पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१२१

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सहशता ४९३९ सद्यः यौ०-सदृशक्षम = ममान क्षमतावाला । सदृशविनिमय = तुल्य सद्द'-अव्य० [० सी] तुरत । फौरन । तत्काल | वस्तुओ के ज्ञान में भ्रम । समान वस्तु की पहिचान करने मे सद्दी-मला स्त्री॰ [हिं०] सादा । सुफेद । (पतगसादी) भ्रम होना । सदृशवृत्ति = समान वृत्ति का । ममान आचरण, सद्धन-सज्ञा पुं० [सं०] सत्कार्य द्वारा उपाजित द्रव्य । अच्छी कमाई व्यवहार या जीविकावाला। सदृशस्त्री समान जाति की का धन (को०] । पत्नीवाला । सदृशस्पदन = लगातार या किसी निश्चित समय सद्धर्म -सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ उत्तम धर्म (बौद्ध या जैन धर्म के लिये पर होनेवाला स्पदन । प्रयुक्त)। २ अच्छा नियम या न्याय [को०] । सदृशता-सदा मी० [सं०] अनुरुपता । समानता । तुल्यना। सद्धी-वि० [स० सत् + धी] सद्बुद्धि युक्त । बुद्धिमान् [को०] । सदेविक-वि० [स०] देवी के साथ। पत्नी के साथ । महिपी के साथ सबाह्मण-सधा पु० [सं०] उत्तम कोटि का या सात्विक ब्राह्मण । [को०)। कुलीन ब्राह्मण [को०)। सदेश-वि० [स०] १ किमी एक ही देश या स्थान का । २ पडोसी । सद्भाग्य-पञ्चा पुं० [स०] अच्छी किस्मत । उत्तम भाग्य [को०] । प्रतिवेशी । ३ देशवाला । देशयुक्त । जिसके पास देश हो । सद्भाव-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ अच्छा भाव । प्रेम और हित का भाव । सदेश-सज्ञा पु० प्रतिवेश । पडोम । शुभचिंतना की वृत्ति । २ मेलजोल । मैत्री । ३ निष्कपट भाव । सदेह-कि० वि० [स०] १ इसी शरीर से । विना शरीर त्याग किए। सच्चा भाव । अच्छी नीयत । ४ होने का भाव । अस्तित्व । जैसे,-निशकु मदेह स्वर्ग जाना चाहते थे। २ मूर्तिमान । हस्ती। ५ वस्तुस्थिति । वास्तविकता (को॰) । ६ भद्रता। सशरीर । ड०-सब शृगार सदेह मनो रति मन्मथ मोहै।- साधुता (को०)। ७. प्राप्नि (को०)। केशव (शब्द०)। सद्भावधी-सज्ञा पु० [स०] १ सद्भाव की श्री, शोभा या गौरव । २. एक देवी का नाम (को॰) । सदैकरस-वि० [स०] १ जो सदा एक रस हो। २ सर्वदा। एक सद्भूत-वि० [स०३१ जो अस्तित्व या सत्तायुक्त हो। असद्भूत का आकाक्षा या इच्छायुक्त । विपरीतार्थक । २ जो वस्तुत सत्य या सत् हो । सदैव- अव्य० [स०] सदा ही। सर्वदा । हमेशा । सदोगत-वि० [सं० सदस् + गत) जो सभा या समिति मे उपस्थित सभृत्य-सञ्ज्ञा पु० [स०] भला नौकर । उत्तम सेवक । सम-सक्षा पुं० [स० सद्मन्] १. घर । मकान । रहने का स्थान । २. हो (को०] । बैठनेवाला । ३. दर्शक । ४ सग्राम । युद्ध । ५ पृथ्वी और सदोगृह-सधा पुं० [सं० सदस् + गृह] सभाभवन । सभाकक्ष । सभागृह आकाश । ६ रुकने या ठहरने की जगह (को०)। ७ देवस्थान । [को०] । मदिर। देवालय (को०)। ८ वेदी (को०)। ६ जल (को०)। सदोष - वि० [सं०] १ दोपयुक्त । जिसमे ऐब हो । २ अपराधी। १० पीठ । आसन (को०)। दोपी । ३ जिसपर आपत्ति या एतराज किया जा सके (को०)। सद्मा-वि० [स० सद्मन्] १ बैठनेवाला । २ निवास करने या ४ रानि से संबद्ध । रानियुक्त । रहनेवाला [को०] । सदोषक-वि० [स०] दोषयुक्त । जिसमे ऐव हो (को०] । सद्मिनी-सञ्ज्ञा सी० [स० सद्म] १ होली । वटा मकान। २ प्रासाद । सद्गति-सज्ञा स्त्री॰ [स०] १ उत्तम गति । अच्छी अवस्था। भली महल । हालत । २ मरण के उपरात उत्तम लोक की प्राप्ति। ३ सद्य-अव्य० [सं०] १ अाज ही । २ इसी समय । अभी । ३ तुरत । अच्छी चाल चलन । शीघ्र । झट । तत्काल । ४ कुछ ही समय पूर्व (को०)। सद्गव-सधा पु० [स०] उत्तम कोटि का साँड (को०] । सद्य-सक्षा पुं० शिव का एक नाम । सद्योजात । सद्गुण-सक्षा पुं० [सं०] अच्छा गुण । अच्छी सिफत । सज्जनता । सद्य -अव्य० [स० सद्यस्] दे० 'सद्य' । उ.-जिमि मद्गुण सज्जन पहँ अावा । -तुलसी (शब्द०)। यौ०-सद्य कृत = तुरत किया हुआ। मद्य कृत्त =जो तत्काल सद्गुण-वि० सत् गुणो से युक्त । सज्जनता युक्त [को॰] । काटा गया हो । सद्य कृत्तीत्त = जो अभी काना और बुना गया सद्गुणो-सना पुं० [स० सद्गुणिन्] अच्छे गुणवाला। हो। सद्य क्रोत = (१) एक एकाह यज्ञ । (२) जो तुरत खरीदा गया हो। सद्य पर्युपित = जो एक दिन पूर्व का हो। सद्गुरु-सज्ञा पुं० [सं०] १ अच्छा गुरु। उत्तम शिक्षक या प्राचार्य । बासी । सद्य पाती-शीघ्र गिरनेवाला । २ वह धर्मशिक्षक या मतदाता जिसके उपदेश से ससार के बधनो से छुटकारा और ईश्वर की प्राप्ति हो। वह जो तुरत काम मे लाने के हेतु अन्न आदि को साफ करे। सद्य प्रज्ञाकर तुरत प्रज्ञा या बुद्धि देनेवाला । शीघ्र ज्ञान सद्ग्रंथ-सप्ला पुं० [म० सत् + ग्रन्थ] अच्छा प्रथ। सन्मार्ग बतानेवाला देनेवाला । सद्य प्राणकर = तुरत शक्ति प्रदान करनेवाला। पुस्तक या गथ । उ०-जिमि पापड विवाद ते लुप्त होहिं सद्य प्राणहर = शीघ्र प्राण या शक्ति का नाश करनेवाला। सद्ग्रथ ।-तुलसी (शब्द॰) । सद्य फल-शोघ्र फलदायक । सद्य शक्तिकर तुरत शक्ति सद्द-सञ्ज्ञा पुं॰ [स० शब्द, प्रा० सद्द] १ शब्द । ध्वनि । देनेवाला । सद्य शुद्धि = दे० 'सद्य शौच'। सद्य शोय = तुरत सद्य प्रक्षालक-