सहन्न ५०३० सहस्रक सहवन-सज्ञा पुं० [देश॰] एक प्रकार का तेलहन जिसमे तेल निकाला सहसवाहु--मसा पुं० [२० गरवार] दे० 'कावाहु' । उ०-हम- जाता है। बाह गुरनाय विगा। केहि न गजमद दीन्ह । सहवर्ती-वि० [स० सहवत्तिन] जो माथ हो । साथ नगा -गानम, २०२८1 हुमा । साथ का। सहममुस-गजा पुं० [म० पाममुग] शेषनाग। सहवसति-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] एक साथ रहना [को०] । राहमवदन--सज्ञा पुं० ० नयवदन] पनाग । सहवसु-सञ्चा ५० [स०] एक असुर का नाम जिसका उल्लेख ऋग्वेद सहसमोस-मा पु० [म नह रशीप] गेगनाग । उ०—ो तहम- मे याना है। Tीअहीन महिर गगन बिगर उनी ।-मानम, २।१२६ । सहवाच्य-वि० [स०] जो साथ साथ वाच्य हो या कहा गया हो । सहमा--प्रव्य० [०] गम में। एकाएक । अमानक । ग्रान्मान् । जी,-हा यांधी ग्रा.पी- चागे और अपवार छा गया। सहवाद-सज्ञा पु० [स०] अापम मे होनेवाला तर्क वितर्क । वाद- विवाद । वहम। २ जनपूर्वक । दलात । जसरनी (०। ३ जाती है माय। पिना विचार (को०)। ४ हंगता तृपा। मुरराना सहवास-सञ्ज्ञा पु० [सं०] १ एक माथ रहने का व्यापार। सग । साथ । २ मैथुन । रति । सभोग । दृया (को०)। सहवासिक-मज्ञा १० [म.] 20 'सहवासी' को०] । महमाक्षि-~मरा पु० [म० समाज मत प्रांगोपाला, द्र। सहवासी-सहा प० [स० सहवासिन्] १ माथ रहनेवाला। संगी। महमाखी ---मशा पं० [म० मानाम]। महत्राक्ष । उ०-ने साथी । मिन्न । दोस्त।२ प्रतिवेशी। पडोसी। पर दोग जहिं नही। प-हिमन जिना मन नाणी। -माना, १॥४॥ सहवीर्य-सज्ञा पुं० [म०] ताजा नवनीत । सद माखन [को०)। महमा-महा पुं० [म०] १ दना पुत्र । गौर किया हुआ हरा। सहवत-वि० [स०] समान व्रत या कर्तव्ययुक्त [को०] । २ वह जो एकाएक बिगाई प जाा । ग्राम्मात् दिवा सहवता-सक्षा स्त्री० [सं०] पत्नी। भार्या । जोर। पडनेवाला व्यक्ति। सहशय-वि० [स०] साथ मे शयन करनेवाला [को०] । सहमान'--मया पु० [म.J१ मयुर। मो.पक्षी। यज । सहशयान-वि० [स०] जो साथ मे सोया हुया हो। सहसान--वि० नलगीत लो०)। सहशय्या-सद्धा स्त्री॰ [स०] एकत्र या पाम सोने का भाव [को०] । महमानन-गण पुं० [सं० नहतानन] नम्व मुखोगाना, ओपनाग । सहशिष्ट-वि० [म०] एक साथ सीखा या शिक्षा पाया हुमा को०] । सहमानु'- मग पुं० [म.] १ मोर पक्षी। २ धर्मानुष्ठान । सहसजात-वि० [स० सहसजात] साय जनमा हुआ [को०] । यज्ञ योगा सहसभव-वि० [स० सहसम्भव] जो एक साथ उत्पन्न हुए हो। सहसानु'-वि० जो महा पो। चुपचाप सहन कर जानेवाला । सहज । क्षमावान् कि। सहसवाद-सञ्ज्ञा पुं० [स०] परस्पर बातचीत । गपगप । नहसिद-वि० [म०] स्वाभाविक । प्रानिक । महज को०] । सहसवास-सज्ञा पुं० [स०] एकत्र रहने का भाव । साथ रहना [को०)। सहसेवी-वि० [स० नलेनिन्] किसी के नाथ नभोग या मैथन करने- सहसवेग-वि० [सं०] सवेगो से युक्त | उत्तेजनायुक्त । उत्तेजित । वाना किो०] । सहसंसर्ग-सज्ञा पु० [स०] शरीर का समर्ग । शारीरिक लगाव (को०] । सहत्त-वि० [सं०] १ हाथवाला । बायुक्न । २. जो गरदान चलाने सहस-वि० [स० सहत्र] दे० 'सहस्र'। मे कुशत हो को०)। सहमकर, सहसकिरन-सज्ञा पु० [स० सहवकिरण] रवि। सूर्य । सहस्थ, महरिथत-वि० [म०] १ मावो। २ माथ रहनेवाला (को०] । मरीचिमाली। उ०-सहसकिरनि रूप मन भूला । जहें जहें सहस्य-माग पुं० [म.] पून का महीना । पौष मास । दृष्टि कमल जनु फूला।-जायसी (शब्द०)। सहन'-राश पुं० [म०] दम सी को माया जो इस प्रकार लिखी सहसगोल-सञ्ज्ञा पुं॰ [स० सहयगु] सूर्य । सहस्राशु । जाती है --१०००। सहसजीभ-सना पुं० [स० सहस्रजिह्व] शेषनाग । सहस्र'-वि० जो गिनती मे दस नो हो । पांच सी का टूना । सहमदल-सज्ञा पुं॰ [स० सहस्रदल] कमल । शतपन्न । यो०-सहवगुण = हजार गुना । महत्रघाती । मस्रजलधार % सहसनयन-सझा पुं० [स० सहस्रनयन] सहल आंखोवाला, इद्र । उ० एक पर्वत का नाम। सहयजिह्व = जिनको हजार जीभ हैं, सहमनयन विनु लोचन जाने ।—मानस, २,२१७ । शेषनाग। सहनधामा। सहवपरम = हजारो मे एक । सहन- सहसपत्र-- सहा पु० [स० सहस्रपन] कमल । बुद्धि। सहस्रमानु। महसमरीचि । सहस्रगेम। सहतवदन । सहसफए--सक्षा पुं० [स० सहस्रफण] हजार फणोवाला, शेपनाग। सहरहस्त। सहसबदन-सञ्ज्ञा पुं० [स० सहस्रवदन] हजार मुखोवाला, शेषनाग। सहस्रक-वि० [स०] एक हजार तक या एक हजारवाला [को०।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२१०
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