पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२८३

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सिंधु ६००३ सिंधुसहा १५ गववों के एक राजा का नाम । १६ वरुण का एक नाम सिधुप्रसूत--सक्षा पु० [म० मिन्धुप्रसून] सेवा नमक । (को०) । १७ विष्णु का एक नाम (को०)। १८ एक नागराज सिधुमथ--सा पु० [स० मिन्धुमन्य] १ पर्वत । २ ममुद्रमयन । (को०) । १६ बाढ । प्लावन (को०)। सिधुमथज--पज्ञा पु० [८० मिन्धुमन्यज] सेधा नमक । सिंधुर-- २--सज्ञा स्त्रो०१ नदी। मरिता । २ दक्षिण की एक छोटी नदी मिधुमाता--सवा सी० [म० सिन्धुमातृ] नदियो की माता, मरम्वती। जो यमुना मे मिलती है। सिधुक --सचा पु० [म० मिन्युक] निर्गुडी । सँभालु वृक्ष । सिधुनुख - सशा पु० [म० मिन्धुमुख] नदी का मुहाना। नदी का सगम स्थल [को०]। सिधुक' - वि० १ समुद्र में उत्पन्न । ममुद्र का। ममुद्र संबंधी। २ सिंध प्रदेश का किो०)। सिधुर--तज्ञा पु० [स० सिन्धुर] [स्त्री० मिथुरा] १ हस्ती। हाथी । सिंधुकन्या-मज्ञा स्त्री० [स० मिन्धु कन्या] लक्ष्मी। उ०-चली सग बनराज के, रमे एक बन पाहि । सिंधुर सिधुकफ-सभा पु० [स० मि.धुकफ] समुद्रफन । यूथप बहुत तहँ, निकसे तेहि वन माहि । --सवलसिंह (शब्द॰) । २ पाठ की सख्या। सिंधुकर--शा पु० [स० मिन्धुकर] श्वेत टकरण । मोहागा। सिधुरद्व पो--तज्ञा पु० [स० सिन्धुरद्वेपिन्) हाथी का शत्रु, मिह । सिंधुकालक---ज्ञा पु० [म० मिन्धुकालक] नैऋत्य कोण के एक प्रदेश सिधरमणि, सिधुरमनिल-ज्ञा पु० [स० मिन्धुरमणि] गजमुक्ता। का प्राचीन नाम। उ०-पीत वमन कटि कलित कठ सुदर मिधुरमनि माल । सिंधुखेन-नशा पु० [स० सिन्धु खेल] सिंध प्रदेश । तुलसी (शब्द०)। सिधुज'--वि० [स० मिन्धुज] १ समुद्र में उत्पन्न। २ सिंध देश मे सिधुरवदन-संज्ञा पु० [सं० सिन्धुरवदन] गजवदन । गणेश । होनेवाला । ३ नदो से उत्पन्न (को०)। ४ जलोत्पन्न। जल मे गुरु सुरमइ मिधुरवदन, मसि सुरमरि सुरगाइ। मुमिरि चलहु या जल से उत्पन्न (को०)। मग मुदित मन होइहि सुकृत महाइ ।-तुलसी (शब्द॰) । सिधुज'--सना पु० १ सेधा नमक । २ शख। उ०-जाके क्रोध भूमि सिधुरागामिनि-वि० स्त्री० [सं० सिंधुरागामिनो] 'सिंधुरागामिनी' । जल पटके कहा कहेगो सिंधुज पानी।