पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३०८

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Fere ६०२८ सिर रहना। सिर काढना - प्रसिद्ध होना । प्रसिद्धि प्राप्त करना । मिर करना = (स्त्रियो के) वाल सँवारना । चोटी गूंथना। (कोई वस्तु) सिर करना- जबरदस्ती देना । इच्छा के विरुद्ध सपुर्द करना। गले मढना। सिर कलम करना या काटना- सिर उतारना। मार डालना। सिर का बोझ टलना निश्चितता होना। झझट टलना। सिर का वाझ टालना=बेगार टालना । अच्छी तरह न करना। जो लगाकर न करना । मिर के बल चलना = बहुत अधिक आदरपूर्वक किसी के पास जाना। उ०-जो मिले जी खोलकर उनके यहाँ, चाह होती है कि मिर के बल चले ।-चोखे०, पृ० १४। सिर खपाना = (१) सोचने विचारने मे हैरान होना। (२) कार्य मे व्यग्न होना । सिर खाली करना = (१) वकवाद करना । (२) माथा पच्ची करना । सोच विचार मे हैरान होना। मिर खाना = बकवाद करके जी उबाना । व्यर्य की बाते करके तग वरना। सिर खुजलाना = मार खाने को जी चाहना । शामत ग्राना। नटखटी सूझना । सिर चकराना = दे० 'सिर घूमना'। मिर चढ जाना = (१) मुंह लग जाना । (२) गुस्ताख होना । निहायत वे अदव होना। उ० नवाब साहब ने जो हंसी हँसी में उस दिन जरी मुंह लगाया तो सिर चढ गई।--मैर०, पृ. २६ । सिर चढा = मुंह लगा । लाडला । धृष्ट । सिर चढाना = (१) माथे लगाना । पूज्य माव दिवाना। पादरपूवक स्वीकार करना। सिर माये लेना। उ० नृप दतहिं बीरा दीना। उनि सिर चढाइ करि लीनी ।-सु दर० ग्र०, मा० १, पृ० १२० । (२) बहुत बढा देना । मुंह लगाना । गुस्ताख बनाना। (३) किसी देवी देवता के मामने सिर काटकर बलि चटाना। सिर घूमना = (१) सिर में दर्द होना। (२) घबराहट या मोह होना । वेहोशी होना । सिर चढकर बोलना = (१) भूत प्रेत का सिर पर अाकर बोलना। (२) स्वय प्रकट हो जाना। छिपाए न छिपना। सिर चढकर मरना = किमी को अपने खून का उत्तरदायी ठहराना । किसी के ऊपर जान देना। मिर चला जाना = मृत्यु हो जाना। सिर जोटकर चैटना= मिलकर बैठना । मिर जोडना = (१) एकत्र होना । पचायत करना । (२) एका करना। पड्यन्त्र रचना। सिर भाडना = बातो कधी करना । सिर झुकाना=(१) सिर नवाना । नमस्कार करना। (२) लज्जा मे गरदन नीची करना (३) सादर स्वीकार करना। चुपचाप मान लेना। सिर टकराना = सिर फोडना । अत्यत परिश्रम करना । (किसी के) सिर डालना - मिर मढना । दूसरे के ऊपर कार्य का भार देना। सिर टूटना = (१) सिर फटना । (२) लडाई झगडा होना । सिर तोडना = (१) सिर फोडना । (२) खूब मारना पीटना । (३) वश मे करना । सिर दर्द के लिये मूड कटाना = छोटी बात के लिये वडा नुकसान करना। उ०-रोजमर्रा की जलन से बचने के लिये अलबत्ता ऐसी स्त्री को अलग कर दिया जा सकता है, परतु वह सिर दर्द के लिये मूड कटाने का इलाज है। --पिंजरे०, पृ० ११४ । सिर देना-प्रारण