पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२२६

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नपटना ५०४६ सावन न।पा। था। दप्दी। गोर। गृटपाद । हरि । सॉम-स पु० [स० साम] माम वेद । दे० 'माम'-१ । उ०-भृकुटी विराजन स्वेत मानहुँ मन अदभुत साम के ।-पोद्दार अभि० कोटामी । मयत दाट व्यक्ति । (क्व०) । 7०, पृ०४५७। मापदना---० ग्रह [#० स्नापन या देन०] स्नान करना । सामा--संज्ञा पु० [म० स्वामी] स्वामी। मालिक । प्रभु । उ०- नाना । 30-पटिपी नमद दुग संवारिया |--बाँकी० रिजक उजाल साम रोपाल सॉमधरम्म ।--बाँकी० ग्र०, भा० 70 मा० ३.१०१ १, पृ०१॥ नापन्न ---- पुं० [हिं० माप + परन] मर्प धारण करनेवाले, सामजि --सा पु० [३० समाज] ममह । दल । उ०—सामजि मित्रा महारा करि, उमा रजपूत, हरिप नरायण दीधो सूत ।-वी० रासो, नांपना-शिम० [३० समर्पण, प्रा० ममप्पन, मउप्पन, हिं० पृ० १४॥ माना देना । प्रदान करना। ३० उभी भावज दइ छइ सीप, सांमधरम्म-सा पु० [म० स्वामिधम] स्वामी के प्रति अपना न चौती गर मापज भीप |--बी. गसो, पृ० ४५ । कर्तव्य । उ०-नमसकार सूरॉ नरां, विरद नरेस वरम । सापा---० [हिं०] १० 'निबापा' । रिजक उजाले माम रौ, पाल सामवरम। बांकी०, ग्र०, नांपिन--- ग्ने [हि नाप+न (प्रत्य॰)] १ मांप को मादा । भा० १, पृ०१। २ चोटे रीर पर की एक प्रकार की मारी जो अशुभ सामन-सज्ञा पु० [स० श्रावण] दे० 'श्रावण' (मास) । उ०--सक्त नमरी जाती है। एक प्रकार की गाय जो जीभ को काफी नव पट् वसु ससी, मॉमन सुदि बुधवार ।-पोद्दार अभि० ग्र०, बी निशानकर उगे मर्पिणी की तरह रहती है। पृ०५८३॥ मी गाना ना शुभ माना जाता है । सापिनि नापिनी ना ग्री० [१० मपिणी] दे० 'साँपिन' । साँमर-म० [म० श्यामल] दे० 'साँवला'। 30-पिघानिनी परम पापिनी। मतनि की डमनी जु साँमहा-वि० [म० नम्मुख, प्रा० मम्मुह] [वि० सी० सांमहो] गापिनी।-नद० प्र०, पृ० २२६ । समुख । सामने । उ०-- माँमही छीक हण्ड वपाल ।--वी० सांपिया--- पुं० [हिं० नांप+च्या (प्रत्य॰)] एक प्रकार का काला रासो, पृ०५१। रग जो प्राय साधारण माप के रग मे मिलता जुलता होता है। सामुहें। 1-अव्य० [स० सम्मुखे] नामने । मम्मुख । मांभर'-- पु० [म० सम्भल या सान्भल] २ राजपूताने की एक सामेला-सा पुं० [म० मम्मिलन] मिलना। मिलाप । उ०- न जहा ग पानी बहुत बारा है । इमी भील के पानी मे (क) चउघडियउ बाजड सीह दुवारि, सामेला की वेला हुई । रामर नाम नाया जाता है। २ उक्न झील के जल से -बी० रासो, पृ० १५ । (ख) परगा पधारे गम जीत दुजराजनै, कसाया गया नमः । ३ भारतीय मृगो की एक जाति । तुरत करोजे त्यार सामेलो माजनै ।-रखु० २०, पृ० ६२ । विशेष--न जातिग मृग बहुत बड़ा होता है। इनके कान लवे गोदी-मोग पारदसिंगो यी मीगो के समान होते है। साँम्हा@--प्रव्य० [म० मम्म] समय। सामने । उ० - भाज गई मी गरदन प, कोटे बाल हाते हैं । अक्तूबर के महीने मे चिंता मडाँ, घडाँ कटठे जग । नामा रक्सण देख खल, सांग्हा पर मायाता है। किया तुरग ।-रा० २०, पृ० ३३ । गांगर,---, पुं० [२० यत या सम्मा] मार्ग के लिये साथ मे साँय साँय--गण पुं० [अनु॰] मन्नाटे मे हवा की गति से पैदा होने- निगा - प्रा जनपान पामोजन । नरल । पाथेय । उ०--जावत वाली ध्वनि । उ०--करता मारुत माय सॉय है। -गाकेत, रात गाना। मानर लेटु नि है जाना |--जायमी पृ० ३७१। (70) 1 साँवक'-मा पु० [देश॰] वह ऋण जो हलवाही को दिया जाता है साभारिप-० [सं० मम्बन] २० 'मांभर-२' । ३०-एक और जिम सूद के बदले मे वे काम करते हैं । T7 जना पनि प्रा। गाठी म मरि बांधु बनाई। - मत० साँवकर--नमा पु० [न० ग्यामा] माँदा नामक ग्रन्न । साँवता- पु० [म० नामन्त] मुभट। योहा। माम्न । दे० निम्ना-निन [८० /नम्नाल, मम्मालयति, गुज०] १ T10-अाव्या की मांभली वान । नाचड स्प "पामन' । उ०-दुजोवन अवतार नृप मन मावत मकवध । Titr पार!ी. रामो, पृ० ६१ । २ न्मरण करना । --40 मो, पृ० १। ...यो हो ग नुन मन पोई। नामन्यां गन गगाफ्न मावत'-TI पुं० [म० नामन्त या दे०] एक प्रकार का गग । -1-1-30Til पृ०५। साँवती-तग [देश॰] नगाठी या घोडागारी के नीचे नगी हुई वह नाम '- साम, प्रा. नाम] पापा नाम । श्याम । जानी जिगम घार ग्रादि रखते है।


पदा न नागन गोगो न म को।-प्राण, विन- पुं० [द.] मनोने यागार एक प्रकार का वृक्ष

पृ. ११९ जिसका तना प्राय भुका हुना होता है ।