। होता है। स्मति ४८४६ संगव नगति -- ० (१० सदगति] १ मिलने की क्रिया। मेल । संगमन-नचा पु० [स० सद् गमन] १ सयोग । मेल । सगम । २ यम- नित।२सा साथ । मोहलत । सगत । ३ प्रसग । मैयुन । राज का एक नाम (को०)। । तान्लुक । ५ नान। ६ क्तिो विषय का ज्ञान संगमर-मज्ञा पु० दिरा०] वैश्यो की एक जाति । गजके लिये बार बार प्रश्न करने की क्रिया । ७ सगमर्मर-सग पुं० [फा० सग+अ० मर्मर] एक प्रकार का बहुत युनि । ८ पहले लिखी या कही हुई वात के साथ वाद में चिकना, मुलायम और सफेद प्रसिद्ध पत्थर जो बहुत कीमती लिपी ना काही हरवान का मेल । आगे पीछे कहे जानेवाले पाण्या यादि का मिलान । विशेप-यह पत्थर मूर्ति, मदिर तथा महल इत्यादि वनाने मे काम फि००-बैठना।-मिलना ।-लगना ।—लगाना । अाता है । आगरे का ताजमहल इसी पत्थर का बना है। भारत १० 'मगत'। १० योग्यता । उपयुक्तता (को०) । ११ दैवयोग । मे यह जयपुर में अधिक पाया जाता है। इसके अतिरिक्त नयोग (को०)। १२ सघ (को०)। १३ अधिकरण के पाँच अव- अजमेर, किशनगट और जोधपुर में भी इसकी कुछ खाने है। स्या में ने एक (को)। मगमित-वि० [स० मइ गमित] मिलाया हुआ। सयुक्त या इकट्ठा सगतिया-सा पु० [हिं० मात+इया (प्रत्य०)] १ वह जो किसी किया हुया [को०] । गा नाचनेवाने के माथ रहकर सारगी, तवला या और सगमूसा-महा पु० [फा०] एक प्रकार का काला, चिकना, कीमती नाग जाता हो । माजिंदा। २ दे० 'सगाती' । पत्थर जो मूर्ति आदि बनाने के काम आता हे । सगयशब -सता पुं० [फा०] एक प्रकार का कीमती पत्थर जिसका मगतो- पुं० [हिं० मगत+ई (प्रत्य॰)] १ वह जो साथ मे रग कुछ हरापन लिए हुए होता है। इसे धो या घिसकर पीने हना हो । मग रहनेवाला । २ दे० 'सगतिया' । से दिल का बडकना कम हो जाता है। इसकी तावीज भी लोग मगय- पुं० [मं० मड्गय गग्राम । युद्ध । पहनते है। हाल दिली। सगया-गरा पी० [८० मद गया] नदियो का सगम [को॰] । सगर'-पक्षा पु० [म० सद गर] १ युद्ध। समर । सग्राम। २ संगदिल-वि० [फा०] जिाका हृदय पत्थर की तरह कठोर हो । कठोर प्रापद् । विपत्ति। ३ अगोकार। स्वीकार । ४ प्रतिज्ञा। ५ हदय । निर्दय । दयाहीन । प्रश्न। सवाल । ६ नियम। ७ विप । जहर। ८ शमी वृक्ष सदिलो-सरा सी० [फा०] मगदिल होने का भाव । कठोर हृद- का फल । ६ निगल जाना (को०)। १० ज्ञान (को०)। यता । निर्दयता। यौ०-मगरक्षम = युद्ध योग्य । युद्ध करने में समर्थ या शक्त । सगपुश्त-शा पु० [फा०] पत्थर की तरह कडी पीठवाला, कच्छप । सगरभूमि = लडाई का मैदान । युद्धभूमि। सगरस्थ = युद्धभूमि धुमा। कमठ। मे स्थित । युद्धलिप्त । सगवसरो-सा पुं० [फा०] एक प्रकार को मिट्टी जिममे लोहे का सगर-सग पु० [फा०] १ वह धुम या दीवार जो ऐसे स्थान मे या अधिक होता है और जो इसी कारण दवा के काम मे बनाई जाती है, जहाँ सेना ठहरती है। रक्षा करने के लिये पाती है। यह फारस मे होती है और वही से आती है। सेना के चारो ओर बनाई हुई खाई, धुस या दीवार । २ सगम-7 पु० [स० मन्गम] १ दो वस्तुप्रो के मिलने की क्रिया । मिनाप । मेनन । मयोग । समागम । मेल । उ०-यापुहि सगरण-सशा पृ० [म० सट गरण] किसी के पीछे चलना। पीछा ते उठिपो चल निय पिय के सकेत । निनिदिन तिमिर प्रकास करना। गर्न न साम देत । -देव (शब्द०) । २ दो नदियों के संगराम @-संशा पुं० [स० सङ ग्राम] दे० 'सग्राम' । पिनने न्यान। जैसे,—गा यमुना का सगम प्रयाग मे सगरासिख-पच्चा पु० [हिं० मा फा० हिं० का मिश्रण] ताँबे की मैल जो 7-18|३०-योति जगे यमुना मी लग जग लाल विलोचन खिजाव बनाने के काम मे आती है। पार सिाह । पूर सुना गुभ सगम तु तरग तरनिणि गग सगरेजा-मस पु० [फा०] पत्थर के छोटे छोटे टुकडे। ककड । को माराव (गन्द०)। ३ साथ। संग। सोहबत । 30-मापन गो कयो विगम । कत लुभाय रह जेहि सगल-सचा पुं० [देश॰] एक प्रकार का रेशम जो अमृतसर से मामलावर्ग (मब्द०)। ४ स्त्री और पुरप का सयोग । प्राता है। मैगुन । प्राग। विशेष-यह दो तरह का होता है-बरदवानी और वशीरी। यौ०-गानाग काल की घबराहट । यह वार्गक और मजबूत होता है, इमलिये गोटा, किनारी आदि ५ चौहित्र में हो का योग। कई ग्रहो ग्रादि का एक म्यान बनाने के काम मे बहुत याता है। पसिना का न होना। ६ उपयुक्न होने का भाव सगव-तरा पु० [म० सङ गव] वह समय जब चरवाहा बछडो को (२०)10 ताई। मन (20)। ८ मपर्क । स्पर्ण (को०) । दूध पिनाकर और गौग्रो को दुहकर चराने के लिये ले जाता नगमा- मे० सल गमन] मागदार को०] । है। प्रात काल के बाद तीन मुहूर्त का समय । मोरचा। वजरी।
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