पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१५५

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समाप्तिक' ४९७३ समार्ष के लायक। समाप्तिक-वि० समाप्ति का । अत का । २ जिसने काम पूरा कर समायोग- -सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] १ सयोग । २ बहुत से लोगो का एक दिया हो (को०)। साथ एकत्र होना । ३ तैयारी (को०) । ४ (अनुप पर) वाण समाप्य-वि० [स०] ममाप्त करने के योग्य । खतम या पूरा करने सधान करना (को०) । ५ कारण । प्रयोजन। उद्देश्य (को०) । ६ राशि । ढेर (को०)। समाप्यायित -वि॰ [म०] जो अच्छी तरह तृप्त, पोपित, सतुष्ट किया ममारभ-सज्ञा पु० [स० समारम्भ] १ अच्छी तरह प्रारभ होना । गया हो किो०] । २ समारोह (क्व०)। ३ दे० 'ममालभ'। अगलेप। ४ समाप्लव, समाप्लाव-सज्ञा पुं० [स०] स्नान करने की क्रिया। उद्योग । साहमिक कार्य (को०)।५ उद्योग का उन्माह । साहस- नहाना । गोता लगाना। पूर्ण कार्य करने का उत्माह या भावना (को०) । समाप्लुत-वि० [म०] १ जो गोता लगा चुका हो। नहाया हुआ। समारभए-सहा पु० [म० समारम्भण] १ गले लगाना । आलिंगन । २. वाढग्रस्त । वाढ मे डूबा हुआ । ३ भरा हुआ । पूर्ण [को० । २ अगलेपन । समालभन (को॰) । सभाभाषण- रश पु० [म०] बातचीत । वार्तालाप (को०) । समारब्ध-वि० [१०] १ शुरू किया हुआ। २ जो हो चुका हो । समाम्नात-वि० [म०] १ जिसे बार बार कहा गया हो। दोहराया घटित । ३ जिसने प्रारभ किया हो। पारभक [को०] । हुआ। २ परपरागत । परपरा से प्राप्त (को०] । समारभ्य - वि० [स०] ममारभ करने योग्य । समाम्नाता-मज्ञा पु० [म० समाम्नातृ] १ वह जो बारवार कहता हो। समाराधन - सज्ञा पु० [म०] १ अच्छी तरह आराधना या उपासना दुहरानेवाला। २ वह जो मूल पाठ का संग्रह या संपादन करना। २ सेवा । टहल (को०)। ३ सतुष्टि या प्रसादन का करता हो [को०)। साधन (को०)। समाम्नान-सना पु० [म०] १ आवृत्ति करना । दुहराना। २ समारूढ-वि० [म० समारुढ] १ किसी पर चढने या प्रारुढ होने- गणना। ३ परपराप्राप्त पाठ या वर्णन [को०] । वाला। २. चढा हुआ। आरूढ । सवार । ३ जिसने स्वीकार समाम्नाय--भज्ञा पुं० [स०] १ शास्त्र । २ समूह । समष्टि । जैसे, कर लिया हो। राजी। ४ वढा हुआ । वद्धित । ५ (घाव) अक्षर समाम्नाय । ३ परपरा । अनुश्रुति (को०)। ४. पढना। जो भरा हुआ हो [को॰] । पाठ करना । गान करना (को०) । ५ शिव (को०) । ६ सहार । समारोप--सक्षा पुं० [स०] १ चढाना । रोपण करना । जैसे,-धनुष । प्रलय (को०)। ७ पविद ग्रथ (को०)। ८ (शब्दो या वचनो २ स्थानात रण । स्थल परिवृत्ति "को०) । ३ दे० 'आरोप'। का) परपरागत सग्रह । जैसे, पशु स माम्नाय (को॰) । समारोपक-वि० [स०] १ वर्धन करनेवाला । वर्धक । २ समारोप समाम्नायिक'--मञ्ज्ञा पु० [स०] वह जिसे शास्त्रो का अच्छा ज्ञान हो । करनेवाला । ३ रोपने या उपजानेवाला [को० । शास्त्रवेत्ता। समाम्नायिक'-वि० शास्त्र सबधी । शास्त्र का । समारोपए--सज्ञा पु० [म०] १ तानना या चढाना। जैसे,-धनुष समाय-सबा पु० [स०] १ पहुँचना। आना। २ यो ही देखने के (को०) । २ दे० 'पागेपण'। लिये पाना (को०] । समारोपित-वि० [म०] १ चढाया हुआ । ताना हुअा। जैसे,-धनुप । समायत-वि० [म०] जिसे फैला दिया गया हो। पूरा पूग लवा । २ किसी को दिया हुआ । प्रदत्त । ३ दे० 'पारोपित' |को०] । विस्तृत को। समारोह--सज्ञा पु० [स०] १ आडबर । तडक भडक । धूम धाम । समायत्त--वि० [स० जो किसी के सहारे टिका हो। पूर्णत अधीन २ कोई ऐसा कार्य या उत्सव जिसमे बहुत धूमधाम हो । ३ या वशीभूत (को॰] । स्वीकरण । स्वीकार ।।। ५ चढना । दे० 'पारोह' । समायस्त-वि० [स०] दुखी । खिन्न । पीडित । विपादग्रस्त [को०] । समारोहए--मज्ञा पुं॰ [स०] १ केशो का बढना । बाल वढना। २ समायात-वि॰ [म०] १. लौटा हुआ। प्रत्यावर्तित । २ साय साथ प्रारोहण या सवार होने की क्रिया। ३ यज्ञ की अग्नि का या ममीप आया हुआ [को०] । स्थानातरण (को०] । समायो-वि० [स० समायिन्। १ समकाल मे घटनेवाला। एक ही समार्थ'-मञ्ज्ञा पु० [स०] गमान अर्थवाला शब्द । पर्याय । समय मे होनेवाला। २ एक के बाद दूसरा तत्काल होने या समार्थ--वि० जो समान अर्थवाला हो [को०] । घटनेवाला को०] । समार्थक'-सज्ञा पु० [स०] समान अर्थवाला शब्द । पर्याय । समायुक्त--वि० [स०] १ माय जोडा हुा । संघटित । सयुक्त । २ समार्थक-वि०२० 'समाय" को०] । तैयार किया हुअा। निर्मित । ३ कृतसकल्प | सलग्न । युक्त। सज्जित । सहित । ५ जिसे कोई कार्यभार सोपा समार्थी-वि० [मं० समाथिन् ] १ समता या वरावरी का इच्छुक । २ गया हो । नियुक्त किया हुआ [को०] । शाति का अन्वेषक । शाति की कामनावाला (गोग। समायुत--वि० [स०] १ सयुक्त । साथ मिलाया हुआ । २ सग्रहीत । समार्ष--वि० [स०] एक ही प्रवर से सववित । जो समान प्रवरवाला एकत्रित किया हुआ । ३ सहित । युक्त । अन्वित (को०] । हो (को॰] । हिं० २० १०-१८ ४