पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२९८

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सिद्धक ६०१८ सिद्धयानिक एक सिद्ध आए हैं । २ कोई ज्ञानी या भक्त महात्मा। मोक्ष का सिद्धत्व-मज्ञा पुं॰ [स०] दे० 'सिद्धता'। अधिकारी पुरुप । ३ एक प्रकार के देवता । एक देवयोनि । सिद्धदर्शन--सञ्ज्ञा पुं० [स०] अलौकिक शक्तियुक्त सत का दर्शन । विशेष -सिद्धो का निवास स्थान भुवलोक कहा गया है। वायु सिद्धदात्री--सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] नव दुर्गा मे से एक दुर्गा । पुराण के अनुसार उनकी सख्या अठासी हजार है और वे सूर्य सिद्धदेव--सज्ञा पु० [स०] शिव । महादेव । के उत्तर और सप्तपि के दक्षिण अतरिक्ष में वास करते है। सिद्धद्रव्य--सज्ञा पु० [स०] वह द्रव्य या वस्तु जो सिद्ध की गई हो। वे अमर कहे गए हैं पर केवल एक कल्प भर तक के लिये । ऐद्रजालिक या जादू की वस्तु [को०] । कही कही मिद्धो का निवास गधर्व, किन्नर आदि के समान हिमालय पर्वत भी कहा गया है। सिद्धधातु-सज्ञा पु० [स०] पारा । पारद । ४ अर्हत । जिन । ५ ज्योतिप का एक योग । सिद्धनर-सञ्ज्ञा पु० [म०] दैवज्ञ । ज्योतिपी। भविष्य या भाग्यकथन ६ व्यवहार। करनेवाला को मुकदमा। मामला । ७ काला धतूरा। ८ गुड । ६ ज्योतिष मे विष्कम आदि २७ योगो मे से इक्कसीवां योग । १० कृष्ण सिद्धनाथ-मज्ञा पु० [सं०] १ सिद्धेश्वर । महादेव । २ गुलतुर्रा । सिंदुवार । काली निर्गुडी। ११ सफेद सरसो। १२, सेधा सिद्धनामक-सज्ञा पुं० [स०] अश्मतक वृक्ष । आवुटा। नमक (को०)। १३ जादूगर। ऐद्रजालिक (को०)। १४ सिद्धपक्ष--सज्ञा पु० [स०] १ किसी प्रतिज्ञा या बात का वह अश जो चौबीस की सख्या (को०)। १५ वाजीगगे। १६ अलौकिक प्रमाणित हो चुका हो । २ प्रमाणित वात । सावित बात। शक्ति (को०)। सिद्धपथ--सञ्ज्ञा पुं० [स०] आकाश । अतरिक्ष । सिद्धक-सञ्ज्ञा पु० [सं०] १ सँभालू । सिंदुवार वृक्ष । २ एक वृत्त या सिद्धपात्र--सञ्ज्ञा पु० [स०] स्क्द के एक अनुचर का नाम । छद (को०) । ३ शाल वृक्ष । साखू । सिद्धप.ठ-सचा पु० [म०] वह स्थान जहाँ, योग, तप या ताविक प्रयोग सिद्धकज्जल-सज्ञा पुं० [स०] एक विशिष्ट प्रकार का अजन । जादू करने से शीत्र सिद्धि प्राप्त हो। उ०-साहसी समीरसुनु का काजल। सिद्धाजन [को०] । नीरनिधि लघि लखि लक सिद्धपीठ निसि जागो है मसान सो। सिद्धकाम-वि० [सं०] १ जिसकी कामना पूरी हुई हो जिसका प्रयोजन तुलसी (शब्द०)। सिद्ध हो चुका हो । २ सफल । कृतार्थ । सिद्धपुर- सज्ञा पुं० [म०] १ एक कल्पित नगर जो किसी के मत से सिद्धकामेश्वरी-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] कामाख्या