निछावर करना। जान देना। सिर धरना= सादर स्वीकार करना। मान लेना। अगीकार करना। (किसी के) मिर धरना = प्रागेप करना। लगना । महाना। उत्तरदायी बनाना। मिर धुनना - शोक या पछनारे से सिर पीटना । पछनाना । हाथ मनना। पोक करना। उ०-कीन्हे प्राकृत जन गुनगाना। सिर धनि गिग लगनि पछिनाना। -मानत, पृ० १० । मिर नगा वरना % (१) मिर बोलना । (२) इज्जत उतारना। मिर नवाना = (१) मिर भुकाना । नमस्कार करना । (२) विनीत बनना। दीन बनना । ग्राजिनी करना । मिर मिन्नाना == मिर चकाना । (अपना मिन) नीचे करना = अप्रतिष्ठा होना । उग्जन विगठना। मान मग होना। (२) पराजय होना। हार होना । (२) नज्जा हाना । निर पचाना = (१) परिश्रम करना। स्योग करना। (२) मोचने विचारने मे हैरान होना । मिर पटकना = (१) मिर फोडना । सिर धुनग। (२) बहुत परिश्रम रन्ना। (३) प्रफ्सोम करना। हाथ मलना मिर पर कफन बांधकर चलना-प्रति पल मृत्यु के लिये तैयार रहना। मिर पर किंगी या न होना = निन्युश रहना । कोई रोकने टोकनेवाला नहोना। उ०- कोई उनके सिर पर तो है नहीं, अपनी पाप मुजार है।- फिमाना०, भा० ३, पृ० ३७ । सिर पर या पना = अपने ऊपर घटित होना । ऊपर या बनना। मिर पर या जाना- (१) बहुत ममीप या जाना । (२) योडे ही दिन और रह जाना। सिर पर उठा लेना-धम जोतना । धूम मचाना । मिर पर चढ जाना = गुस्ताखी करना । वेग्रदयी करना । मुह लगना । उ०-- एक दफा तरह दो तो अब मिर पर चढ़ गया ।-फिमाना०, मा० ३, पृ० १२५ । (अपने) मिर पर पांव रजना = बहुत जल्द भाग जाना । हया होना। (किमी के) मिर पर पांव रखना= किमी के माय बहुत उद्दडता का व्यवहार करना। मिर पर धरती या पृथ्यो उठाना = बहुत उत्पात करना। निर पर पडना = (१) जिम्मे पडना । (२) अपने ऊपर पटित होना। गुजग्ना । मिर पर खेलना-जान को जोखो मे डालना। चढना या मवार होना = (१) जान लेने पर उतारू होना। (२) इत्या के कारण प्रापे मे न रहना। सिर पर रखना = प्रतिष्ठा करना। मान करना। निर पर छप्पर रखना-चोक से दवाना । दबाव डालना। सिर पर मिट्टी डालना = शोक करना । मिर पर लेना = ऊपर लेना। जिम्मे लेना। सिर पर शैतान चटना = गुस्मा चढना। सिर पर जून रेगना- ध्यान न होना । चेत न होना । होश न पाना। मिर रहना = मान रहना। प्रतिष्ठा बनी रहना । (किसी के) सिर डालना- माथे मढना। भारोपण करना। सिर पर बीतना सिर पर पड़ना। सिर पर होना = थोडे ही दिन रह जाना। बहुत निकट होना । (किसी का किसी के) सिर पर होना = सरक्षक होना। रक्षा करनेवाला होना। सिर पर हाथ धरना या रखना = (१) सरक्षक होना । सहायक होना । (२) शपथ खाना । सिर पडना = (१) जिम्मे पडना । भार ऊपर दिया जाना। (२) हिस्से मे जाना। सिर पडी सहना=अपने जिम्मे पाई विपत्ति या झझट को झेलना। उ०-पक गया जी नाक में दम हो गया, तुम न सुधरे, सिर पड़ी हमने सही।-चोखे०, पृ० मिर पर पून