पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२९५

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सिताभोज ६०१५ सितारा' सिताभोज-सज्ञा पु० [स० सिताम्भोज] दे० 'सितावुज' । उ०- उत्पल, राजिव, कोकनद, सिताभोज जलजात । - नद० ग्र०, पृ० ११०। सिताशु-सञ्ज्ञा पु० [३०] १ चद्रमा । २ कपूर। सिताशुक-वि० [स०] श्वेत वस्त्रधारी । सफेद वर्ण का वस्त्र धारण करनेवाला [को०] । सितॉ-मज्ञा पुं० [फा०] १ राष्ट्र । देश । २ निवामभूमि। ३ स्थान । जगह । ४ वह स्थान जहाँ किसी वस्तु का प्राधिक्य हो। सिता- वि० ग्रहण करनेवाला । ले लेनेवाला को० । सिता-सज्ञा स्त्री० [म०] १ चीनी। शक्कर । शर्करा । उ०-दूध पौटि तेहि सिता मिलाऊँ मै नारायण भोग लगाऊँ। रघराज (शब्द०)।२ शुक्ल पक्ष । उ०-चैत चारु नौमी सिता मध्य गगन गत भानु। नखत जोग ग्रह लगन भल दिन मगल मोद विधानु ।-तुलसी (शब्द०)। ३ मल्लिका । मोतिया । ४ श्वेत कटकारी। सफेद भटकटया । ५ वकुची। सोमराजी । ६ विदारी कद । ७ श्वेत दूर्वा । ८ चाँदनी। चद्रिका। कुट विनी का पौवा । १० मद्य । शराब । ११ पिंगा। १२ वायमाणा लना। १६ अर्कपुप्पी। अधाहुली। १४ वच । १५ सिंहली पीपल । १६ आमडा । पाम्रातक । १७ गोरोचन । १८ वृद्धि नामक अष्टवर्गीय ओपधि । १६ चाँदी। रजत । रूपा । २० श्वेत निसोथ । २१ त्रिसधि नामक पुष्प वृक्ष । २२ पुनर्नवा । सफेद गदहपूरना। २३ पहाडी अपराजिता । २४ सफेद पाडर । पाटला वृक्ष । २५ सफेद सेम । २६ मूर्वा । गोकर्णी लता । मुरा। २७ आकर्षक महिला। सुदरी रस्त्री (को०) । २८ गगा नदी (को०) । २६ मिस्री (को०) । सिताइश- ज्ञा स्त्री० [फा०] १ तारीफ। प्रशसा। २ धन्यवाद । शुक्रिया। ३ वाहवाही । शावाशी । सिताखड-सज्ञा पु० [स० मिताखण्ड] १ मधुशर्करा। शहद से बनाई हुई शक्कर। २ मिस्त्री। सिताख्य-सचा पु० [स०] सफेद मिर्च । सिताख्या--सज्ञा स्त्री० [म०] सफेद द्व। सितान-सज्ञा पु० [स०] कांटा । कटक । सिताजाजी- सज्ञा स्त्री॰ [स०] सफेद जीरा । सितातपत्र, सितातपवारण सज्ञा पु० [म०] श्वेत आतपत्न। श्वेत चंदोवा या छन किो०)। सितादि-सा पुं० [स०] शक्कर आदि का कारण या पूर्व रूप, गुड । सितानन'--वि० [म०] सफेद मुंहवाला । सितानन-मज्ञा पु० १ गरुड । २ वेल । विल्व वृक्ष । ३ शिव का एक गण (को०)। सितापाग---सशा पु० [स० सितापाडग] मयूर । मोर। सितापाक-सशा पु० [सं०] दे० 'सिताखड' । सित्ताब@- त्रि० वि० [फा० शिताव] जल्दी। तुरत । the उ.-प्रीतम आवत जानिक भिस्ती नैन सिताव। हित कर देत है अँसुवन को छिरकाव । -रसनिधि (शब्द०) सिताब-सञ्ज्ञा स्त्री० जल्दी। शीघ्रता । उ० -- दिना दोइ मे कूच होइ आगे नवाब को । तातै ढील न होइ काम यह है सिताव को। -सुजान०, पृ० ६२ । सिताबी'--क्रि० वि० [फा० शिताव] दे० 'सिताव" । सितावीर--सज्ञा स्त्री० १ चाँदनी। २ दे० 'सिताव। सिताब्ज--सञ्ज्ञा पु० [स०] दे० 'सितावुज' [को०] । सिताभ-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ कर्पूर । कपूर। २ शर्करा। ३ वह जिसकी प्रभा श्वेन हो। सिताभा-सज्ञा स्त्री० [स०] तक्रा । तक्राह वा क्षुप । सिताभ्र, सिताभ्रक-सज्ञा पु० [म०] १ सफेद बादल । २ कपूर । कर्पूर। सितामोघा-सज्ञा स्त्री० [स०] सफेद पाडर । श्वेत पाटला। सितायुध--सज्ञा पु० [स०] एक प्रकार की मछली। सितार- सज्ञा पु० [फा०, या स० सप्त + तार, फा० सेहतार] एक प्रकार का प्रसिद्ध बाजा जिसमे सात तार होते है और जो लगे हुए तारो को उँगली से झनकारने से बजता है । एक प्रकार की वीणा। विशेष—यह काठ की दो ढाई हाथ लवी और चार पांच अगुल चौडी पोली पटरी के एक छोर पर गोल कह की तुबी जडकर बनाया जाता है। इसका ऊपर का भाग समतल और चिपटा होता है और नीचे का गोल । समतल भाग पर पर्दे धे रहते हैं जो सप्तक के स्वरो को व्यक्त करते है। इनके ऊपर तीन से लेकर सात तार लवाई के बल मे बँधे रहते है। इन तारो को कोण द्वारा झनकारने से यह बजता हे । सितारबाज--मज्ञा पुं० [हिं० सितार+फा० वाज] सितार वजाने- वाला। सितारिया। सितारजन-सज्ञा पुं० [फा० सितारजन] सितारवादक । सितारबाजी-सज्ञा स्त्री० [हिं० सितार+ फा० वाजी] सितार वजाना । सितारवादक-मज्ञा पु० [हिं० मिनार + स० वादक] सितार वजाने- वाला । सितारिया। सिताग'--सज्ञा पु० [फा० सितारह.] १. तारा । नक्षत्र । उ०- मनी सितारे भूमि नभ फिरि पावत फिरि जात।-स० सप्तक, पृ० ३६३ । २ भाग्य । प्रारब्ध । नसीब । मुहा०--सितारा चमकना = भाग्योदय होना। अच्छी किस्मत होना । सितारा बलद या बुलद होना = दे० 'सितारा चम- कना' । सितारा मिलना = (१) फलित ज्योतिप मे ग्रहमैत्री मिलना। गणना वैठना । (२) मन मिलना। परस्पर प्रेम होना। ३ चाँदी या सोने के पत्तर की बनी हुई छोटी गोल बिंदी के कार की टिकिया जो कामदार टोपी, जूते आदि मे टाँकी । है या शोभा के लिये चेहरे पर चिपकाई जाती है। है। उ०-नील सलमे सितारे या बादने।-प्रेमघन०, २, पृ०८७ । ४ दे० 'सितारा पेशानी'।