पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४७५

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२७६६ बहुत अधिक की या दुःख की अवस्था में दोनों हाथों से अपने मुंह पर आघात करना । मुँह फक होना-चेहरे का रंग उड़ जाना । विवर्णता होना । भय या आशंका से चहरा पाला ५५ जाना । मुँह फिरना या फिर जाना-(२) मुंह का टेढ़ा, कुरूप या । खराब हो जाना । जैसे,—क थषद,गा, मुँह फिर जायगा। (२) लकवे का रोग हो जाना । (३) सामना करने के योग्य न रह जाना। सामने से हट या भाग जाना। जैसे,-घंटे भर की लड़ाई में ही शत्रु का मुंह फिर गया। मुँह फुलाना या फुलाकर बैठना-आकृति से असंतोष या अप्रमन्नता प्रकट करना । जैसे,- तुम तो ज़रा सी बात पर मुँह फुलाकर बैठ जाते हो। मुँह कना-(१) मुंह में आग लगाना । मुंह झुलसना । (त्रि. गाली) जैसे,—ऐसे नौकर का तो मुंह फंक देना चाहिए। (२) दाह कर्म करना। मुरदे को जलाना । (उपेक्षा) (३) कुछ दे लेकर दूर करना । हटाना । मुँह फूलना अप्रसन्नता या असंतोष होना । नाराजगी होना । जैसे,—मैं कुछ कहूँगा, तो अभी तुम्हारा मुंह फूल जायगा । (किसी का) मुंह फेरना=परास्त करना । दवा लेना। (अपना) मुँह फेरना=(५) किसी की ओर पीट करना । (२) उपेक्षा प्रकट करना । (३) किसी और से अपना मन हटा लन। । मुँह बनना या बन जाना ! ऐसी आकृति होना जिसमे असंतोष या अप्रसन्नता प्रकार हो। जैसे,—मेरी बात सुनते ही उनका मुँह बन गया। मुँह बनवाना किसी कार्य अथवा प्राप्ति के योग्य अपनी आकृति बनवाना । (व्यंग्य) जैसे,—पहले आप अपना मुंह बनवा लीजिए, तब यह कोट माँगिएगा । मुँह बनाना ऐसी : आकृति बनाना जिससे असंतोष या अप्रसन्नता प्रकट हो । (इसके साथ संयो० कि० लेना या बैठना आदि का मा प्रयोग होता है।) मुंह बिगड़ना=चेहरे की आकृति खराब होना । ( दुसरे का) मुँह बिगाना-(१) मार पीट कर चहरे की आकृति खराब कर देना । बहुत मारना । जैसे,-मारते मारते मुंह बिगाड़ दूँगा । (अपना) मुँह बिगादना-असंतोष या अप्रसन्नता प्रकट कारना । मुंह बुरा बनाना असंतोष या अप्रसन्नना प्रकट । करना । मुँह में कालिख पुतना या लगाना-बहुत अधिक बदनामी होना । कलंक लगना । (अपना) मुँह मोदना (कि.मी । ओर से प्रवृत्ति हटा लेना। ध्यान न देना। वि० दे० "मुंह फेरना।" (२) इनकार करना । अवीकृत करना । जैसे,-हम कभी किसी बात से मुँह नहीं मोड़ते । (दूसरे का) मुँह मोदना- परास्त करना । हराना । जैसे,—योड़ी ही देर में सैनिकों ने डाकुओं का मुँह मोड़ दिया । (किसी के) मुंह लगना=(१) किसी के सिर बदना । किसी के सामने बद बदधार बाते करना। उइंट बनना । (२) बातें करना । जवाब सवाल करना । जैसे,- सब के मुंह लाना ठीक नहीं। मुंह लगाना सिर चढ़ाना । उदंड बनाना । जैसे,—तुमने भी लड़कों को मुंह लगा रखा : है। मुंह लपेटकर पढ़ना=बहुत ही दुःखी होकर पड़ा रहना। मुँह लाल करना=(१) मुंह पर थप्पड़ आदि मारकर उसे सुजा देना । (२) पान-तमाकू से आदर-सत्कार करना । मुँह लाल होना-मारे बांध के चेहरा तमतमाना । आकृति से बहुत अधिक क्रोध प्रकट होना । मुँह सफेद होना भय या लज्जा से चेहरे का रंग उड़ जाना । उदासी छा जाना । मुँह सिकोयना-आकृति से अप्रसन्नता या असंतोष प्रकट करना। नाक भी चदाना । (अपना) मुंह सुजाना-आकृति से असंतोष या अप्रसन्नता प्रकट करना। नाराजी जाहिर करना । (किसी का) मुँह सुजाना थप्पड़ मार मारकर मुँह लाल करना । मुँह सुर्ख होना-कोप के मारे चेहरा तमतमाना । गुस्से से चेहरा लाल होना । मुँह सूखना= भय या लज्जा आदि से चेहरे का तेज जाता रहना । (४) किसी पदार्थ के ऊपरी भाग का विवर जो आकार आदि में मुंह से मिलता जुलता हो । जैसे,--इस बरतन को मुँह बाँधकर रख दो। (५) सूराव । छेद । छिद्र । जैसे,-दो दिन में इस फोड़े में मुँह हो जायगा। (६) मुलाहजा। मुरवत । लिहाज । जैसे,-हमें तो खाली तुम्हारा मुँह है। उससे तो हम कभी बात ही नहीं करते। यौ--मुँह-मुलाजा। मुहा०—मुँह करना=मुलाह ज्ञा करना । खयाल करना । जैसे,- धनवानों का तो सभी लोग मुँह करते हैं; पर गरीबों को कोई नहीं पूरता। मुंह देखे का जो हार्दिक न हो, केवल ऊपरी या दिखौआ हो। जो केवल सामना होने पर हो। मुलाहले का। मुरब्बत का । जैसे,—(क) आपका प्रेम तो मुँह देखे का है। (ख) ये सारी बातें मुंह देखे की है। मुंह पर जाना फिसी का ध्यान करना। लिहाज करना । जैसे,—में तुम्हारे मुँह पर जाता हूँ; नहीं तो अभी इसकी गत बनाकर रम्य देता । मुंह मुलाहजे का जान पहचान का। परिचित । मुँह रखना-किसी का लिहाज रखना । ध्यान रखना । जैसे,- आप इतनी दूर से चलकर आए हैं; आपका मुँह रखो। (७) योग्यता । सामर्थ्य । शक्ति । जैसे,—तुम्हारा मुँह नहीं है कि तुम उसके सामने जाओ। मुहा०—(अपना) मुँह तो देखो-पहले यह तो देखो कि इस योग्य हो या नहीं। (व्यंग्य) मुँह देखकर बात करना=किसी के साथ उसको योग्यता के अनुसार बात करना । (4) साहस । हिम्मत । मुहा०-मुंह पड़ना साहस होना। हिम्मत होन । जैसे,- उनके सामने कुछ कहने का भी तो मुँह नहीं पड़ता। (९) ऊपरी भाग । ऊपर की सतह या किनारा । मुहा०-मुँह तक आना या भरना पूरी तरह से भर जाना। लबालब होना। जैसे,--तालाब में पानी मुंह सक आ गया है।