४६३२ सत्यमघा सत्ययुग सत्ययुग-सञ्ज्ञा पु० [स०] पौराणिक काल गणना के अनुसार चार युगो मे से पहला युग । कृतयुग । विशेप-यह युग मवमे उत्तम माना जाता है । इस युग मे पुण्य और सत्ता की अधिकता रहती है। यह १७, २८,००,० वर्ष का कहा गया है। इसका प्रारभ वैशाख गुका तृतीया रविवार से माना गया है। सत्ययुगाद्या-सहा स्त्री० [सं०] वैशाख शुक्ल तृतीया जिम दिन से मत्ययुग का प्रारभ माना गया हे। सत्ययुगो-वि० [म० सत्ययुग+ हि० ई (प्रत्य०)] १ मत्ययुग का । सत्ययुग सवधी। २ बहुत प्राचीन । ३ बहुत सोधा और सज्जन । सच्चरिख । धर्मात्मा । कलियुगी का उलटा । सत्ययौवन-सक्षा पुं० [सं०] एक देव योनि । विद्याधर को०)। सत्यरथा-सचा स्त्री॰ [म०] त्रिशकु की पत्नी का नाम [को०] । सत्यलोक-सञ्ज्ञा पु० [सं०] ऊपर के सात लोको मे मे सबमे ऊपर का लोक जहाँ ब्रह्मा रहते है। उ०--सत्यलोक नारद चले करत राम गुन गान।-मानस, १.१३८ । सत्यवक्ता--वि० [म० सत्यवक्तृ] मत्य बोननेवाला । मत्यवादी। सत्यवचन-सज्ञा पु० [सं०] मच कहना । यथाथ कथन । २ प्रतिज्ञा। कौल । वादा। सत्यवचा'-सज्ञा पुं० [सं० सत्यवचस्] १ ऋपि । सत। २ भविष्य- द्रष्टा सिद्ध पुरुष । ३ सचाई |को०] । सत्यवचार-वि० सच बोलनेवाला [को०] । सत्यवती'-वि० सी० [म०] मच बोलनेवालो। २ सत्य या धर्म का पालन करनेवाली। सत्यवतो-सञ्ज्ञा स्त्री० १ मत्स्यगधा नामक धीवरकन्गा जिसके गर्भ मे कुमारी अवस्था मे हो पराशर के सयोग मे कृष्ण द्वैपायन या व्यास की उत्पत्ति हुई थी। २ शमो वृक्ष । ३ गावि को पुत्री और ऋचौक की पत्नी जिमके कोशिको नदी हो जाने को कथा प्रसिद्ध है । ४ नारद की पत्नी का नाम मो०)। सत्यवती मुत-सज्ञा पु० [म०] सत्यवती के पुत्र वेदव्यास । सत्यवदन--सज्ञा पु० [म०] मच बोलना [को०] । सत्यवद्य-सक्षा पु० [स०] १ वह जिसकी वात या प्रतिज्ञा आदि सच्ची हो । २ मच्चो वात । सचाई गो०) । सत्यवसु-सज्ञा पुं० [म०] विश्वेदेवा मे से एक । सत्यवाक्य-सज्ञा पु० [म.] सत्यवादिता । सत्य बोलना [को०) । सत्यवाच-सज्ञा पुं० [स०] १ सत्य वचन । २ वादा । करार। प्रतिज्ञा । ३ एक प्रकार का मन्त्रास्त्र । ४ काक। कौया । ५ कश्यप मुनि का एक पुन (को०)। ६ सावणि मनु का एक पुन (को०)। ७ वह जो नत्य बोलता हो। सत्यवाचक-वि० [म०] सत्यवता । मत्यवादी। सत्यवाद-ग्ला पु० [म०] [वि० मत्यवादो। १ मत्य बोलना | सच कहना । २ धर्म पर दृढ रहना । ईमान पर रहना। सत्यवादिनी-सधा सी० [स०] १ दामायिणी का एक नाम । २ वाधि द्रुम की एक देवी । ३ वह स्त्री जो मन्य बोनती हो । सत्र बोलनेवालो स्त्री। सत्यवादो-वि० [म० सत्यवादिन् [वि० सी० मत्यवादिनी] १ मत्य कहनेवाला । नच वो ननेवाला । २ प्रतिजा पर दृढ रहनेवाला। वचन को पूरा करनवाला। ३ धर्म पर दृढ रहनेवाला । धम कभी न छोडनेवाला । जैसे,--राजा हरिश्चन्द्र वढे मत्यवादी ये। ४ निष्कपट (ो । सत्यवान्'- वि० [म० सत्यवत्] [वि० सी० सत्यवती] १ मच बोलने- वाला । २ प्रतिमा पर दृट रहनेवाला । सत्यवान-सज्ञा पु० शाल्व देश के राजा द्युमन्तेन के पुत्र का नाम जिसकी पत्नी साविनी के पातिव्रत्य के अलौकिक प्रभाव की कथा पुराणो मे प्रसिद्ध है। विशेष—इनके पिता अधे हो गए ये और गद्दी मे उतार दिए गए थे। वे उदास होकर पुत्र और पत्नी महित वन मे रहते ये । मद्र देश के राजा घूमते घूमते उस वन मे पाए और उन्होने अपनी पुत्री का विवाह मत्यवान् के साथ कर दिया। पर मत्यवान् अल्पायु थे, इनमे वे गीत्र मर गए। मावित्री ने पातिव्रत्य के वल से अपने पति को जिला दिया। २ चाक्षुप मनु का एक पुत्र । ३, अस्त्र मचालन में प्रयुक्त एक मन्न । अस्त्र मन्त्र (को०)। सत्यव्यवस्था-मज्ञा स्त्री॰ [म०] मत्य की व्यवस्था, निस्पण या निश्चय [को॰] । सत्यवत'-पज्ञा पुं० [सं०] १ सत्य बोलने की प्रतिज्ञा या नियम । के एक पुत्र का नाम । ३ त्रेतायुग मे सूर्यवश के पचीसवे राजा जो तय्यारण के पुत्र थे। आगे चलकर इन्ही का नाम त्रिशकु पडा सो) । ८ महादेव (को॰) । सत्यवत-वि०१ जिसने सन्ध वोलन की प्रतिज्ञा की हो। मन्य का नियम पालन करनेवाला । २ ईमानदार । मच्चा (को०) । सत्यशील-वि० [म०] [वि० सी० मत्तगौला] सत्य का पालन करने- वाला। नवा। मत्यश्रवसो-सज्ञा पी० [सं०] उपा का एक प (को०] । सत्यातए-मडा पुं० [म.] शपथ ग्रहण [को०] । सत्यमकल्प-वि० [म० सत्वमङ्कल्प] जो विचा' हए कार्य को पूरा करे। दृढमकल । उ०-राम सत्यसकल्प प्रभु सभा काल वम तोरि ।-मानस, ६।४१ । सत्यसकाश-वि० [म० सत्यमङ्काश] सत्य जैसा । सत्य के समान । सत्यवत् को०। सत्यमगर' -वि० [सं० मत्यसगर] दे० 'सत्यव्रत' या 'सत्य- सकल्प' [को०] । सत्यसगर-सञ्चा पु० कुबेर का एक नाम (को०] । मत्यसध-वि० [स० मत्यमन्ध] 1 [वी. सत्यसधा] सत्यप्रतिज्ञ | वचन को पूरा करनेवाला । उ० -- सत्यसध दृढत राई ।-- तुलसी (शब्द०)। २ धृतराष्ट्र .
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/११४
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