पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४९९

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मुसकराहट २७२० मुसली मुसकराहट-संशा स्त्री० [हिं० मुसकराना+आहट (प्रत्य॰)] मुस शोधनेवाला तथा शूल, कफ, पात, कृमि और गुल्म को दूर कराने की क्रिया या भाव । मधुर या बहुत थोड़ी सी। करनेवाला माना है। एलुआ। मंद हास। मुसमर-संज्ञा पुं० [हिं० मूस-चूहा मारना] एक प्रकार की चिड़िया मसका-संज्ञा पुं० [देश॰] रस्सी की बनी हुई एक प्रकार की जो खेत के चूहों को पकड़कर खाती है। छोटी जाली जो पशुओं, विशेषतः बैलों के मुंह पर इसीलिए मुसमरवा-संशा पुं० [हिं० मूस+मारना] (1) मुसमर चिड़िया । धाँध दी जाती है, जिसमें वे खलिहानों या खेतों में काम (२) एक नीच जाति जो चूहे खाती है। मुसहर । करते समय कुछ खा न सके । जाला । मुसमुंद*-वि० [ देश ] ध्वस्त । नष्ट । बरबाद । उ.---पुरद्वार मुसकान-संज्ञा स्त्री० दे० "मुसकराहट"। रुकि ठानी बली सबै दुग्ग मुसमुंद किय ।-सूदन । मुसकाना-कि० अ० दे० "मुसकराना"। संज्ञा पुं० नाश । बस । बरबादी। मुसकानि-संज्ञा स्त्री० दे० "मुसकराहट"। मंध* -संज्ञा पुं० दे० "मुसमुंद"13-दिस धुंधरी 'चक- मुसकिगना-क्रि० अ० दे० "मुसकराना" । धुंधरी मुसमुंधरी सुवसुंधरी ।-सूदन । मुसकिराहट-संज्ञा स्त्री० दे० "मुपकराहट"। मुसम्मा-वि० पुं० [अ०] [स्त्री० मुसम्मात ] जिसका नाम रखा मुसकुराना-क्रि० अ० दे० "मुसकराना" गया हो। नामक । नामी । नामधारी । मुसकुराहट-संज्ञा स्त्री० दे. "मुसकराहट"। मुसम्मात-वि० [अ० मुसम्मा का स्त्री० रूप ] मुसम्मा शब्द का मुसक्यान-संशा स्त्री० दे. "मुसकराहट"। सीलिंग रूप । नानी । नामधारिणी। मुसक्याना-क्रि० अ० दे० "मुसकराना"। संशा स्त्री. स्त्री । औरत। मसखारी -संज्ञा स्त्री० [ हिं. मूस-चूहा+खोरी खाना ] संत मुसरा-संज्ञा पुं० [हिं० मूसल ] पेड़ की वह जब जिसमें एक में चूहों की अधिकता होना । मुसहरी। ही मोटा विड धरती के अंदर दूर तक चला जाय और मुसजर-संशा पुं० [अ० मुशजर ] एक प्रकार का छपा कपमा ।। इधर उधर शाखाएँ न हों । जैसे, मूली, सेमल आदि की उ.-बादला दायाई नौरंग साई जरकस काई झिलमिल जब । 'झगरा का उलटा। है। ताफता कलंदर बाफताबदर भुसजर सुंदर गिलमिल मुसरिया-संशा स्त्री० [देश॰ ] काँच की चूड़ियाँ बनाने का है।-सूदन। साँचा। मुसटी-संज्ञा स्त्री० [हिं० मूस-चूहा+टी (प्रत्य॰)] चुहिया। सिंज्ञा स्त्री० [हिं० मूस ] चूहे का बच्चा । मुसटी। मुसदी-संज्ञा स्त्री० [ देश० ] मिठाई बनाने का साँचा। संज्ञा स्त्री० दे० "मुसरा"। मुसद्दिका-वि० [अ० ] परताल किया हुआ। तसदीक किया मुसल-संज्ञा पुं० दे० "मूसल"। हुआ। जाँचा हुआ। । मुसलधार-क्रि० वि० दे० "मूसलधार"। उ.-भले नाथ नाइ मुसना-क्रि० अ० [सं० मूषण-चुराना ] लूटा जाना । अपहत । माय चले पायप्रदनाथ पर मुसलधार बार बार घोरि के।- होना । मूसा जाना। चुराया जाना। (धन आदि) तुलसी। मुहा०-घर मुसना-घर में चोरी होना। मुसलमान-संशा पुं० [फा०] [स्त्री० मुसलमानी ] वह जो मुहम्मद मुसना-संक्षा पुं० [अ०] (1) किसी असल काग़ज़ की दूसरी साहब के चलाए हुए संप्रदाय में हो । मुहम्मद साहब का नकल जो मिलान आदि के लिए रखी जाती है । (२) रसीद अनुयायी और इस्लाम धर्म को माननेवाला । मुहम्मदी । आदि का वह आधा और दूसरा भाग जो रसीद देनेवाले उ.-हिंदू मैं क्या और है मुसलमान मैं और । साहब के पास रह जाता है। सब का एक है म्याप रहा सब ठौर 1--रसनिधि । मुसनिफ-संज्ञा पुं० [अ० ] पुस्तक बनानेवाला । ग्रन्धकर्मा, मुसलमानी-वि० [ फा० ] मुसलमान संबंधी। मुसलमान का। रचयिता। जैसे, मुसलमानी मजहष। मुसब्बर-संज्ञा पुं० [अ० ] कुछ विशिष्ट क्रियाओं से सुस्वाया संज्ञा स्त्री. मुसलमानों की एक रसम जिसमें छोटे बालक की और जमाया हुआ घीकुवार का दूध या रस जिसका इंद्री पर का कुछ चममा काट डाला जाता है। बिना यह व्यवहार ओषधि के रूप में होता है। इसका उपयोग इसम हुए वह पक्का मुसलमान नहीं समझा जाता । सुचत । अधिकतर रेश्चन के लिए या चोट आदि लगने पर मालिश मुसली-संशा पुं० दे० "मुशली"। और सेंक आदि करने में होता है। यह प्रायः जंजीबार, संवा स्त्री० [सं० मुषली] हल्दी की आति का एक पौधा जिसकी नेटाल तथा भूमध्य सागर के आस पास के प्रदेशों से आता । जरें औषध के काम में भाती है और बहुत पुतिकारक है । वैद्यक में इसे घरपरा, शीतल, दस्तावर, पारे को मानी जाती है। यह पौधा सीब की जमीन में उगता सामा