पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/६१

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बगरिया २३५४ बगलियाना घरनी सुदरताई । अति सुदेश मृदु हरत चिकुर मन मोहन बगलगंध-संज्ञा पुं० [हिं० बगल+गंथ ] (1) वह फोड़ा जो बगल मुख बगराई -सूर । __ में होता है। कँखवार । (२) एक प्रकार का रोग जिसमें बगरिया-संशा स्त्री० । देश एक प्रकार की कपास जो कच्छ बगल से बहुत बदबूदार पसीना निकलता है। और काठियावार में पैदा होती है। यगलयंदी-संज्ञा स्त्री० [हिं० बगल+बंद ] एक प्रकार की मिरजई बगगे-संशा पु० हि० बगर ना ] एक प्रकार का धान जो भादों : जिसके बंद बगल के नीचे लगते हैं। के अंत में पकता है। यह काले रंग का होता है। इसका : बगला-मक्षा पुं० [सं० बक+ला (प्रत्य॰)] [स्त्री० बगला । चावल लाल और मोटा होता है। इसे तैयार करने में : सफेद रंग का एक प्रसिद्ध पक्षी जिसकी टॉग, चोंच और विशेप परिश्रम नहीं होता, केवल बीज थिखेर कर छोड़ गला लंबा और पूंछ नाममात्र की, बहुत छोटी होती है। दिए जाते है। इपके गले पर के पर अत्यंत कोमल होते है और किमी संज्ञा स्रा [ हिं . वर ) बखरी । घर । मकान । 30--घाट किसी के सिर पर चोटी भी होती है। यह पक्षी झुंड में बाट सब देखत आवत युवती डरन मरति है पिगरी। या अलग अलग दिन भर पानी के किनारे मछली, केकड़े सूर श्याम तेहि गारी दीनी जो कोई आवै सुमरी बगरी। आदि करने की ताक में खड़ा रहता है। इसकी कई जातियाँ होती है जिनके वर्ण और आकार आदि भिन्न भिन्न बगल-संज्ञा स्त्री॰ [ 10 ] (1) बाहु मूल के नीचे की ओर का होते हैं। जैसे,—(क) अंजन, नारी वा सेन जिसका रंग गड्ढा । काँग्व । उ०--उसके अस्तबल का दारोगा एक नीलापन लिए होता है, (ख) बगली, खोच बगला वा हबशी गुलाम था । वही उसको यगल में हाथ देकर घोडे गदह बगलिया जो छोटी और मटमैले रंग की होती है पर सवार कराता था।-शिवप्रसाद । और धान के खेतों, तालों और गड़हियों आदि में रहती यौ०-अगलगंध। है; (ग) गैबगला वा सुरग्विया बगला जो डंगरों के झुंर के (२) छाती के दोनों किनारों का भाग जो बांह गिराने पर साथ तालों में रहता है और उनके ऊपर के छोटे छोटे उसके नीचे पड़ता है। पार्थ । कीरों को ग्वाता है । (घ) राजबगला जो तालों और झीलों यौ०-बगलयं दी। में रहता है और जिसका रंग अत्यंत उज्वल होता है। मुहा०-बगल गरम करना सहवास करना । प्रसंग करना । । यह बड़ा भी होता है और इस जाति के तीन वर्ष से बगल में दबाना=(१) किसी चीज़ को बाहु के नीचे छाती के अधिक अवस्था के पक्षियों के सिर पर चोटी होती है। किनार रखना या लेना । (२) धोखा देकर वा बलात् किसी वस्तु बगलों का शिकार प्रायः उनके कोमल परों के लिए किया को अपने अधिकार में लाना । अधिकार करना । ले लेना । जाता है। वैधक में इसका मांस मधुर, स्निग्ध गुरु और उ.-सैगे अनूप रूप संपति बगल दाथि उचिके अग्निप्रकोषक तथा श्लेष्मवर्द्धक माना गया है। उ०- अचान कुछ कंचन पहार से। -देव । बगल में धरना (क) बगली नीर बिटारिया सायर चढ़ा कलंक । और (१) बगल में छिपाना । बगल में दबाना। उ०-बूंद सुहा.! पखेरू पीबिया हंस न थोरे चंच ।-कबीर । (ख) बद्दलनि बनी री लागत मत भीजै तेरी चूनरी । मोहिं ये उप्तारि धर बुनद बिलोको बगलान बाग बंगलान बेलिन बहार घरसा राखौं बगल में सून री।-हरिदास । (२) अधिकार में , की है।—पनाकर। लान।। छीन लेना । बगलें बजाना-बहुत प्रसन्नता प्रकट मुहा०-बगला भगत-(१) धर्मध्वजी। (२) कपटी । धोखेबाज । करना । सब खुशी मनाना । सिंज्ञा पुं० [हिं० बगल ] थाली की बाद । अवठ । (३) सामने और पीछे को छोड़ इधर उधर का भाग । संज्ञा पुं० [ देश० ] एक झाड़ीदार पौधा जो गमलों में किनारे का हिस्सा। शोभा के लिए लगाया जाता है। मुहा०-बगले झाँफना-धर उधर भागने का यल करना। ! बगलामुखी-संज्ञा पुं० [देश॰] तांत्रिकों के अनुसार एक देवी बचाव का रास्ता ढूढ़ना। जिसकी आराधना करने से आराधक अपने विरोधी की (१) कपड़े का वह टुकड़ा जो अँगरखे या कुरते आदि वाकशक्ति को स्थगित या बंद कर सकता है। की आस्तीन में कंधे के जोड़ के नीचे लगाया जाता है। बगलियाना-क्रि० अ० [हिं० बगल+इयाना (प्रत्य॰)] बगल यह टुकदा प्रायः तीन चार अंगुल का और सिकोना या से होकर जाना। राह काटकर निकलना। अलग हटकर चौकोना होता है । (५) समीप का स्थान । पास चलना या निकलना। की जगह । जैसे,—सबक की बगल में ही वह नया मकान क्रि० स० (1) अलग करना । पृथक निकालना । (२) बगल में लाना या करना। ना