'सुदर्शन' । २. जिसे सरलता से देख २ नर्तक । नाचनेवाला । ३ सुदर दाँत (को०) । जा सके (को०] । मुदत --वि० सुदर दाँतोवाला। सुदर्शन--सज्ञा पु० [स०] १ विष्णु भगवान् के चक्र का नाम सुदता-सशा स्त्री॰ [स० सुदन्ता] पुराणानुसार एक अप्सरा का नाम । २ शिव । ३ अग्नि का एक पुत्र । ४ एक विद्याधर । मत्स्य । मछली । ६ जबू वृक्ष । जामुन । ७ नौ बलदेवो सुदता-वि० सी० सुदर दाँतोवाली। से एक । (जैन)। ८ वर्तमान अवसपिणी के अट्ठारहवे : सुदती-मज्ञा स्त्री० [म० सुदन्ती] १ हथिनी । हस्तिनी। २ वायव्य के पिता का नाम । (जैन)। ६ शखन का पुत्र । १० कोण के एक दिग्गज (पुष्यदन) की हथिनी का नाम । ध्रुवसधि का एक पुत्र । ११ अर्थसिद्धि का पुत्र । १२ दधी सुदभ--वि० [स० सुदम्भ दे० 'सुदम'। का एक पुत्र । १३ अजमीढ का एक पुन। १४ भरत का ५ सुदशित--वि० [म०] १ अच्छी तरह जैसा हुआ ।' २ शस्त आदि से पुत्र । १५ एक नाग असुर । १६ प्रतीक का जामाता । १० युक्त । ३ बहुत सघन, घन [को०] । सुमेरु । १८ एक द्वीप का नाम । १६ गिद्ध । २० एक का . कहते है। U