पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१६८

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समाना गार - [ 1 मिने17 या उदहा । २ जिवरा कोई न'-fr. "३० 77। न हित । जो,-किमी का कार्य गम--1011- न7ी कुत नो नोजो का ?-1-17 समुदाय गेह । गहतरा - "या • [012. 'हमा [10] । मनहाय-r. [ ममता] १ मानिया नामक फूल । गाना - प्रिताप (पो०)। नमूहन -मया 1०] 1 रनाय मिलाना । २ नग्रह । राशि । • अनुराग नटाना (710] | नमूदन -101 मानवाला । एप करनेवाला [.] । समूहनी- [20] माद । उतारी। गमूह हितमादा-1 to [म० | जनता के हित के माधन मे तत्सर का जनतामा पनिनिधि। विशेष-पापयन निशा है कि रिती न्यान का गामन 447 ग्लिाम पार पवित्र नमूह हितवादिया के हार मे समाप -था. [१०] १ गरी अग्नि । २ यज्ञाग्नि रखने के जिसपना माम्बान TI.] | मनाय १ ने चाय । जहा करने के योग । २ गीयार (11०)। गमा: ~ मी. (म० प्रति 10 'स्मृति' । उ०-ममृत पुराणां Ti: वारादिर मतनेर ।-चौपी० ग्र०, भा० २, समृद्धी'- पुं० [सं० मनृद्धिन्] १ वह जो बार बार अपनी नमृद्धि बढाता रहता हो। २ उन्नतिशील। सपन्त व्यक्ति । भरा पूरा (के। समृद्धी '-या सी० [८० ममृद्धि] दे० 'समृद्धि' । ममेटना-कि० म० [हिं० सिमटना] १ विखरी हुई चीजो को इकट्ठा करना । २ अपने पर लेना। जैन,-किसी का मन नमेटना। ३ बिछौना ग्रादि लपेटना या तह करके रखना । समेड़ो-शा लो[न० नमेडो] कत्तिक्य की एक मातृका का नाम । समेत'-वि० [म.| १ सयुक्त। मिला हुआ। २ नाथ माय पाया हुया। मह ागत (को०)। ३ निकट आया हुप्रा । पहुंचा हुप्रा (को०) । ४ मज्जित । युक्त (को०)। ५ मवृष्ट । सर. पित । भिडा हुमा (को०)। ई स्वीकृत । महमत (को०) । समेत'-अव्य० महिन । नाथ । समेत'-ममा पुं० पुराणानुसार एक पर्वत का नाम । समेव-मधा पु० [१०] पुराणानुमार मेर के अतगत एक पर्वत का नाम। ममेवन-मया पु० [सं०] विकास । वृद्धि (को०। ममेधित-वि० [म०] १ अत्यधिक वटा हुअा । प्रचुर । बहुन । प्रभून। २ शक्तिशाली । मजबूत । ३ जुटा हुना। मिला हुआ। संयुक्त किो०]। समै, समैया, समो पु-सञ्ज्ञा पुं० [स० समय] कान । अवसर । मोका। ० 'समय' । उ०-(क) तुलसी तिन्ह नरिन तेऊ भूरिभाग जेऊ मुनि के मुचित तेहि समै गमैहै । -तुननी 7०, पृ० ३४२। (ख) देहि गारि लहकोरि समौ सुख पावहिं ।-तुलसी ग्र०, पृ० ५६ । समोखना@-कि० म० [अ० मम्मोचन, मन्तोपण, पु० हिं० नमोख] समझा कर कहना । जोर देकर कहना। समोद-वि० [म.] नमुद । यानदिन । प्रसन्न । उ०-मुछ दिन रह गृह तू फिर ममाद, बैठी नानो को न्नेह ाद।-अपरा, पृ०, १८३। समोदक'-वि० [स०] जिसमे जल प्राधी मात्रा मे हो। जिसमे प्राधा जन मिला हो ।को०)। ममोदक'-मया पुं० मट्ठा । घोत (को०] । नमोधपुर--मा पु० [म० मम्घोष मबोध । ज्ञान । उ०--रुधी मु गाय बन च्याघ्र काध । अायो मु गज राजन समोव । कुएलाय परिय करना सुन । छदाय राज राजन बलेन । पृ० रा० १२१६८ ममोचना-क्रि० स० [सं० नम्बोधन] बाप देना। ममझाना बृभाना । प्रवाधन करना। टाटन वधाना। ३०--नद ममावत ताको चित्त । मन अदिष्ट बन होनु ह मित।-नद० ग्र०, पृ० २३६॥ समोना यु-मि०म० [हिं० ममाना] १ नमन्वित करना । एक मे परना या मिलाना। २ समदना। 30-पूरन दया सद्गुरु यो-मारी मतिना । मतियो का जानकार ।

-रीया ती मार ति जग माभन जेताह । काजी

मुगतिnि? वित्र गम नबनाह । -यापी० २०, भा० २, 10 गति : ----27T [ मनि 'स्मृति'--उ०--पदन मुनन Tन गिम, शाम, मानि, पुगन ।-मनि०प्र०, पृ० ३६। -० [0] १ निगो पाम रहन अधिक मपत्ति हो। मनमान।२उन्न। जान। ३ प्रमन। माग्य- । मंग पूरा। वा ना (को०)। ५ फल- मा । पूरा (20) | 3 पूर्णत विनित (को०)। If (२०) । तिनीत (को०)। '---rv० मा मातार एक नाग या नाम । 'मृदि-12 ['०] १ या अधिर पानता। ऐश्वर्य । 4-२ पग। नरना। ३ प्रमा। ८ बहुलता। (10)। ५ प्रधान ।। प्रना। सर्वोपरित्य (को०)। ६ मभिवति । यदि । यड़ती।