पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१८९

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1 सर्वतोमुखी ५००६ सर्वप्रिय सर्वतोमुखी-वि० मी० [स० सर्वतोमुख] दे० 'सर्वतोमुख'। जैसे,- सर्वद्वारिक--वि० [म०] जिसको विजययात्रा के लिये सब दिशाएँ आपकी प्रतिभा सर्वतोमुखी है । खुली हो । दिग्विजयी। सर्वधन्वी-सञ्ज्ञा पु० [स० सर्वधन्विन् । कामदेव (को०] । सवतोवृत्त-वि० [म०] सर्वव्यापक । सर्वत्र--अव्य० [स०] १ सब कही। सब जगह। हर जगह । २ हर सर्वधातुक-सज्ञा पु० [स०] ताँवा । ताम्र। काल मे । हमेशा। सर्वधारी--सला पु० [स० सर्वधारिन्। १ साठ सवत्सरो मे से सर्वत्रग'-वि० [स०] सर्वगामी । सर्वव्यापक । वाइसवाँ सवत्सर । २ शिव का एक नाम । सर्वत्रग'-सम्मा पुं० १ वायु । २ मनु के एक पुत्र का नाम । ३. भीम- सर्वधुराबह-पञ्ज्ञा पुं० [स०] गाडी मे जोता जानेवाला जानवर । सेन के एक पुत्र का नाम । सर्वधुरीण-मना पु० [स०] बह जो सभी प्रकार का बोझा ढोने सर्वत्रगत-वि० [सं०] जो सब जगह पहुँचा हो [को०] । के उपयुक्त हो।को। सर्वनगामी-सञ्ज्ञा पुं० [स० सर्वन गामिन् ] १ वह जो सवत्र गमनशील सवनाभ-सज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का अस्त्र । हो । २ वायु । हवा। सबनाम-सज्ञा पुं० [म० सर्वनामन् ] व्याकरण मे वह शब्द जो सञ्चा के सर्वत्रसत्त्व-सच्चा पु० [स०] सर्वात्मकता। विश्वात्मकता। विश्व स्थान पर प्रयुक्त होता है । जैसे,---मैं, तू, वह । रुपता [को०] । सर्वनाश-सञ्ज्ञा पुं० [म० ] सत्यानाश । विध्वस । पूरी बरबादी । सर्वनागी-सज्ञा पु० [स० सर्वनाशिन] सर्वनाश करनेवाला। विध्वस- सर्वत्रापि-वि० [स०] सव स्थानो मे जानेवाला। कारी । चौपट करनेवाला । सर्वथा-अव्य० [सं०] १ सब प्रकार से । सब तरह से । २ विलकुल । सव। ३ सर्वदा। हमेशा। निरतर (को०)। ४ पूरी तौर सर्वनिफेना-सञ्ज्ञा स्त्री० [म०] गणना करने की एक पद्धति विशेष [को॰] । से । पूर्णत (को०) । ५ बहुत अधिक । अत्यत (को॰) । सर्व निधन - सज्ञा पुं० [स०] १. सब का नाश या वध । २. एक प्रकार का एकाह यज्ञ। सर्वदडधर-वि० [स० सर्वदण्डधर सब को दड देनेवाला (शिव)[को० । सर्वनियोजक सक्षा पु० [स०, विष्णु का एक नाम जो सबके नियो- सर्वदडनायक-सज्ञा पुं० [म० सर्वदण्डनायक । सेना या पुलिस का जक हे [को०] । एक ऊँचा अधिकारी। सर्वनिलय -वि० [म०] जिसका निलय या निवास सर जगह हो (को०] । सर्वद-वि० [स०] सब कुछ देनेवाला । सर्वनियता-सज्ञा पु० [म० सर्वनियन्तृ । सव को अपने नियम के अनुसार सर्वदर-सबा पु० शिव का एक नाम । ले चलनेवाला। सब को वश मे करनेवाला। सर्वदमन'-वि० [स०] सबको दमन करनेवाला को०] । सर्वपति-समा पु० [स०] वह जो सवका मालिक हो । सर्वदमन'-सज्ञा पुं० दुप्यत के पुत्र भरत का एक नाम । सर्वपथोन -वि॰ [म.] १ जो सर्वन गमनशोल हो। सभी दिशाओ सर्वदर्शन-वि० [स०] सब कुछ देखनेवाला (को०] । मे जानेवाला। २. जो चारो ओर फैला हो |को०] । सर्वदर्शी'-सज्ञा पुं० [म० सर्वदशिन्] [स्त्री० सवदशिणी] सब कुछ सर्वपा-वि० [स०] १ सब कुछ पीनेवाला। २ सब की रक्षा देखनेवाला। करनेवाला (का०)। सर्वदर्शी-सञ्ज्ञा पु० १ ईश्वर । परमात्मा । २ एक बुद्ध या अर्हत् को०]। सर्वपा-सा स्त्री॰ दैत्यराज बलि की स्त्री का नाम । सर्वदा-अव्य० [स०] सब काल मे। हमेगा । सदा । सर्वपाचक-सञ्चा पु० [स०] सुहागा । टकण क्षार । सर्वदाता-वि० सज्ञा पु० [म० सवदातृ] सब कुछ दे देनेवाला । सर्वपारशव वि० [म०] पूर्णत लोहे का बना हुअा यो०] । सर्वस्व देनेवाला (को०)। सर्वपार्श्वमुख -सझा पुं० [स०] शिव को॰] । सर्वदान-सज्ञा पुं० [स०] सर्वस्व का दान करना [को०] । सर्वपावन-सञ्ज्ञा पुं० [स०] सबको पवित्र करनेवाले, शिव [को०) । सर्वदिग्विजय-सज्ञा स्त्री० [स०] सभी दिशाओ को जीतना। विश्व- सर्वपूजित-सञ्ज्ञा पुं० [स०] जो मबके द्वारा पूजित है, शिव [को॰] । विजय (को०] । सवपूत-वि० [स०] पूर्णत पवित्र या शुद्ध (को०] । सर्वदेवमय-वि० [सं०] जिसमे सब देवता हो (को॰) । सर्वपूण-वि० [सं०] सब कुछ से भरा पूरा । सर्वदेवमय-सञ्ज्ञा पु० १ शिव । २ कृष्ण । सर्वपृष्ठ -सबा पु० [स०] एक प्रकार का यज्ञ । सर्वदेवमुख--सझा पु० [स०] अग्नि [को०] । सर्वप्रथम-वि० [स०११ सवसे पहिले । २ सभी लोगो मे पहला सर्वदेशीय-वि० [स०] १ सभी देशो से सबद्ध । २ सभी देशो मे या प्रथम श्रेणी का [को०) । होनेवाला या प्राप्य [को०। सर्वप्रद-वि० [स०] सर्वस्व देनेवाला [को०] । सर्वदेश्य-वि० [स०] दे० 'सर्वदेशीय' [को०) । सर्वप्रिय-वि० [म०] १ सब को प्यारा। जिसे सब चाहें । जो सब सर्वद्रष्टा-वि० [सं० सर्वद्रष्ट] सब कुछ देखनेवाला। को अच्छा लगे । २ जिसे सब कुछ प्रिय हो।