पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२७१

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प्रजा। सालिम ५०६१ सावकाश' सलोकता। २ किसी के माथ ममान लोक मे निवास सालिम-वि० [अ०] १ रवस्थ । तदुरस्त (को०)। २ महफूज । सुरक्षित (को०) । ३ जो कही गडित न हो । पूर्ण। सपूर्ण । पूरा। करना (को०)। उ०-पिन मांगे बिन जाँचे देय । सो सालिम बाजी जीत सालोव-मज्ञा पुं० [म. शालिहोत्र] दे० 'शालिहोत्र' । उ०-है लेय ।-कबीर० १०, मा० २, पृ० १११ । लप सक्क करि भेद छेद, दिप्पत नयन मालोन पेद। गज सालियाना-वि० [फा० मालियानह] वापिक। दे० 'सालाना' । चिगछ इच्छ जानत सब, नाटिक निवास सम सेस व्य । २ जो प्रतिवर्ष देय हो । जैसे, वेतन, भूति प्रादि (को०) । -पृ० रा०, ६९। सालिस-वि० [अ०] १ तीसरा । तृतीय। २ दो पक्षो मे समझौता सालोहित - सज्ञा पु० [म.] मगोत्री । गाती किो०] । करानेवाला । पच । मध्यस्य। विचालिया। उ०-से सालिस साल्मली-सज्ञा पुं० [स० शाल्मलि] दे॰ 'शात्मली' । होय समुझि ले, जीम जहान वमीर ।-घरनी०, पृ० ४५। साल्व-सज्ञा पुं० [म०] एक नगर और उसके निवासी लोग। दे० सालिसिटर-सज्ञा पु० [अ०] एक प्रकार का वकील जो कलकत्ते, 'शाल्व' । २ एक दैत्य जिसे विष्णु ने मारा था (को०) । बबई और मद्रास के हाइकोटों मे होनेवाले मुकदमे लेता और साल्वहा-सशा पुं॰ [स०] विष्णु [को॰] । उनके कागज पन तैयार करके वैरिस्टर को देता है। एटर्नी । साल्विक--सज्ञा पु० [म०] सारिका पक्षी (को०] । एडवोकेट । साल्वेय'--वि० [स०] साल्व या शाल्व सबधी। विशेप-ये सालिसिटर हाईकोटो मे बहस नही कर सकते, पर साल्वेय'-सज्ञा पु० १ एक प्राचीन देश का नाम । २ मात्व या अन्य अदालतो मे इन्हे वहम करने का पूरा अधिकार है। इनका दर्जा एडवोकेट के समान ही है। शाल्व देश का रहनेवाला। सालिसी-सज्ञा [१०] पचायत किो०) । सावत--मज्ञा पुं० [म० मामन्त] १ वह भूस्वामी या राजा जो किमी बडे राजा के अधीन हो और उसे कर देता हो । करद राजा । सालिह वि० [अ०] [स्त्री० नालिहा] सच्चरित्न । पुण्यात्मा [को० । २ योद्वा वीर। ३ अविनायक। उ०-छन भग मेरी भयो, सालिहोत्री- संज्ञा पु० [म० शालिहोत्रिन्] दे० 'शालिहोत्री' । मरे सूर सावत ।-हम्मीर०, पृ० ३६ । ४ उत्तम या श्रेष्ठ साली-सज्ञा स्त्री० [फा० साल+ई प्रत्य॰)] १ वह जमीन जो सालाना देने के हिसाब से ली जाती है। २ खेती वारी के श्रीजारो की मरम्मत के लिये वढई को सालाना दी जानेवाली सावकरन-सज्ञा पु० [स० श्यामकर्ण] श्यामकर्ण घोडा जिसके सब मजूरी। अग श्वेत, पर कान काले होते है। (माईम) । उ०--सोरह सहस घोर घोरसारा । सार्वकरन बालका तुखारा।-जायसी साली--सज्ञा पुं० [म० शालि] दे० 'शालि' । ग्र० (गुप्त), पृ० १३७॥ साली- सज्ञा झी० [हि० साला] पत्नी की वहन । साव' - सशा पु० [स० शाव, प्रा० साव (= शावक, शिशु)] शिशु । सालुलर-सज्ञा पु० [हिं० सालना] १. ईर्ष्या । २ कष्ट । वालक । पुत्र । (डि०)। सालुख-सज्ञा पु० [म० सार] दे० 'सार' । उ०-चढिया नजर साव'-मशा पुं० [सं० साधु, प्रा० साह] दे० 'साई' । सराफ की मोती मनु है सालु ।---प्राण, पृ० १०५। साव३.-सज्ञा पु० [स० स्वादु, प्रा० साउ ?] दे० 'स्वाद' । उ०- सालुलg+-वि० [स० सलावण्य ?] कोमल । मृदु । सलोना । उ०- चगी साव चखावसी, इभरमणी पाखेट।-बाँकी० म०, कोतिक लखे हुए विकराल दीरघ रद किया। सालुल वणे भा० १, पृ० ३४ । चड सरीर, खावरण कज मिया ।- रघु० रु०, पृ० १२६ । साव --सज्ञा पु० [स०] तर्पण । पितरो को जल देना । सालू-सशा पु० [प०, मि० फा० शाल] एक प्रकार का लाल कपडा जो मागलिक कार्यों में उपयोग में आता है। (पश्चिमी)। सावक'--वि० [सं०] [खी० माविका] जन्म देनेवाला। उत्पन्न उ०-कल, देखते नही यह रेशम से कढा हुया सालू । करनेवाला किो०] । -मधुकरी, भा॰ २, पृ० २३ । २ साडी। सारी। (डि०) । सावकर--मज्ञा पुं० १ ० 'शावक'। २ पशु का बच्चा। छौना । ३ श्रोहनी। बछवा । बछेग। उ०--(क) चौथ दीन्ह सावक सादूर।- सालूर-सा पु० [स०] मेढक । शालूर [को०] । जायसी प्र०, पृ० १८५। (ख) मावक मोर बिछुड गयो, ढूंढत फिरौ वेहाल ।-हिंदी० प्रेमा०, पृ० २४५ । सालेय.-सज्ञा पु० [४०] २० 'शालेय' (को०] । सावक'--मा पु० [स० श्रावक ३० 'यावा' । सालेया-सश खो [मा] सौफ। सावकारी-नरा पुं० [हिं० साहूकार। दे० 'साहूकार'। उ०-सईम सालगुग्गुल सज्ञा पु० [फा० माल + स० गुग्गुल] गुग्गुल का गोद या ने बतलाया कुल्लू के सावार ने कारखाना बनाया है ।- रान । विशेष ३० गुग्गुल'। किन्नर०, पृ० १२। सालोक्य-सस १० [सं०] १ पाँच प्रकार की मुक्ति में से एक जिसमे सावकाश'--सज्ञा पु० [स०] १ अवकाश । फुर्सत। छुट्टी। २ मुक्त जीव भावान् के साथ एक लोक मे वास करता है। मौका। अवसर।