समचन ४९५८ समा समचन--सञ्ज्ञा पुं० [स० समञ्चन] १ आकर्पण। झुकाना । नवाना। २ अाकुचन [को०) । समजन'--वि० [स० समञ्जन] एक साथ मिलनेवाला । सयक्त करने- वाला (को॰) । समजन--सज्ञा पुं० लेपन । विलेपन । अभ्यजन [को॰] । समजस'-वि० [स० समञ्जस] १ उचित । ठीक । वाजिन । २ जिमे किसी बात का अभ्याम हो। अभ्यस्त । ३ सही। सच । यथार्य (को०)। ४ स्पष्ट । वोधगम्य (को॰) । ५ स्वस्थ (को०)। ६ अच्छा । नेक (को॰) । समजस--मज्ञा पुं० १ पावता । औचित्य । योग्यता। २ यथार्थता । ३ सत्यकथन । सचाई । सत्यता। ४ समानता । ५ उपयुक्त या ठीक प्रमाण [को०। समठ--सज्ञा पु० [स० समण्ट] वे फल जिनकी तरकारी बनती हो। तरकारी के काम आनेवाले फल । जैसे,--पपीता, ककडी ग्रादि । २ गडीर । पोय (को०)। समत'-सञ्ज्ञा पुं० [स० समन्त] सीमा। प्रात । किनारा । मिरा । समंत'-वि०१ समस्त । सव । कुल । २ हर दिशा मे मौजद । विश्व- व्यापी (को०' । समतकुसुम---सचा पु० | स० समन्तकुसुम] ललितविस्तर के अनुसार एक देवपुत्र का नाम । समतगघ--सहा पु० [स० समन्तगन्ध] बौद्धो के अनुसार एक देवपुत्र का नाम। समतदर्शी-वि० [स० समन्तदर्शिन्] जिसे सब कुछ दिखाई देता हो । सर्वदर्शी। समतदर्शी-सक्षा पुं० गौतम बुद्ध का एक नाम । समतदुग्धा-सज्ञा स्त्री० [स० समन्तदुग्वा] स्नुही । थूहर । समतनेत्र--सञ्ज्ञा पु० [स० समन्तनेत्र] एक बोधिसत्व का नाम । समतपचक-सज्ञा पु० [म० समन्तपञ्चक] कुरुक्षेत्र का एक नाम । विशेप--कहते है कि एक वार परशुराम ने समस्त क्षत्रियो को मारकर उनके लह से यहाँ पाँच तालाब बनाए थे। और उन्ही मे उन्होने लहू से अपने पिता का तर्पण किया था। तभी से इस स्थान का नाम समतपचक पडा। समतपर्यायी-वि० [स० ममन्तपर्यायी] सवका अतर्भाव करनेवाला। सवको अपने में समेटनेवाला को । समतप्रभ--सञ्ज्ञा पुं० [म० समन्तप्रभ] एक वोधिसत्व का नाम । समतप्रभास--सञ्ज्ञा पुं० [म० समन्तप्रभास] गौतम बुद्ध का एक नाम । समतप्रमादिक--सञ्ज्ञा पु० [१० ममन्तप्रसादिक] एक बोधिसत्व का नाम । समतप्रासादिक-वि० [स० समन्नप्रासादिक जो सर्वत्र सहायता करने मे समर्थ या सक्षम हो किो०] । समतभद्र-सञ्ज्ञा पुं० [स० समन्तभद्र] गौतम बुद्ध का एक नाम । समतभद्रक-सज्ञा पु० [स० समन्त मद्गक] एक प्रकार का लवा कवल (को०। समतभुज--सञ्ज्ञा पुं० [म० समन्नमज्] अग्नि । समतर-सज्ञा पुं० [म० ममन्तर] महाभारत के अनुसार एक प्राचीन देश का नाम । २ इस देश का निवासी। समतरश्मि -मज्ञा पु० [म० समन्तरश्मि । एक बोधिमत्व का नाम । समतालोक-पञ्चा पु० [म० ममन्नालोक] ध्यान करने का एक प्रकार । समतावलोकित-सञ्ज्ञा पुं० [म० ममन्नावलोकिन] एक बोधिमन्द का नाम। समत्र--वि० [म० समन्त्र] मन्त्रय क्त । मत्रो से युक्त । को०] । समत्रक -वि० म०] १ दे० 'मत्र' । २ इद्रजाल का ज्ञाता योग। समत्रिक-वि० [सं० समन्त्रिक गचित अमात्यादि मे यक्त [को०) । समद-सज्ञा पु० [फा०] १ वह बादामी रंग का वोडा जिसकी अयाल, दुम और पुढे काले हो । उ०-नील समद चाल जग जाने । हाँसन मार गियाह वखाने । -जायसी (शब्द॰) । २ घोडा। यश्व । समदर-पज्ञा पुं० [फा०] १ एक कीडा जिम की उत्पत्ति अग्नि से मानी जाती । २ ममुद्र [को॰] । सम् अव्य० [स०] दे० 'स'। सम'-वि० [स०] १ ममान। तुल्य । बराबर । २ मब । कुल । ममस्त । पूग। तमाम । ३ जिमझा तल ऊपड सावड न हो। चौरम। ४ (मख्या) जिमे दो से भाग देने पर शेष कुछ न बचे। जूम। ५ एक ही। वही। अभिन्न (को०) । ६ निप्पक्ष । तटस्थ । उदासीन । ७ ईमानदार । रा (को०) । ८ मला । सद्गुणसपन्न (को०) । ६ मामान्य । मामूली (को०) । १० उपयुक्त । यथार्थ । ठीक ।। ११ मध्यवर्ती । वीच का। १२ मीया (को०)। १३ जो न बहुत अन्छा और न बहुत बुरा हो । मध्यम श्रेणी का (को०)। यौ०--गमचरवाल = वृत्त । समचतुरथ, समचतुर्भुज, चतुष्कोण = जिसने चारो कोण समान हो । समतीर्थक = जिसमे ऊपर तक जल भरा हो । लवालब पानी भरा हुआ । समतुला = समान मूल्य । समतुलित = जिसका भार समान हो । ममतोलन = सतुलन । तराजू के दोने पलडे वरावर रखना । समान तौलना । ममभाग । ममभूमि । सम-सज्ञा पुं० १ वह राशि जो सम संख्या पर पडे। दूसरी, चौथी, छठी आदि राशियाँ । वृप, कर्कट, कन्या, वृश्चिक, मकर और मीन ये छह राशियाँ । यौ०-समक्षेत्र = नक्षत्रो की एक विशेष स्थिति । २ गणित में वह सीधी रेखा जो उस अक के आर दी जाती है जिसका वर्गमूल निकालना होता है । ३ सगीत मे वह स्थान जहाँ गाने बजानेवालो का सिर या हाथ आपसे पाप हिल जाता है। विशेप-यह स्थान ताल के अनुसार निश्चित होता है। जैसे, तिताले मे दूसरे ताल पर और चौताल मे पहले ताल पर सम होता है। वाद्यो का प्रारभ और गीतो तथा वाद्यो का अत सम-
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