पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२४९

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सापाश्रय साफदिल मापाश्रय-ज्ञा पु० [२०] वह मकान जिसने पिछले भाग मे खुली ५ जिसका तल चमकीला और सफेदी लिए हो। उज्ज्वल । दालान हो नि। जैसे,--साफ कपडा । ६ जिसमे किसी प्रकार का भद्दापन या सापिंड्य नशा पु० [सं० मापिण्डय] मापिंड होने का भाव या धर्म । गडवडी आदि न हो। जिने देखने में कोई दोष न दिखाई दे। जैसे,--साफ खेल। (इद्रजाल या व्यायाम आदि के), सापुरस-सज्ञा पु० [८० मत्पुरूप] दे० 'सत्पुरुष'। उ०-(क) साफ कुदान । ७ जिसमे किसी प्रकार का झगडा, पेच या मोड नूर मापुरसो।-रा० रु०, पृ० १३८ । (ख) अग न फेरफार न हो जिसमे त्रोई वखेडा या झझट न हो । जैसे,- छूट प्राखडी, मीहाँ मापुरमाह । - बॉसी० ग्र०, भा० १, साफ मामला, साफ बरताव । ८ जिसमे धुंधलापन न हो। पृ० १६। स्वच्छ । चमकीला । जैसे,--साफ शीशा, साफ आसमान।। सापेक्ष वि० [सं०] एक दूसरे के सवध पर स्थित । अपेक्षा सहित । जिसमे किसी प्रकार का छल कपट न हो। निष्कपट । जैसे,-- उ०-नानस, मानुपी, विकासशास्त्र है तुलनात्मक, साक्षेप साफ दिल । साफ आदमी। ज्ञान-युगात, पृ० ६० । मुहा०-साफ साफ सुनाना = बिल्कुल स्पष्ट और ठीक बात सापेक्षिक-- वि० [सं०] दे० 'सापेक्ष' । उ०--सर्वमान्य तथ्य तो एक कहना । खरी वात कहना। सापेक्षिक वात है 1- आचार्य, पृ० १२६ । १० जो स्पष्ट सुनाई पडे या समझ मे आवे। जिसके समझने या सापेक्ष्य-वि० [सं०] अपेक्षित । आवश्यक । उ०—इसी से इस प्रश्न सुनने मे कोई कठिनता न हो । जैसे, साफ आवाज, साफ के सबंध मे सावधानी सापेक्ष्य है।-प्रेमघन॰, भा॰ २, लिखावट, साफ खबर । ११ जिसका तल ऊबड खावड न हो। पृ०२३८1 समतल । हमवार । जैसे, - साफ जमीन, साफ मैदान । १२. साप्सततव-मशा पु० [स० साप्ततन्नव] प्राचीन काल का एक धार्मिक जिसमे किसी प्रकार की विघ्न बाधा आदि न हो। निविघ्न । सप्रदाय । निर्वाध । १३ जिसके ऊपर कुछ अकित न हो। सादा। साप्तपद'--वि० [सं०] [स्त्री० साप्तपदी] १ सप्तपदी । सात पद साथ कोरा। १४ जिसमे किसी प्रार का दोप न हो। वेऐब । साथ चलने या सात शब्द, वाक्य परस्पर वार्ता करने से १५ जिसमे से अनावश्यक या रद्दी अश निकाल दिया गया सवधित।२ सप्तपदी सबधी । हो। १६ जिसमे से सब चीजे निकाल ली गई हो। जिसमे साप्तपद-सज्ञा पु० १ घनिष्ठता। मित्रता । २ विवाह के समय कुछ तत्व न रह गया हो। वर तथा वधू द्वारा यज्ञाग्नि की सात प्रदक्षिणा करना ।को०) । यौ० साफ साफ = स्पष्ट रूप से । खुलकर । साप्तपदीन-वि०, सज्ञा पु० [स०] दे० 'साप्तपद' । मुहा०-साफ करना=3 (१) मार डालना। वध करना। हत्या करना । (२) नष्ट करना । चौपट करना। वरवाद करना । सातपुरुष-वि० [स०] ३० साप्तपौरुष' । साप्तपौरुष--वि० [सं०] [वि॰ स्त्री० साप्तपौरपी] सात पीढियो तक न रहने देना। (३) खा जाना। मैदान साफ होना = किसी प्रकार की विघ्न बाधा न होना निर्द्वद्व होना। साफ जानेवाला । सात पीढियो को समिलित करनेवाला [को॰] । बोलना = (१)किसी शब्द का ठीक ठीक उच्चारण करना । स्पष्ट साप्तमिक - वि० [सं०] १ सप्तमी सवधी। सप्तमी का । २ सप्तमी बोलना । (२) साफ होना। समाप्त होना । खतम होना। ११ विभक्ति से सबधित (को॰) । लेनदेन आदि का निपटना। चुकता होना । जैसे,-हिसाव साप्तरथवाहनि-सज्ञा पु० [म०] वैदिक काल के एक प्राचीन ऋपि साफ होना। वा नाम । साफ-क्रि० वि० १ बिना किसी प्रकार के दोप, कलक या अपवाद साप्ताहिक'--वि० [स०] १ सप्ताह से सबधित । २ सप्ताह भर आदि के। बिना दाग लगे । जैसे,-साफ छूटना विना का या सप्ताह भर के लिये । जैसे,—साप्ताहिक राशन । किसी प्रकार की हानि या कष्ट उठाए हुए। बिना किसी ३ प्रति सप्ताह या सप्ताह सप्ताह प्रकाशित होनेवाला। प्रकार की प्राच सहे हुए। जैसे,-साफ वचना। साफ जैमे,--साप्ताहिक पत्र । निकलना। ३ इस प्रकार जिसमे किसी को पता न लगे साप्ताहिक - सज्ञा पु० साप्ताहिक समाचार पन्न । या कोई बाधक न हो। जैसे,—(माल या स्त्री आदि) साफ साफ'--. [अ० साफ्] १ जिसमे किसी प्रकार का मैल या कडा उडा ले जाना । ४ बिलकुल । नितात। जैसे,--साफ इनकार करकट आदि न हो। मैला या गंदला का उलटा। स्वच्छ । करना। साफ बेवकूफ बनाना। ५ बिना अन जरा के। निर्मल । जैसे,—साफ कपडा, साफ कमरा, साफ रग। २. निराहार। जिसमे किसी और चीज को मिलावट न हो । शुद्ध । खालिस साफगो--वि. गो] स्पष्ट कहनेवाला । स्पष्टवक्ता (फो०] । जैसे,--साफ पानी। ३ जिमकी रचना या सयोजक अगो मे साफगोई साफगोई] स्पष्टवादिता • दो टूक या साफ किसी प्रकार की त्रुटि या दोप न हो। जैगे,--साफ लकडी ४ जो स्पष्टतापूर्वक अकित या चित्रित हो। जो देखने मे साफ- साफदिल] निष्कपट हृदयवाला। सच्चे स्पष्ट हो । जैसे,-साफ लिखाई, साफ छपाई, साफ तसवीर । हि० १०-१०-३० को०)।