मगोत्र । समानगति ४६७१ समानाधिकरण' समानगति--वि० [स०] एकमत, एक गय होनेवाने [को॰] । समानयोनि-मज्ञा पुं० [म.] वे जो एक ही योनि या स्थान से समानगोत्र-राज्ञा पुं० [स० वे जो एक ही गोत्र मे उत्पन्न हुए हो । उत्पन्न हुए हो। समानरुचि--वि० [म०] जिनकी रचि एक समान हो (को०] । समानग्रामीय--वि० [म०] एक ही गाँव मे निवास करने वाले [., । ममानरूप--वि० [म०] गिना रप, रग नमान हो को०) । समानजन्मा--सज्ञा पुं० [म० समान जन्मन् १ वे जो प्राय एक गमानपं, ममानपि--मला पुं० [म० वे जो एक ही नागिन के गान साथ ही, अथवा एक ही समय मे उत्पन्न हुए हो । जो अवस्था या वण म उत्पन्न हुए हों। या उम्र मे बराबर हो। ममवयस्क । २ वे जिनका उत्पत्ति- समानवयम्क--वि० [म०] दे० 'समानवया' । स्थान एक हो (को०] । ममानवया--वि० [म० ममानवयम् तुत्य वय का ममान उम्रवाला । समानतत्र--सज्ञा पु० [स० समानतन्त्र] १ वे जो एक ही काम करते हमउम्र यो]। हो। समान कर्म। हमपेशा। २ वे जो वेद की किमी एक समानवर्चप--वि० [म० ममानवचम्] ममान कातिवाला । जिनकी ही शाखा का अध्ययन करते हो और उमी के अनुमार यज्ञ कातिक गदग हो [m] | आदि कर्म करते हो। समानवर्ण--वि० [स०] १ दे० 'ममान स्प' । २ समान वर्णवाला। समानता-सज्ञा सी० [स०] समान होने का भाव । तुल्यता। वरा- ममानाक्षर युक्त (को०)। बरी । जैसे,--इन दोनो मे बहुत कुछ समानता देखने मे समानवसन, समानवस्त्र--वि० [स०] जिनका पहनावा एक सा अाती है। हा। गमान वस्त, परिवानवाले को०] । समानतेजा-वि० [स० समानतेजस्] समान दीप्ति या कीनिवाले। समान वद्य--वि० [म०] किसी के ममान ज्ञानवाला । समान विद्या से जिनकी कातिया कीति समान हो को । युक्त । मगकक्ष (विद्वान्) । समानतोपद-सज्ञा पुं० [स०] कौटिल्य के अनुसार एक ही माय समानशब्दत्व--मना पु० [१०] एक ममान शन्दो द्वारा भाव या चारो ओर अर्थ मिद्धि । विचारो को अभिव्यक्त करने की स्थिति [को०)। समानत्व--सन्ना पुं० [स०] समान होने का भाव । समानता । समानशब्दा--सरा ली० [सं०] प्रहलिका का एक भेद [को०] । तुल्यता । वरावरी। समानशील---वि० [म०] जितका शील स्वभाव ममान या एक सा समानदु ख--वि० [स०] समान कष्ट या या दुखवाला। समान वेदना हो (को०] । युक्त । समवेदना व्यक्त करनेवाला (को०) । समानसख्य--वि० [स० समानमवख्य] जिसकी मब्याएँ समान समदेवत, समदैवत्य--वि० [स०] जो एक ही या ममान देवता सवधी हो । नगान मध्यावाना [को०)। हो (को०] । समान पलिल--मजा पुं० [म.] ३० 'ममानोदक' [को०] । समानधर्मा--वि० [सं०] समान गुण, धर्म, प्रतिवाला । तुल्य गुण- समानस्थान-मज्ञा पुं० [म०] वह स्थान जहाँ दिन और रात दोनो वाला [को०)। बराबर होते है। समाननामा--सक्षा पुं० [स० समाननामन्] वे जिनके नाम एक ही समानातर--वि० [म० ममानागर] १ जो हमेशा एक समान पार हो । एक ही नामवाले । नामरासी। पर रहे। जैसे,---गमानातर रेखा। २ माय माय चनने या समानयन-सज्ञा पु० [स०] १ अच्छी तरह अथवा आदरपूर्वक ते काम करनेगाना । जने,--समानानर सरकार । ३ ममकक्ष । आने की किया । २ एक माय करना। एकन्न करना । सग्रह तुग । बगवर फो०)। करना (को०)। समाना'---नि० अ० [म० नमानिक अदर पाना। मरना । घटना। समाननिधन-वि० [म०] जिनका निधन या परिणाम एक मा जैसे,—यह समाचार मुनते ही सबके हृदय मे पानद समा हो को०। गया । उ०~-नागु तेज प्रनु बदन नमाना । सुर मुनि गहि समानप्रतिपत्ति-वि० [स०] समान मेधावाला । विवेकगीन [को०] । मर्ग माना।--मानरा, ६७० । समानप्रेमा-वि० [स० समानप्रेमन्] जिमका प्रेम सदा एक समान समाना-क्रि० न० किमी के अदर गाना । मग्ना । अटाना । जैसे- ये नाचीजेपीगो अदर ममा दा। हो कि०] । रामानाधिकरण'--सग पुं० २० पाकरण में यह पाब्द या वाक्याश समानमान-वि० [सं०] तुल्य सम्मान प्राप्त करनेवाला । जो किमी जा वाक्य में रिपी समानार्थी शन्द का अर्थ न्याट करने के के नमान सम्मान का भागी हो [को०] । लिये पाता है। जी-लोगो मे टने फिरना, यही ग्रापका समानयम -सक्षा ० [सं०] एक ही या ममान ऊँचाई का स्वर । जाम है। उनमे 'यही' शब्द 'लडने फिरना' का मानाधिवगण समान तार स्वर (सगीत) । है। २ मान म्यान या परिस्थिति (को०)। ३ यही काका- समानयोगित्व-सहा पु० [मं०] वह जो ममान स्तर या योग या विभक्ति में यत होना (को०)। ४ नमान प्राधान । समान हो [को०]। वर्ग या बेगी।
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