वाधित । पानात। करना। समैनुकीर्तन ४६६२ समय समनुकीर्तन-- {--रज्ञा पु० [स०] अत्यत प्रशस्ति करना । खूब प्रशमा समभिद्रुत-वि० [म०] १ ग्रस्त । २ कपटनेवाला। करना [को०)। किसी की ओर वेग से टट पडनेवाला (को०)। समनुज्ञा-सक्षा सी० [स०] १ इजाजत । अनुमति । २ पूण सहमति समभिधा-सञ्ज्ञा स्त्री० [म०] नाम । आख्या। या म्वीकृति [को०। समभिप्लुत-वि० [स०] १ जलप्लाविन । २ उपसृण्ट । प्रस्त। समत्तुज्ञात-वि० [म.] १ जो (जाने के लिये) आज्ञप्न हो। आज्ञा अभिभूत । ३ किसी वस्तु से सना या लिपटा प्राप्त । २ अधिकार प्राप्त । ३ अनुगृहीत । पूरी तरह सहमत । हुया को पूर्णत स्वीकृत । समभिव्याहार--सज्ञा पुं० [म०] १ माय साथ उल्लेख या वर्णन समनुज्ञान--सक्षा पु० [म०] २० 'समनुज्ञा' । २ सामीप्य । माथ । मगति । सहयोग । ३ ऐसे समनुवर्ती-वि० [स० समनुवतिन्] [वि० सी० ममनुवर्तिनी] आज्ञा शब्द का सामीप्य, सन्निधि या सगति जिसके द्वारा किमी शब्द कारी। अनुगत [को०|| का अर्थ निर्धारित या सुस्पष्ट हो सके [को०] । समनुव्रत-वि० [स०] पूरी तरह अनुगत । पूर्णत आज्ञापालन करने- समभिसरण -सज्ञा पु० [सं०] १ पाने की चेष्टा या यत्न करना । वाला [को०] । प्राप्निकाम होना । २ किसी ओर वढना । पहुँचना [को०] । समन्मथ-वि० [सं०] कामयुक्त । कामणेडित (को०] । समभिहार-सञ्ज्ञा पुं० [२०] १ माय करना। एकत्रीकरण। एक समन्यु --सज्ञा पु० [स०] शिव का एक नाम । साथ ग्रहण । २ वार वार होने का भाव । प्रावृत्ति । ३ अधिकता । ज्यादती । बहुतायत । समन्यु'- वि० १ क्रोव से भरा हुअा। कोपयुक्त । २ दुखपूर्ण । वेदनामय (को०)। समभूमि--मज्ञा पु० [स०] ममतल भूलि। चौग्म या हमवार जमीन को०] । समन्वय-सज्ञा पु० [स०] १ नियमित परपरा या क्रमवद्धता। २ समभ्यर्चन--सज्ञा पुं० [म०] पूजन । ममादरण (को०] । मिलन । मिलाप । मयोग । ससर्ग। सश्लेप । ३ कार्य कारण का प्रवाह या निर्वाह होना। ४ विरोध का प्रभाव । विरोध समभ्याश--नशा पुं० [स०] मान्निध्य । मामीप्य । नेकटय [को०] । का न होना। ममभ्यास--सज्ञा पु० [स०] नियमित रूप से करना । अभ्यसन [को०] । समन्वयन-सा पु० [स०] समन्वय करने की क्रिया या भाव । मेल समभ्याहार--सचा पु० [स०] १ समीप करना। निकट लाना। बैठाना । ब्रमबद्व रुप मे करना। २ सामीप्य। निकटता। समन्वित--वि० [स०] १ मिला हुआ। सयुक्त । २ जिसमे कोई सममडल--मक्षा पुं० [स०] ज्योतिष मे प्रधान ल ब रेखा को०] । रुकावट न हो। ३ अनुगत (को०)। ५ सहित । युक्त । मममति--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] ३० 'समवुद्धि' । भरा हुआ (को॰) । ५ प्रभावित । ग्रस्त । को०)। सममय--वि० [म०] ममान मूल का । जिपका एक हो मूल हो। समपद-सज्ञा पु० [सं०] १ धनुप चलानेवालो का एक प्रकार का सममात्र--वि० [स०] १ ममान परिमाण या नाप का । २ समान खडे होने का ढग जिसमे वे अपने दोनो पैर बराबर रखते हैं। मात्रामो का । सममात्रिक को०] । २ कामशास्त्र के अनुसार एक प्रकार का रतिवघ या ग्रामन । मममिति-मज्ञा ली० [स०] ममान परिमाण । समय--सञ्ज्ञा पु० [म०] १ वक्त । काल । जैसे,-समय परिवर्तन- समपाद-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ दे० 'समपद'। २ नृत्य मे पादन्यास की एक गति (को०)। ३ वह छद या कविता जिसके चारो चरण समान या बरावर हो । मुहा०-समय पर = ठीक वक्त पर । २ अवमर । मौका । उ-का बरपा सब कृपी मुखाने। समय समप्पन --मक्षा पु० [स० समपण, प्रा० समप्पण] ३० 'समर्पण' । चुके पुनि का पछिनाने ।-मानस १।२६१ । ३ अवकारा । समप्रभ - वि० [स०] समान प्रभावाला । तुल्य कातिवाला [को०)। फुरसत । जैसे,—तुम्हें इस काम के लिये थोडा समय समबुद्धि -सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ वह जिसकी बुद्धि सुख और दुख, हानि निकालना चाहिए। और लाभ मवमे समान रहती हो। २ वह जो निष्पक्ष या मि०प्र०-निकालना। तटस्थ हो (को०)। ४ अतिम काल । जैसे,—उनका समय आ गया था, उन्हें बचाने समभाग'- सहा पु० [स०] समान भाग । बरावर हिम्ना। का सब प्रयत्न व्यय गया। ५ शपथ । प्रतिज्ञा। ६ आकार । ७ सिद्धात । ८ सविद। निर्देश । १० भापा । ११ समभाग-वि० समान भाग या अश पानेवाला। बरावर के हिस्से सकेत । १२ व्यवहार । १३ सपद । १४ कर्तव्य पालन । १५ का हकदार (को०)। व्याख्यान । प्रचार । घोपणा। १६ उपदेश । १७ दु ख का समभाव-सहा पुं० [स०] तुल्यता । ममता । समत्व । अवसान । १८ नियम । १६ धर्म । २० सन्यासियो, वैदिको, समभाव-वि० समान प्रकृति या भाववाला [को०] । व्यापारियो आदि के सघो मे प्रचलित नियम । (स्मृति)। शोल है।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१४४
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