सहस्रार ५०३३ महायक सहस्रार-मशा पुं० [मं०] १ हजार दलोवाला एक प्रकार का कपिन सहाचर- पुं० [म०] १ पौनी कट गया। पीरो मिटी। कमल । कहते हैं कि यह कमल मनुष्य के मस्तक मे उलटा २२० 'महाचर'। लगा रहता है, और इसी मे सृप्टि, स्थिति तथा लयवाला सहाय-वस पु० [१०] बनम्ग । जगनी मग । परविदु रहता है। २ जनी को अनुमार बारहवें स्वग सहाध्ययन-मरा पु० [सं०] १ माय माथ या मिनार परना । २ का नाम। माय माय पटने का भाव । मलाठी हाम। ३ ममान विपन सहस्रारज-ममा दु० [म०] जैनो के एक देवता का नाम । या अध्ययन वि०। सहस्राचिम्-समा पुं० [स०] १ शिव का नाम । २ सहन विरणा- महाव्यायी-मश पु० [म० महा यायिन] १ बर जो नाथ पटा हो । वाला, सूर्य। सहपाठी । २ वह जो ममान या एम हो पिया.यपन सहस्रावर - सझा पुं० [सं०] १ हजार पण से नीचे का जुरमाना । करता हो। २ वह अर्थदड या जुरमाना जो ५०० से एक हजार पण के सहाना'-मग पु० [सं० शोभन या फा० गाह] " प्रसर गग। अदर हो (को०] । विशेष ० 'शहाना। सहस्रावर्तक-सया पुं० [स०] पुराणानुसार एक तीर्थ का नाम । सहाना--वि० [फा० शहानह , शहना] शाही । गजगी। सहस्त्रावर्ता-सम्रा स्त्री॰ [सं०] देवी को एक मूर्ति का नाम । सहाना-वि०म० [सं० महन, हिं० महना] पग्नि करना। मर्ने के लिये प्रेरित करना। सहस्रास्य-सशा पुं० [म०] हजार मुग्ग्वाले, विष्णु। २ शेषनाग या सहानी'-वि० [फा० शाहाना] पीलापन लिए हा नान रग का अनत का एक नाम । जमे,-सहानी चूडियां। ३० 'शहाना' के यो । सहस्री'-सपा पुं० [म० सहविन्१ वह वीर या नायक जिसके पास हजार योद्धा, घोडा या हायो आदि हो। २ हजार सहानी'--मश पुं० एक प्रपार पा रग जो पीलापन निरा नान व्यक्तियो का ममूह या दल (को०। । होता है। सहानुगमना-पना पु० [सं०] स्त्रो का अपने पति के गम के नाथ सहस्री'- वि० १ हजारवाला। जिसके पास हजार हो। २ जिसने जल मरना ।मती होना । महगमन । सहस्रावर अर्थदट अदा किया हो । ३ एक सहस्र तक का। सहानुसरण-सज्ञा पुं० [म०] १ साय माय अथवा मान रूप में जिमकी सीमा एक सहस्र हो (को०] । अनुमरण करना। २ महगमन । सहस्रंक्षण-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] हजार आँखोवाला--इद्र । सहस्राक्ष (को॰] । सहानुभूति 1-सज्ञा ना० [०] किमी को दुती देवार ग्यय दुगी सहस्वान्-वि० [स० सहस्वत् शक्तिशील । ताकतवर । हाना । दूसरे के कष्ट में दुगो होना । हमदर्दी। सहापति-सचा पुं० [सं० सहाम्पति] १ ब्रह्मा। पितामह । २ एक क्रि० प्र-करना।-दिवाना ।-नयना। नाग का नाम । ३ एक बोधिसत्व (को०] । सहान्य--मरा पुं० [स०] पवत फिो०] । सहा' र पु० [म०] १ घीकुपार । ग्वारपाठा । २ वनमूग । सहापवाद-वि० [म०] अपपाद युति । अहमति युक्त किए। ३ दडोत्पल । ४ सफेद कटमाया। ५ ककही या कधी नाम सहाब' -मग पु० [फा० शहाय] [7 प्रकार का गहा लाल रंग। का वृक्ष । ६ मपिणी । रासना। ८. सत्यानाशी। सेवती। २० 'महाव'। १० हेमत नात् । ११ अगहन माम । १२ मपवन। १३ सहाव-सशा पुं० [अ०] मेघ । पर्जन्य फो। देवताड वृक्ष । १४ मेहदी। सहावत-नशा पा० [अ०] १ मैत्री। दोन्नी । मित्रता । २ महायना । सहा-मक्षा [म० सहस्] १ धरित्री। पृथिवी । २ घृनकुमागे। घी मदद कि०)। दुधार [को०)। सहाय - पुं० [म०] १ महायता । मदद | गहाग। २ प्राश्रय । सहाइ-सा पु० [म० सहाय्य] सहायक । मददगार । भगेमा ३ सहायक मददगा। मित्रता। मंत्री (को०)। सहाइ-मग मी० सहायता । मदद । उ०-(क) दीन्ही है रजाइ ५ एक प्रका की वापति या गहरा प्रा फा राम पाउ सो राहार लाल लपन ममयं वीर हेरि हेरि मारि हम या नमार पक्षी। - गिव TT TT नाम (२०) । ८ है। तुलसी ग्र०, पृ० २३३ । (7)हरि जू ताकी करी सहाइ । मित । माची (पो०)। यौ०-महायकरण महापना करना। नहायर - मगी। जो -सूर०, ७।२। मदद करे । महायान्य महायाना। सहाई-पटा पुं० [सं० महाय्य] महाया। मददगार । अति प्रारति गहि था मुनाई। करह वृपा करि होहु महाई। सहायक-१० [सं०] १ महारता र नेवाग। मदरता । (कर छोटी नदी) जो किसी बरी नदी में मिलनी जमे-यमुना -मानम, १११३२ । भी गगा की महायक नदियों में में एसी। पिनीमी सहाई-मा सो महायता । मदद । प्रधानता में रह र काम में उनकी महायता परनेणता। सहा-सा पुं० [सं० सहाय, प्रा. सहा३] २० 'सहाय' जैसे,—महायक सपादर।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२१३
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