३६ सिविल प्रोसीजर कोड गिनी गांव के छो- पर पी भूमि। गांव की हद । सीमा । ३ गाव के अतर्गत भूमि । ४ फमल तैयार हो जाने पर जमीदार और किमान मे अनाज का बंटवारा। निवाय'-निल वि० [अ० निवा] प्रतिक्ति । अलावा। छोडकर । वार देकर । उ०--ममुद्र मो चद्रमा के मिवाय और कोन वढा मकता है।--भारतेंदु ग्र०, मा० १, पृ० ३८६ । निवार-वि०१ आवश्यकता से अधिक । जरुरत से ज्यादा । वेशी। २ अधिक। ज्यादा । ३ ऊपरी। वालाई। मामूली से अनिराित और। निवाय- पु० वह आमदनी जो मुकर्रर वसूली के ऊपर हो । सिकार--सा स्वी० पुं० [गं० सवाल] पानी मे वालो के लच्छो की तरह फैलनेवाला एक तृण। उ०--(क) पग न इत उत धरन पावन उरझि मोह सिंगर ।--सूर (शब्द०)। (ख) चलती लता मिवार को, जन तरग के सग। वडवानल को जनु धग्यो, धूम धूमरो रग ।--तुलसी (शब्द०)। विशेप--यह नदियो मे प्राय होता है। इसका रंग हलका हरा हाता है । यह चीनी साफ करने तथा दवा के काम में आता है। वंद्यक मे यह नसला, कडा, मधुर, शीतल, हलका, स्निग्ध, नमकीन, दस्तावर, घाव को भरनेवाला तथा त्रिदोप को नाश करनेवाला कहा गया है । सिवाल--मन सी, पु० [सं० शंवाल] दे० 'सिवार' । उ०--नीलावर नील जाल बीच ही उरझि सिवाल लट जाल मे लपटि परघो। --देव (शब्द०)। सिवाला-ससा पुं० [म. शिवालय] शिव का मदिर। सिवाली-ना पुं० [सं० शैवाल ] एक प्रकार का मरकत या पना जिसका रग कुछ हलका होता है पार जिममे कभी कभी ललाई की भी कुछ प्राभा रही है । मिवि -सरा पु० [सं० शिवि] य नरेश । विशेष दे० 'शिवि' । उ०-मिवि दधीचि हरिचद यहानी ।--मानग, २।८८ । मिविका-सया मा० [सं० शिविका] दे० 'शिविका' । उ०-राजा की रजाइ पार सचिव सहेलो धाइ मतानद त्या सिय मिविका चटारक।-तुलसी (शब्द०)। सिविर- पुं० [स० शिविर] ६० "शिविर'। उ०-चसन मिविर मधि मगध प्रध गुन । जिमि उटान मधि रवि गसि छवि जुत । -गि० दारा (श २०)। मिविल- [०] १ नगर मधी । नागरिक । २ नगर की शाति में गमय देनरेग या चाकमी करनेवाला। जैरी-मिविल पुनिम । ३ मुल्यो । माली । ४ शालीन । मभ्य । मिलनगार। तिविल टिसमोबीडिएत - ० [अ०] दे० 'मविनय कानून का भग। मिविल नाफरमानी--39 पुं० [J० मिति + फ्रा० नाफामांनी मग्निप प्रामविनय कानून मग । सिविल प्रोसीजर कोड -सरा पुं० [०] न्यायविधान । जाना दीवानी।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३१६
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