सप्रज्ञ ४९५२ सफरी से युक्त। सप्रज्ञ-वि०-म०] प्रज्ञा या बुद्धिवाला [को०] । सफ-सक्षा सी० [अ० मफ] १ पक्ति । क्तार । सप्रएय-वि० [स०] प्रणययुक्त । स्नेहयुक्त। स्नेही । मिनता क्रि० प्र०-बाँधना। पूर्ण (को०] । २ लबी चटाई। सीतल पाटी। ३ विछावन । फश । विस्तर । सप्रतिभ-वि० [स०] दूरदर्शी । प्रतिभावान् । विवेकी । ४ रेखा । लकीर । ५ नमाज पढनेवालो की कतार (को॰) । सप्रतिभय-वि० [०] जिसका कोई अनुमान न हो। सहमा आ यौ०-सफदर = युद्ध मे सैन्यपक्ति को विदीण करनेवाला । पड़नेवाला । खतरनाक (को०] । रणशूर । योद्धा । सफवदी = कतार मे करना। पक्तिवद्ध सप्रतीवाय-वि० [म०] मिश्रणयुक्त [को॰] । करना । सफवस्ता = पक्तिबद्ध। सफशिकन = कतार तोडने- वाला । पक्ति को छिन्नभिन्न करनेवाला । वीर । सप्रतीश-वि० [स०] आदरणीय । सभ्रात को०] । सप्रत्यय-वि० [सं०] १ विश्वास रखनेवाला । विश्वासयुक्त । सफगोल-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० इसबगोल] दे० 'इसबगोल । २ निश्चित । विश्वस्त (को। सफतालू-सद्या पु० [म० सप्तालु, फा० शक्तालू] एक पेड जिसके सप्रपच-वि० [स० सप्रपञ्च] अनेक प्रकार के इधर उधर के प्रपची गोल फल खाए जाते हैं । सतालू । आडू । विशेष—यह हिंदुस्तान मे ठढी जगहो मे होता है। पेड मझोले सप्रभ-वि० [स०] १ चमकदार । कातियुक्न । २ समान कानि या आकार का और लकडो लाल मजबूत और मुगधित होती है । पत्ते लवे नोकदार तथा कालापन लिए गहरे हरे रंग के होते अाभावाला (को०)। है । पतझड के पोछे पत्तियां निकलने के पहले ही इसमे फूल सप्रमाण-वि० [स०] १ प्रमाण सहित । सबूत के साथ । २ प्रामा-. लग जाते है जो गुलागो रग के होते है । फल पकने पर कुछ णिक । ठीक। लाल और कुछ हरे रंग के होते हैं और उनके ऊपर महोन सप्रमाद-वि० [स०] अनवधानता युक्त । असावधान । महोन रोइयाँ सी होती है। बोजो मे वादाम को तरह का कडा सप्रयास-क्रि० वि० [सं० स+प्रयास] चेष्टापूर्वक । कोशिश के साथ । छिलका होता है। उ०-प्राकृतिक दान वे, सप्रयास या अनायास आते है सब, सब मे है श्रेष्ठ, धन्य मानव ।-अनामिका, पृ० २३ । सफन '-वि० [हिं० स+अ० फन] गुण या हुनरवाला । होशि- यार । उ०-हाल हजूर वातून बासीन है सफन सर्वग है यार सप्रवाद-वि० [स०] प्रवादयुक्त । जिसका प्रवाद हो। मेरा ।-सत दरिया, पृ०७२ । सप्रश्रय-वि० [स०] सविनय । अत्यत आदरपूर्वक । अत्यत विनय के साथ [को०] । सफन-मक्षा पु० [अ० सफन] १ मछली या मगर का खुरदरा चमडा । २ वसूला। सप्रसव-वि० [सं०] एक ही मूल से सबद्ध (को०] । सप्रसवा-वि० [स०] १ गर्भवाली। सगर्भा । गर्भिणी । २ जिसे सफर-सञ्ज्ञा पुं० [अ० सफर] १ प्रस्थान । यात्रा । रास्ते मे चलना। बच्चे हो । सवत्सा (को॰] । २ हिजरी सन् का दूसरा मास (को०)। ३ रास्ते मे चनने का सप्लाई -सञ्ज्ञा स्त्री० [अ०] (व्यवहार या उपयोग के लिये कोई वस्तु) समय या दशा । जैसे,—सफर मे बहुत सामान नहीं रखना उपस्थित करना । पहुँचाना । मुहैया करना । जैसे,-वे ७ न. चाहिए। घुडसवार पलटन के घोडो के लिये घास दाना सप्लाई किया क्रि० प्र०—करना ।--होना। यौ-सफरखर्च = मार्ग व्यय । सफर जल = दे० 'विहीं'। सफर- क्रि० प्र०-करना।—होना । नामा = याना विवरण। भ्रमण वृत्तात । २ प्राप्ति । पहुँच । पूर्ति । रसद । दानापानी । सफर--सज्ञा पुं० [स०] एक प्रकार की छोटी चमकीली मछली। यो०- सप्लाई अफसर = पूर्ति विभाग का अधिकारी । सप्लाई सफरी [को०] । आफिस, सप्लाई डिपार्टमेट, सप्लाई विभाग = पूर्ति या सप्लाई सफरदाई-सज्ञा पुं० [हिं० सपरदाई] दे० 'मपरदाई' । करने का महकमा । पूर्ति कार्यालय । सफरमैना-सहा [अ० सैपर माइनर] सेना के वे सिपाही जो सुरग सप्लायर-सबा पु० [अ०] वह जो किसी को चीजे पहुँचाने का काम लगाने तथा खाई आदि खोदने को आगे चलते है। करता है । कोई वस्तु या माल पहुँचाने या मुहेया करनेवाला। मफरा-सा पुं० [अ० सफरा] पित्त । सप्लीमेट-सा पु० [अ०] १ वह पत्र जो किसी समाचारपत्र मे सफरी'--सज्ञा पु० [अ० सफरी] सफर मे का। सफर मे काम प्राने- अधिक विपय देने के लिये अतिरिक्त रूप से लगाया जाय वाला । यात्रा के समय का । जैसे,--सफ्री बिस्तर । अतिरिक्त पत्र । क्रोड पत्र । २ किसी वस्तु का अति सफरी'--मशा पुं० १ राह खर्च। रास्ते का सामान । २ यात्री। रिक्त अश। पर्यटक (को०)। ३ अमरुद । उ.--श्रीफल मध चिगैजी सफ'--सचा पुं० [स० शफ) दे० 'शफ' । आनी । सफरी चिरुमा अनय वानो।-पूर (शब्द०)। करते हैं।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१३४
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