पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३२

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संग्रह सगीतविद्या ४८४८ सगोतविद्या सज्ञा बी० [सं० सड गोत + विद्या] दे० 'सगीत सगृहीत-वि० [स० सड गृहीत] सग्रह किया हुआ। एकन्न किया शास्त्र'। विशेप दे० 'सगीत"। हुआ। जमा किया हुअा । सकलित । २ ग्रस्त । जकडा हुपा सगोतवेश्म-सहा पं० [सं० सड गीतवेश्मन् ] दे॰ 'सगीतशाला' [को०] । (को०)। ३ निग्रहीत या सयन किया हुआ। शामित (गो०)। ४ आगत । प्राप्त । स्वीकृत (को०)। ५ सकोचित या मंक्षिप्त सगोतशाला-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० सह गीतशाला] वह भवन जहाँ सगीत किया हुया (को०)। होता हो को०] । यौ०-सगृहीतराष्ट्र = जिसने राज्यशामन सुव्यवस्थित कर मगीतशास्त्र-मज्ञा पुं० [म०] वह शास्त्र जिसमे गाने, बजाने, लिया हो । सुशासित राज्यवाला (राजा)। नाचने और हाव भाव ग्रादि दिखलाने की कला का विवेचन हो। सगृहीता-सा पुं० [स० सड गृहीत] वह जो सग्रह करता हो। एकत्र करनेवाला। जमा करनेवाला । सगीति-सञ्ज्ञा स्री० [सं० सड गीति] १ वार्तालार। बातचीत । २ दे० 'सगीत' । ३ वौद्धो को धर्मसभा (को०)। ४ आर्या सगृहीति -सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० सङ गृहोति] नियत्रण। वशीभूत करना। निगृहीत करना (को०] । गीति का एक भेद (को०)। सगोन'--सञ्ज्ञा पु० [फा०] एक प्रकार का अस्त्र जो लोहे का बना सगृहीतृ-वि० [स० सड गृहीतृ] १ जो पकड या काबू मे रखे अथवा शासित करे । २ अश्वशिक्षक । सारथी (को०] । हुआ तिफला और नुकीला होता है। यह बदूक के मिरे पर लगाया जाता है । इससे शत्रु को भोककर मारते है । सगोतरा-सच्चा पु० [हिं० सगतरा] एक प्रकार की नारगी। सगतरा। सतरा। सगोन-वि० १ पत्थर का बना हुआ । जैसे,—सगोन इमारत । २ गफ। मोटा। जैसे,—सगीन कपडा। ३ टिक ऊ। पाय- सगोपन' -सझा पुं० [८० सङ गोपन] छिपाने की क्रिया। पोशीदा रखना । छिपाना। दार। मजबूत । जैसे,—कलावत्तू का काम सगीन होता है। ४ विकट । असाधारण । जैसे,—सगीन जुर्म । सगीन सगोपन--वि० गुप्त रखने या छिपानेवाला [को०)। मामला । ५ पेचीदा । ६ कठोर । जैसे,--सगीन दिल । संगोपनीय-वि० [स० सड गोपनीय] छिपाने के योग्य । पोशीदा रखने यौ०-सगीन जुर्म = विकट अपराध । असाधारण अपराध । के लायक। सगीनदिल = कठोर हृदयवाला। वेरहम । सगीनदिली सग्रथन-सधा पुं० [स० सड ग्रन्थन] एक साथ बांधना या एक वेरहमी। मे बांधना। सगोनी-सञ्चा बी० [फा० सगीन] १ असाधारणता । २. कठोरता। सग्रथन-सञ्ज्ञा पुं॰ [स० सड ग्रथन] १ एकन बांधना। २ व्यवस्थित कडापन । मजबूती। करना या मरम्मत करना (को०]। सगीर्ण-वि० [स० सडगीर्ण] १ समर्थित । स्वीकृत । २. जिसका सग्रथित-वि० [सं० सङ ग्रथित] एक साथ नत्यी किया हुअा, पिरोया वादा किया हुआ हो । प्रतिज्ञात (को०] । हुअा या बँधा हुआ [को०। सगुप्त'---सज्ञा पुं॰ [स० सड गुप्त] एक बुद्ध का नाम । सनसन-सया पुं० [स० सड ग्रसन] १ बहुत अधिक भोजन करना । सगुप्त'-वि० १ जो छिपाकर रखा गया हो। छिपाया हुआ । २ भली- २ दबोच लेना। दबा देना (को०)। भाँति सवधित या सुरक्षित [को०] । सग्रह-सञ्ज्ञा पुं० [सं० सङ्ग्रह] १ एकत्र करने की क्रिया। जमा करना । संगुप्ति-सज्जा स्त्री॰ [स० सड गुप्ति] १ गोपनता । छिपाव । दुराव । सकलन। सचय । २ वह ग्रथ जिसमे अनेक विषयो की वाते एकन २ वाण । रक्षण । सुरक्षा [को०] । की गई हो। ३ भोजन, पान, औषध इत्यादि खाने की क्रिया । सगूढ'---सञ्चा पुं० [म० सह गूढ] १ रेखा या लकीर आदि खीचकर ४ मन वल से अपने फेके हुए अस्त्र को अपने पास लौटाने की निशान की हुई राशि या ढेर । क्रिया । ५ सोम याग । ६ सूची । फेहरिस्त । ७ निग्रह । सयम विशेप-प्राय लोग अन्न या और किसी प्रकार की राशि लगाकर ८ रक्षा। हिफाजत । ६ कब्ज । कोष्ठबद्धता। १० शिव का उसे रेखाओ से घेर या अकित कर देते हैं, जिसमे यदि कोई एक नाम । ११ पाणिग्रहण। विवाह। १२ जमघट। उस राशि में से कुछ चुरावे, तो पता लग जाय । इसी प्रकार जमाव । १३ सभा । गोष्ठी। १४ मैथुन । स्त्री प्रसग । १५ अकित की हुई राशि को सगूढ कहते है। ग्रहण करने की क्रिया । १६ स्वीकार । मजूरी। उ०- तेहि ते कछु गुन दोष बखाने । सग्रह त्याग न बिनु पहिचाने। सगूढ-वि० १ पूर्णत गुप्त या छिपाया हुआ । २ सकुचित । -मानस,१। १७ चगुल। पकड (को०)। १८ जोड। राशि । सक्षिप्त । ३. मिला हुआ । सयुक्त। ४ एकत्रित । राशी समप्टि (को०)। १६ भडारगृह (को०) । २० वडप्पन कृत को०)। (को०)। २१ वेग (को०)। २२ हवाला। उल्लेख (को०)। २३ सगृभित-वि० [म० सभित] एकाग्र किया हुआ। समाहित किया प्रयत्न । चेष्टा (को०)। २४ सयोजन (को०) । २६ वह जो हुआ (को०]। सरक्षक हो (को०)। २७ कल्याण । मगल (को०)।