पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/५७६

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योजनगंधा योनिमुद्रा आठ कोश की होती है। ( यहाँ एक कोश से अभिप्राय ! योनि-संज्ञा स्त्री० [सं०] (9) आकर । खानि । (२) वह जिससे ४००० हाथ से है । जैनियों के अनुसार एक योजन कोई वस्तु उत्पन्न हो । उत्पादक कारण। (३) उत्पत्ति स्थान । १०००० कोप का होता है।) जहाँ से कोई वस्तु पैदा हो । उद्गम । (४) जल । पानी। योजनगंधा-संशा स्त्री० [सं०] (१) कस्तूरी । (२) सीता । (५) कुश द्वीप की एक नदी का नाम । (६) स्त्रियों की जन- (३) व्यास की माता और शांतनु की भार्या सत्यवती का नेद्रिय । भग। (७) प्राणियों के विभाग, जातियाँ या वर्ग। एक नाम 1 वि० दे० 'व्यास"। विशेष--पुराणानुसार इनकी संख्या चौरासी लाख है। कुछ योजनगंधिका-संज्ञा स्त्री० दे० "योजनगंधा"। लोगों के मत से अंडज, स्वेदज, उदुभिज और जरायुज योजनपर्णी-संज्ञा स्त्री० [सं० ] मजीठ । सब इक्कीस लाग्त्र है; और कहीं कहीं इनकी संख्या इस योजनवल्ली-संज्ञा स्त्री० [सं०] मजीठ । प्रकार लिखी है- योजना-संज्ञा स्त्री० [सं० ] (1) किसी काम में लगाने की क्रिया जलजनु ... ... ... ... नौ लाख या भाव । नियुक्त करने की क्रिया । नियुक्ति । (२) प्रयोग। स्थावर .... बीस लापत्र व्यवहार । इस्तेमाल 1 (३) जोड़ । मिलान । मेल । मिलाप । कमि ... .. ... ... ग्यारह लाख (४) बनावट । रचना । (५) घटना । (६) स्थिति। पक्षी ... ... ... दस लाख स्थिरता । (७) व्यवस्था । आयोजन । जैसे,—उन्होंने पशु ... तीस लाख इसकी सब योजना कर दी है। मनुष्य ..' चार लाग्व . योजनीय-वि० [सं०] (१) जो मिलाने अथवा योजना करने के कुल चौरामी लाग्य योग्य हो । (२) जिसे मिलाना या जोड़ना हो । यष्ठ भी कहा गया है कि जीव को अपने कम्मों का फल योजन्य-वि० [सं०] योजन-संबंधी । योजन का। भोगने के लिए इन सब योनियों में भ्रमण करना परता योजित-वि० [सं०] (१) जिसकी योजना की गई हो। (२) है। मनुष्य योनि इन सब में श्रेष्ठ और दुर्लभ मानी जोड़ा हुआ। मिलाया हुआ ।(३) नियम से बद्ध किया हुआ । नियमित । (४) रचा हुआ। बनाया हुआ। रचित । (4) देह । शरीर। (२) गर्भ । (१०) जन्म । (19) घटित । गर्भाशय । (१२) अंतःकरण । योज्य-वि० [सं०] (१) जोड़ने के लायक । मिलाने के योग्य, योनिकंद-मज्ञा पुं० [सं.] योनि का एक रोग जिसमें उपके (२) व्यवहार करने के योग्य । अंदर एक प्रकार की गाँठ हो जाती है और उसमें से रक्त संशा पुं० वे संख्याएँ जो जोड़ी जाती हैं। जोड़ी जानेवाली या पीय निकलता है। संख्याएँ । (गणित) योनिज-वि० [सं०] जिसकी उत्पत्ति योनि से हुई हो। योनि से योत्र-संशा पुं० [सं०] वह बंधन जो जुए को बैल की गरदन में उत्पन्न । जोड़ता है। जोत। संज्ञा पुं. वह जीव जिसकी उत्पत्ति योनि से हुई हो। ऐसे योध्य-वि० [सं०] जिससे युद्ध करना हो। जीत्र दो प्रकार के होते हैं-जरायुज और अंडज । जो योद्धा-संज्ञा पुं० [सं० योद्ध ] वह जो युद्ध करता हो। युद्धकर्ता । जीव गर्भ में पूरा शरीर धारण करके योनि के बाहर भट । लड़ाका । सिपाही। निकलते हैं, वे जरायुज कहलाते हैं; और जो अंडे से उत्पन्न योध-संशा पुं० [सं०] योद्धा । सिपाही । वीर । होते हैं, वे अंडज कहलाते हैं। योधक-संज्ञा पुं० [सं० ) योद्धा । सिपाही। योनिदेवता-संज्ञा पुं० [सं०] पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र । योधन-संज्ञा पुं० [सं०] (1) युद्ध की सामग्री। जैसे, अस्त्र- योनिदांप-संा पुं० [सं०] उपदंश रोग । गरमी । आतशक । शस्त्र आदि। (२) युद्ध । रण । लड़ाई। योनिफूल-संज्ञा पुं० [सं० योनि+हिं . फूल ] योनि के अंदर योधा-संज्ञा पुं० दे० "योहा"। की वह गाँठ जिग्यके ऊपर एक छेद होता है। इसी छेद में योधि बन-संज्ञा पुं० [सं०] एक प्राचीन जंगल का नाम । से होकर वीर्य गर्भाशय में प्रवेश करता है। योधी-संज्ञा पुं० [सं० योधिन् ] योद्धा । वीर । योनिभ्रंश-संज्ञा पुं० [सं० ] योनि का एक रोग जिसमें गर्भाशय योधेय-संज्ञा पुं० सं०] योद्धा । सिपाही। अपने स्थान से कुछ हट जाता है। योध्य-वि० [सं०] जिसके साथ युद्ध किया जा सके। युद्ध करने , योनिमुक्त-संज्ञा पुं० [सं० ] वह जो बार बार जन्म लेने से मुक्त के योग्य । हो गया हो। जिसने मोक्ष प्राप्त कर लिया हो। योनल-संज्ञा पुं० [सं०] यवनाल । ज्वार । मक्का या जोन्हरी। योनिमुद्रा-संज्ञा स्त्री० [सं०] तांत्रिकों की एक मुद्रा जिसमें