-सूर (शब्द०)। ३ हाथी की सो चालवालो। उ०--गावत चली सिंधुरागामिनि । पारद । पारा । ४ मोहागा । ५ समुद्र का पुत्र, चद्रमा (को०)। —तुलसी (शब्द०)। सिधुजन्मा - सज्ञा पु० [स० सिन्धुजन्मन्] १ चद्रमा । २ सेंधा नमक । सिघुरागामिनो--वि० स्त्री० [स० सिन्धुरागामिनी] गजगामिनी । सिधुजन्मा-वि० दे० 'सिंधुज १' । सिधुजा--संज्ञा स्त्री० [म० सिन्धुजा] १ समुद्र से उत्पन्न, लक्ष्मी। सिधुराज-सज्ञा पु० [म० सिन्धुराज] १ जयद्रथ का नाम । २ सेधा उ०-चौर ढारत सिधुजा जय शब्द वोलत सिद्ध । नारदादिक नमक । ३ समुद्र किो०)। विप्र मान अणेप भाव प्रसिद्ध ।-केशव (शब्द॰) । २ सीप सिधुराव--मज्ञा पु० [म० सिन्धुराव] निर्गु डी। सँभालू । जिससे मोती निकलता है। सिधुन-सञ्ज्ञा पु० [स० सिन्धुल] राजा भोज के पिता का नाम । सिधुजात-नमा पु० [म० सिन्धुजात] १ सिंधी घोडा । २ मोती । सिधुलतान--सज्ञा पु० [स० मिन्धुलतान] मूंगा। प्रवाल । सिधुडा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स० सिन्धु] एक रागिनी जो मालव राग की सिधुनवण-नशा पु० [म.] सेधा नमक । भार्या मानी जाती है। सिधवार--मज्ञा पु० [स० सिन्धुवार] १ सिंदुवार । निर्गु डी। २ फारस सिधुतोरमभव--सज्ञा पु० [स० मिन्धुतीरसम्मव] सुहागा । या सिंध से खरीदा घोडा । ३ सिंध देश का अश्व (को०) । सिध्देश--मज्ञा पु० [स० मिन्धुदेश] मिव नाम का देश । मिधवारित--सज्ञा पु० [० सिन्धुवारित] दे० 'सिधुवार (को०] । सिधुनदन-सज्ञा पु० [स० सिन्धुनन्दन] (ममुद्र का पुत्र) चद्रमा । सिधुवासो-मशा पु० [स० सिन्युवामिन्] सिंध देश का निवासी। मिधुनाथ--सशा पु० [स० सिन्धुनाथ] नदियो का पति या स्वामी। मिधुविष-शा पु० [म० सिन्धुविय] हलाहल विष जो समुद्र मयने पर निकलता था। उ०प्रासोविप, सिंधुविप पावक सो तो कछू मिधुपति-सज्ञा पु० [स० सिन्धुपति] दे० 'सिंधुराज' । हुतो प्रहलाद सो पिता को प्रेम छूट्यो है। -केशव (शब्द॰) । सिधुपर्णी- संज्ञा स्त्री॰ [स० सिन्धुपर्णी] गभारी वृक्ष । सिवृप --सज्ञा पु० [स० सिन्धुवृष] विष्णु का एक नाम । सिघुपिव-नशा पु० [स० मिपिव] अगस्त्य ऋषि का एक नाम, सिधवषए -सञ्चा पु० [५० सिन्धुवेपण] गभारो वृक्ष । जो ममुद्र पी गए थे। सिरायन - संज्ञा पु० [२० मिन्यु रायन] विष्णु । सिंधुपुत्र 1- ज्ञा पुं० [३० मि पुत्र] १ चद्रमा । २ तिदुक की जाति सिधु नगम --मशा पु० [स० सिन्यु मडगम] नदियो का मगम या समुद्र का एक पेड। मिलन (को०)। सिधुपुलिद -मज्ञा पु० [म० सिन्धुपुलिन्द] एक जनपद का नाम किो०]। निधुनभवा-उशा क्षी० [5० मिन्बुसम्भवा] फिटकिरी। सिमुप -चा पु० [१० सिन्धुपुष्प] १ शख । २ कदव । कदम। सिधुसर्ज-शा पु० [३० सिन्धुसर्ज] शाल वृक्ष । साखू । ३ मौलसिरी । वकुल। सिधुसहा-मज्ञा ली० [१० मि.गुनहा] निर्गु डो। सिंदुवार । समुद्र (को०] ।