उदासी। सन्नाटा ४६४५ सन्निपात नि शब्दता। नीरवता। निस्तब्धता। जैसे,-मेला उठ जाने ४ पान । प्राधार। आश्रय । ५ निकट खीचना । समीप लाना पर वहाँ सन्नाटा हो गया। (को०) । ६ नूतन विषय या विचार (को॰) । क्रि० प्र०—करना ।-छाना ।-फैलाना । —होना । सन्निकर्षण-सक्षा पु० [म.] ३० सन्निकर्ष (को०) । २ किसी प्राणी के न होने का भाव । निजनता। निरालापन । सन्निकाश वि० [सं०] उसी रूप रग का । सदृश । समान । एकातता। जैसे,-वहाँ सन्नाटे मे पुकारने से भी कोई न सन्निकोण-व० [स०] पूरी तौर से । छितराया हुअा। पूणत. फैला सुनेगा । ३ अत्यत भय या आश्चर्य के कारण उत्पन्न मौन और हुआ को। निश्चेष्टता । ठक रह जाने का भाव । स्तब्धता । सन्निकृष्ट' -वि० [स०] १ सनीपवाला । नजदीक का । २ जो मुहा०-मन्नाटे मे पानाठक रह जाना । स्तभित हो जाना । पास खिंच आया हो । समोप खीचा हुअा किो०) । कुछ कहते सुनते न बनना। सन्निकट – सञ्ज्ञा पु० पडोस । ४ सहसा मौन । एकदम खामोशो । चुप्पी। सन्निचय-पञ्चा पुं० [म०] १ वटारना । एकत्र करना। ढेर करना । मुहा०-सन्नाटा खोचना या मारना = एकबारगी चुप हो जाना । २ भडार । राशि [को०] । एकदम मौन हो जाना। सन्निचित-वि० [म०] १ राशोभूत । एकत्रित । २ अवरुद्ध । अवष्ट- ५ चहल पहल का अभाव । विनोद या मनोरजन का न होना । भित । र का हुआ । जैसे,--सन्निचित मल । (सुश्रुत) । सन्निताल-पक्षा पु० [स०] सगोत मे एक प्रकार का ताल को०] । मुहा०-सन्नाटा बीतना = उदासी मे समय काटना सन्निध--पज्ञा पुं० [स०] १ सामोप्य । २ आमने सामने की स्थिति । ६. काम धधे से गुलजार न रहना । जैसे,—अव तो कारखाने मे सन्निधाता--पशा पु० [स० सन्निधातृ] १ आकर्पण करने या पास सन्नाटा रहता है। लानेवाला। २ जो एकत्र या जमा करता हो। ३ वह जो सन्नाटा-वि०१ जहाँ किसी प्रकार का शब्द आदि न सुनाई पडता अपनो निगरानी मे रखे। पास रखनेवाला। ४ न्यायपोठ के हो । नीरव । स्तव्ध । २. निर्जन । निराला । जैसे,—सन्नाटा समक्ष लोगो को सविवरण उपस्थित करनेवाला अधिकारी। मैदान । ५ वह जो चोरी का माल रखता हो [को०] । सन्नाटा'-पञ्चा पुं० [अनु० सनसन] १ हवा के जोर से चलने की सन्निवान-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] १ आभने सामने की स्थिति । २. आवाज । वायु के वहने का शब्द । जैसे-आज तो बडे निकटता। समीपता। ३. रखना। धरना। ४ स्थापित सन्नाटे की हवा है। करना। ५ किसी वस्तु के रखने का स्थान । ६. वह स्थान मुहा०--सन्नाटे का सन सन शब्द के साथ बहता हुआ । जहाँ धन एकन्न किया जाय । निधि । ७ दृष्टिगोचरता (को॰) । २ हवा चीरते हुए तेजी से निकल जाने का शब्द । वेग से वायु मे ८ ग्रहण करना। भार लेना (को०)। ६ समिश्रण (को॰) । गमन करने का शब्द। १० इद्रियो का विषय (को०)। मुहा०-सन्नाटे के साथ या सन्नाटे से = वेग से । भोके से। वडी सन्निधि-मञ्चा मी० [स०] १ समोपता . निकटता। २ आमने सामने तेजी से । जैसे,—-तीर सन्नाटे से निकल गया । की स्थिति । ३ पडोस । दे० 'सन्निधान' । सन्नादन सज्ञा पुं० [स०] राम की सेना का एक यूथप बदर । सन्निपात-सञ्ज्ञा पुं० [म०। १ एक साथ गिरना या पडना। २ सन्नाम-मज्ञा पुं॰ [स० सन्नामन्] सत् नाम । अच्छा नाम । सुनाम जुटना। भिडना। टकराना। ३ सयोग । मल । मिश्रण। ४ इकठ्ठा होना । एक साथ जुटना । ५ कफ, वात और पित्त सन्नाह-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ कवच । वकतर । उ०--पिधउ दिढ सन्नाह तीनो का एक साथ विगडना । त्रिदोप। सरसाम । वाह उप्परि पक्खर दइ ।--इतिहास, पृ० २८ । २. उद्योग । विशेष--यह वास्तव मे कोई अलग रोग नही है, बल्कि एक प्रयत्न । ३ स्वय को शस्त्रास्त्र से सुसज्जित करना (को०)। ४ विशेप अवस्था है जो ज्वर या और किसी व्याधि के बिगडने युद्ध जैसी सज्जा (को०)। ५. सामग्री। सामान । उपकरण (को०)। पर होती है। यह कई प्रकार का होता है। सबसे साधारण सन्नाह्य-पञ्चा पुं० [सं०] युद्ध के योग्य एक विशेष प्रकार का हाथी । रूप वह है जिसमे रोगी का चित्त भ्रात हो जाता है, वह अड- सन्नि-सचा स्त्री० [स०] खिन्नता । विषण्णता । निराशा [को०] । वड बकने लगता है तथा उछलता कूदता है। आयुर्वेद मे १३ प्रकार के सन्निपात कहे गए हैं--सधिग, अतक, रग्दाह, चित्त- सन्निकट--अव्य० [स०] समीप । पाम । निकट । भ्रम, शीताग, तद्रिक, कठकुन्ज, कर्णक, भग्ननेत्र, रक्तप्ठीव, सन्निकर्ष-पञ्ज्ञा पुं० [स०] [वि० सन्निकृप्ट] १ सबध । लगाव। प्रलाप, जिह्वक, और अभिन्यास | २ नाता। रिश्ता । ३ सामीप्य । समीपता। ४ इद्रियो का ६ एक साथ कई बातो का घटना या ठीक उतरना । ७. समाहार। विपयो के साथ सवध (न्याय) । समूह । ८ आना । पहुँचना (को० । ६. सगीत मे एक प्रकार विशेष-ग्रही ज्ञान का कारण है और लौकिक तथा अलौकिक दो का ताल (को०)। १० मैथुन । सभोग (को०)। ११ युद्ध । प्रकार का कहा गया है। लडाई (को०) । १२. ग्रहो का विशेष योग (को०) । 1 - [को०।
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