अर्थात् दुर्गा की पचमूर्ति पृथ्वी के उत्तरी छोर पर और किसी के मत से दक्षिण या के अतर्गत प्रथम मूर्ति । पाताल मे है । (ज्योतिष)। २ गुजरात मे एक तीर्थ जहाँ सिद्धकारी-सञ्ज्ञा पुं० [सं० सिद्धकारिन्] [स्त्री० सिद्धकारिणी] धर्म माता का श्राद्ध किया जाता है । मातृगया। शास्त्र के अनुसार आचरण करनेवाला। सिद्धपुरी--सज्ञा स्त्री० [सं०] दे० 'सिद्धपुर' । सिद्धकार्थ-वि० [स०] जिसकी कामना पूर्ण हो गई हो। सिद्धकाम । सिद्धपुरुष--सज्ञा पु० [स०] वह पुरुष जिसे सिद्धिलाभ हो गया हो । सफल । कृतकार्य किो०]। वह व्यक्ति जिसे अलौकिक सिद्धि प्राप्त हो (को०] । सिद्धक्षेत्र-सज्ञा पु० [स०] १ वह स्थान जहाँ योग या तत्त्र प्रयोग सिद्धपुप्प--सञ्ज्ञा पु० [स०] करवीर । कनेर का पेड । जल्दी सिद्ध हो। २ वह स्थान जहाँ सिद्ध रहते हो। सिद्धो का विशेष-यह सिद्ध लोगो को प्रिय और यत्रसिद्धि मे प्रयुक्त किया क्षेत्र (को०) । ३ दडक बन के एक विशेष भाग का नाम । जाता है। सिद्धखड--सज्ञा पु० [स० सिद्धखण्ड] खांड का एक भेद [को०] । सिद्धप्रयोजन-सज्ञा पु० [म०] सफेद सरसो । श्वेत सर्पप । सिद्धगगा-सज्ञा स्त्री॰ [स०] मदाकिनी। आकाश गगा। स्वर्ग गगा। सिद्धगति -सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] जैन मतानुसार वे कर्म जिनसे मनुष्य सिद्धमत्र--संज्ञा पुं० [सं० सिद्धमन्त्र] सिद्ध किया हुअा मन । सिद्धभूमि--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] सिद्धपीठ। सिद्धक्षेत्र । सिद्ध हो । सिद्धगुटिका-सञ्चा स्त्री० [स०] वह मनसिद्ध गोली जिसे मुंह मे रख सिद्धमत--सज्ञा पु० [म०] १ वह सिद्धात या वाद जो पूर्णत प्रमाणित लेने से अदृश्य होने आदि की अद्भुत शक्ति आ जाती है । हो । २ सिद्ध व्यक्तियो या सतो का मत । दे० 'सिद्धि गुटिका'। सिद्धमनोरम-सशा पु० [स०] कर्म मास [को॰] । सिद्धग्रह-मज्ञा पु० [स०] १ एक प्रकार का प्रेत जो उन्माद रोग सिद्वमातृका-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] १ एक देवी का नाम । २ एक प्रकार उत्पन्न करता हे । २ एक प्रकार का प्रेतजन्य उन्माद (को०)। की लिपि। सिद्वजल-सज्ञा पु० [म०] १ काजी। २ प्रौटा हुआ जल । सिद्धमानस---वि० [स०] पूर्ण सतुष्ट मन या मस्तिष्कवाला [को॰] । सिद्धता-मशा स्त्री॰ [स०] १ सिद्ध होने की अवस्था। २ प्रामाणि- सिद्धमोदक-संज्ञा पु० [स०] तुरजवीन की खाँड । तवराजखड । कता । सिद्धि । ३ पूर्णता। सिद्धयात्रिक--सज्ञा पु० [सं०] सिद्धिके निमित्त यात्रा करनेवाला सिद्धतापस-सज्ञा पुं० [स०] सिद्धिप्राप्त तपस्वी [को०] । व्यक्ति । दे० 'सिद्धियात्रिक' (को॰] । ।