1 1 पृ०५७। का उलटा। साहित्यिक ५०१८ साहूकारा साहित्यिक'--वि० [सं० साहित्य + हि० इक (प्रत्य॰)] साहित्य और नोके पंछ की भाँति फिरी रहती है। जब यह क्रुद्ध होता सबधी । जम--साहित्यिक चर्चा । है, तव काँटे सीधे खडे हो जाते है। यह अपने शत्रुओं पर अपने साहित्यिक-संज्ञा पु० वह जो साहित्य सेवा मे सलग्न हो । साहित्य कॉटो से आक्रमण करता है। इसका किया हुआ घाव कठिनता शास्त्र का विद्वान् । साहित्यसेवी। जैसे,--वहाँ कितने ही प्रसिद्ध से आराम होता है। इन काँटो से लिखने की कलम बनाई साहित्यिक उपस्थित थे जाती है और चूडाकर्म मे भी कही कहो इनका व्यवहार साहिनी--सशा सी० [अ० सेनानी ?] दे० 'साहनी' । होता है। ये जतु आपस मे वहुत लडते है, इसलिये लोगो का विश्वास है कि यदि इसके दो कांटे दो आदमियो के दरवाजो सा हव--सा पु० [अ०] [ली साहिवा] स्वामी। प्रभु । दे० 'साहब' । पर गाड दिए जाएँ, तो दोनो मे बहुत लडाई होती है। यह दिन उ०-माहिव सोतानाथ से सेवक तुलसी दास । --मानस, ११२८ । मे सोता और रात मे जागता है । यह नरम पत्ती, साग, तरकारी साहिविनी- सज्ञा स्त्री० [अ० साहिब + इनी (प्रत्य॰)] स्वामिनी । और फल खाता है। शीतकाल मे यह वेसुध पड़ा रहता है। यह मलकिन । उ०--मेरी साहिविनि सदा सीस पर विलसति, देवि प्राय ऊष्ण देशो में पाया जाता है। स्पेन, सिसिली आदि क्यो न दास को देखाइयत पाय जू ।-तुलसी ग्र०, पृ. २३१ । प्रायद्वीपो और अफ्रीका के उत्तरी भाग, एशिया के उत्तर, साहिवी--पज्ञा स्त्री० [हिं०] दे॰ 'माहवी' । उ.- (क) सुलभ सिद्धि तातार, ईरान तथा हिंदुस्तान मे यह बहुत मिलता है। इसे सब साहिवी सुमिरत सीता राम ।--तुलसी ग्र०, पृ० १५२ । कही कही 'सेई' और 'स्याऊ' भी कहते है। (ख) लै त्रिलोक की साहिवी दै धतूर को फूल |--स० साही'-वि० [फा० शाही] दे० 'शाही' । उ०—साही हुकुम्म किज्जिय सप्तक, पृ० १४६ । सुवेग।-५० रासो, पृ० ६५। साहिब्व--सज्ञा पुं० [अ० माहिब] दे० 'साहब' । उ०-~साहिव्व साहु--सज्ञा पु० [स० साधु] १ सज्जन। भला मानस । उ०-ताहि वचन इम उच्चर अली प्रौलिया पीर गनि। -ह. रासो, न खोजहु साहु के पूता। का पाहन पूजहु अजगूता:-कवीर सा०, पृ० ३६६। २ महाजन । धनी। साहुकार। चोर साहियाँ-रज्ञा पु० [स० स्वामी, या फा• शाह, हिं० साह, साहि] दे० 'साँई'। विशेष--प्राय वणिको के नाम के आगे यह शब्द आता है। इसको साहिर-सज्ञा पु० [अ०] [बहु व० सहरा] जादूगर । उ०--अफसोस कुछ लोग भ्रम से फारसी 'शाह' का अपभ्रश समझते है । पर मार झटपट दिल को रखे हे अटका। किस साहिरो से सीखा यथार्थ मे यह सस्कृत 'साधु' का प्राकृत रूप है । जुल्फो ने तेरी लटका |--कविता कौ०, भा० ४, पृ० १६ । साहुन-सज्ञा पुं॰ [स० श्रावण, हिं० सावन] दे॰ 'सावन' (मास)। उ०- साहिरी--संज्ञा सी० [अ० साहिर जादूगरी। सदा तुरैया फूले नही, सदा न साहुन होय। सदा नै कसा रन साहिल'-संज्ञा पु० [अ०] १ किनारा । कूल । तट । २ समुद्र अथवा चढे सदा न जोवे कोय।-शुक्ल अभि० ग्र०, पृ० १५३ । नदी का तट [को०)। साहुनि--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [हिं० साहु] साहु की स्त्री। साहुअाइन । उ० - साहिल'-संज्ञा स्त्री० [म० शल्यकी] दे॰ 'साही' । साहु के माल चोर धरि सांधा। साहुनि कूदि साहु कह वाधा । --सत० दरिया, पृ० ३६६ । साहिलो - सज्ञा स्त्री॰ [अ० साहिल ( = समुद्र तट)] १ एक प्रकार का साहुरड़ा-पञ्ज्ञा पु० [सं० श्वसुरालय या हि० सासुर + डा (प्रत्य०)] पक्षी जिसका रंग काला और लवाई एक वालिश्त से अधिक पति का घर। ससुराल । सासुर। उ०--पवक द दिन चार होती है। हे साहुरडे जाणा। अधा लोक न जाणई मूरखु एयाणा । विशेष-यह प्राय उत्तरी भारत और मध्य प्रदेश में पाया जाता -कवोर ग्र०, पृ० ३०६ । है। यह पेड की टहनियो पर प्याले के आकार का घोसला साहुल-सञ्ज्ञा पुं० [फा० शाकूल] दीवार की सीध नापने का एक प्रकार बनाता है । इसके अडो का रग भूरा होता है। का यत्र जिसका व्यवहार राज और मिस्त्रो लोग मकान बनाने २ बुलबुल चश्म। के समय करते है। साही'-संशा स्त्री॰ [स० शल्यको] एक प्रसिद्ध जतु जो प्राय दो फुट विशष-यह पत्थर की गोली के आकार का होता है और इसमे लवा होता है। एक लबो डोरी लगो रहतो हे। इसो डारो के सहारे से इसे विशेष-इसका सिर छोटा, नथुने लवे, कान और आँखे छोटी लटकाकर दीवार की टेढाई या सिधाई नापते है। और जीभ बिल्ली की तरह काँटेदार होती है। ऊपर नीचे के साहू--पञ्चा पुं० [स० साधु, प्रा० साह] द० 'साहु' । जवडे मे चार दाँतो के अतिरिक्त कुतरनेवाले दो दाँत ऐसे साहूकार--पञ्चा पु० [हिं० साहु + कार (प्रत्य॰)] वडा महाजन या तीदरण होत हैं कि लकडी के मोटे तख्ते तक को काट डालते है। व्यापारो। कोठोवाल । धनाढ्य । इसका रंग भूरा, सिर और पाँव पर काले काले सफेदी लिए साहूकारा'-या पु० [हिं० साहूकार + प्रा (प्रत्य॰)] १ रुपयो का छोटे छोटे बाल और गदन पर के वाल लबे और भूरे रंग के लेनदेन। महाजनी । २ वह बाजार जहा बहुत स साहूकार या होते है। पीठ पर लबे नुकीले काँटे होते है। काँटे बहुधा सीधे महाजन कारवार करत हो। ३ साहूकारो का मुहल्ला।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२७८
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