पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४६५

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मीडना २७५६ मीठा गोखक उच्चारण करना । गमक। (३) सम्मति । राय । विशेष—मोड की आवश्यकता किसी स्वर में केवल उसके क्रि०प्र०-लेना । दूसरे परवर्ती स्वर पर ही जाने में नहीं पड़ती, बल्कि किमी मीजान-संज्ञा स्त्री० [अ० ] (१) तुलनातराजू । (२) तुला राशि। एक स्वर से किसी दूसरे स्वर पर जाने अथवा उतरने में भी (३) कुल संख्याओं का योग । जोड़। (गणित) पड़ती है। अर्थात् आरोहण और अवरोहण दोनों में उसके । क्रि०प्र०—देना ।—लगाना । लिए स्थान है । जैसे,—सा के उपरांत म का अथवा नि के (४) दे. "मीजा"। उपरांत ग का उच्चारण करने में भी मींड का प्रयोग हो मीटना - अ० दे. "मीचना"। सकता और होता है । स्वरों की मूछनाओं का उच्चारण मीटिंग-संशा स्त्री॰ [अं॰] परामर्श आदि के लिए एक स्थान पर मीड़ की सहायता से ही होता है। देशी बाजों में मे वीन, बहुत से लोगों का जमावड़ा । अधिवेशन । सभा । रबाब, सरोद, सिस्तार, सारंगी आदि में मींड बहुत अच्छी मीठा-वि० [सं० मिष्ट, प्रा० मिट्ट] [स्री० मीठी ] (१) जो स्वाद तरह निकाली जाती है; पर पियानो और हारमोनियम आदि में मधुर और प्रिय हो। चीनी या शहद आदि के स्वाद- अंगरेजी ढंग के यात्रों में यह किसी प्रकार निकर ही नहीं वाला । 'वहा' या 'नमकीन' का उलटा । मधुर । जैसे, सकती । विद्वानों का यह भी मत है कि मीड निकालने के (क) जितना गुरु डालोगे, उतना मीठा होगा। (ख) यह लिये स्त्रियों के कंट की अपेक्षा पुरुषों का कंठ बहुत अधिक आम बहुत मीटा है। उपयुक्त होता है; और इसका कारण यह है कि पुरुषों की मुहा०-मीठा होना=किसी प्रकार के लाभ या आनंद आदि की स्वर-नालिका स्त्रियों का स्वर-नालिका की अपेक्षा अधिक प्राप्ति होना । अपने पक्ष में कुछ भलाई होना । जैसे,—हमें ऐसा लगी होती है। क्या मीठा है, जो हम नित्य दौब दौड़कर तुम्हारे पास मीडना-त्रि. म. [ हि, माइना ] हाथों से मलना । मसलना। आया करें। जैसे, आटा पांडना। (२) जिसका स्वाद बहुत अच्छा हो। स्वादिष्ट जायकेदार। मीडामांगी-संवा स्त्री० दे. "मेंढासींगी"। जैसे,--मीठा मांटा हप, कडुआ कडुआ थू। (३) धीमा। भीश्राद-संज्ञा स्त्री० 1 अ.} (1) किसी कार्य की समाप्ति आदि सुस्त । जैसे,—यह घोड़ा कुछ मीठा चलता है। (४) जो के लिए नियत समय । अवधि । बहुत ७.उछा न हो। साधारण या मध्यम श्रेणी का । शि० प्र०-गुजरना ।-बहना ।-बढ़ाना ।—पीतगा। . मामूली। (५) जोतीब या अधिक न हो। हलका । मद्धिम । (२) कारागार के दंड का काल कैद की अवधि । मंद । जैसे,--आज सबेरे से पेट में मीठा मीठा दर्द हो मुहा०-मीआद काटना कारागार का दंड भोगना । गत्रा भुग रहा है। (६) जिसमें पुंसत्व न हो, या कम हो । नामर्द । तना । मीाद बोलना कारागार-वास का दंदना । करवा नपुंसक । (७) जो गुदा भंजन कराता हो । आँधा। (4) सजा देना। जो बहुत अधिक सुशील हो । किसी का कुछ भी अनिष्ट न मीश्रादी-वि० [हिं० म:आदनई (प्रत्य॰)] (1) जिसके लिए करनेवाला । बहुत अधिक सीधा । जैसे,—इतने मीठे न बनो कोई समय या अवधि नियत हो। जैसे, मीआदी हुंडी। कि कोई चट कर जाय। (९) प्रिय । रुचिकर । जैसे, (२) जो कारागार में रह चुका हो। जो जेलबाने में रह मीठे वचन, मीठी बात । उ०—वह चाहता है कि हम कर सजा भुगत रका हो। जैसे, मीआदी चोर। मब मे मीठे बने रहें। मीश्रादी हुंडी-संज्ञा स्त्री० [दि. मांआदी+] वह हुंडी संज्ञा पुं० (१) मीठा खाद्य पदार्थ । मिठाई । (२) गुरु। जिसका रुपमा तुरंत न देना पड़े, बल्कि एक नियत समय (३) हलुआ। (४) एक प्रकार का कपड़ा जो प्रायः मुसल- था अवधि पर देना पड़े। वह हूंटी जो मिती पूजने पर मान लोग पहनते हैं और जिसे शीरींबाफ भी कहते हैं। (५) भुगताई जाय। मीठा तेलिया या यछनाग नामक विष । (६) मीठा नीबू । मीचना-कि० स० [सं० गिष-झपवाना या मिरछ रोकना } (ऑग्ब) मीटा अमृतफल-संश पुं० [हिं० मीठरा+अमृतफल ] मीठा चको- बंद करना । मूंदना। मिच*-संज्ञा सी० [सं० मृत्यु, प्रा० मिनु ] मृत्यु । मौत । मीठा आन्दू-संज्ञा पुं० [दिमीठा+आलू ] शकरकंद । मीजा-संज्ञा स्त्री० [अ० मिजाज ] (१) अनुकूलता । (२) मीटा इंद्रजी-संज्ञा पुं [हिं० मीठा+इंद्रजौ] कृष्ण कुटज । स्वभाव। काली कुड़ा। मुहा०—मी जा पटना या मिलना=दो व्यक्तियों का परस्पर मेल मीठा कददू-संज्ञा पुं० [हिं० मीठा-+कद्दू ] कुम्हड़ा। जोल होना । खभाव मिलने के कारण मेल होना । . मीठा गोखरू-संशा पुं० [हिं० मीठा+गोखरू ] छोटा गोखरू ।